Chaitra Amavasya 2021, Somvati Amavasya 2021 April, Puja Vidhi, Significance, Vrat Katha, Importance: चैत्र माह की अमावस्या को सोमवती अमावस्या भी कहा जाता है. इस साल 11 अप्रैल से इसकी शुरुआत हो रही है जो 12 अप्रैल तक रहेगी. दर्श अमावस्या के नाम से भी यह पर्व प्रसिद्ध है जिसका हिंदू धर्म में बेहद खास महत्व होता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन चांद पूरी तरह से गायब हो जाता है जो जातक के लाइफ में खुशहाली लाने का संकेत है. इस दिन पीपल के वृक्ष का पूजा का विशेष महत्व होता है. ऐसी कुल तीन और अमावस्या पड़ती है. आइये जानते हैं सोमवती अमावस्या का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, इससे जुड़ी मान्यताएं व महत्व…
सोमवती अमावस्या की तरह कुल तीन और अमावस्या होती है. पहला सिनीवाली अमवस्या, दूसरा दर्श अमावस्या और तीसरा कुहू अमावस्या. यदि सूर्योदय से पूरी रात अमावस्या रहे तो उसे सिनीवाली अमावस्या कहा जाता है. वहीं, चतुर्दशी तिथि को अमावस्या पड़े तो उसे दर्श अमावस्या कहा जाता है. जबकि, प्रतिपदा तिथि के साथ अमावस्या पड़े तो उसे कुहू अमावस्या कहा जाता है.
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कहा जाता है कि इस दिन विधि पूर्वक पूजा और दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है.
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जिससे पितर खुश होते हैं.
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साथ ही साथ कुंडली में चंद्र देव भी मजबूत स्थिति में आते हैं.
सोमवती अमावस्या पर चंद्रमा पूजा का विशेष महत्व होता है. विधिपूर्वक इनकी पूजा करने से भाग्य व समृद्धि का रास्ता खुलता है तथा मन को शीतलता और शांति का अहसास मिलता है.
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सोमवती अमावस्या पर पीपल पूजा का भी विशेष महत्व होता है.
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पौराणिक कथाओं के अनुसार पीपल के वृक्ष की जड़ में श्री विष्णु का वास माना गया है जबकि इसके तना में भगवान शंकर तथा अग्रभाग में ब्रह्मा जी का निवास होता है. साथ ही साथ पितर भी पीपल वृक्ष में वास करते है.
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वहीं, यह अमावस्या सोमवार को पड़ रही है. ऐसे में सोमवार का दिन पहले ही भगवान शिव को समर्पित होता है. अत: इस दिन उनकी पूजा से विशेष लाभ हो सकता है.
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विधि पूर्वक पीपल का पूजा करने से सौभाग्य बढ़ता है तथा पुण्य में वृद्धि होती है.
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सोमवती अमावस्या के दिन पीपल वृक्ष को प्रणाम करके परिक्रमा करने वालों की आयु लंबी होती है.
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वहीं, वृक्ष पर जल अर्पित करने से पापों का अंत होता है और स्वर्ग की प्राप्ति हुई.
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इतना ही नहीं शनि ग्रह को शांत करने के लिए भी पीपल के वृक्ष की पूजा करनी चाहिए.
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पीपल के वृक्ष के नीचे हनुमान चालीसा का पाठ या शिवलिंग स्थापित करके पूजा करना बड़ा लाभकारी है. बड़ी से बड़ी परेशानियां इससे दूर होती है.
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सोमवती अमावस्या तिथि प्रारंभ: 11 अप्रैल 2021 दिन रविवार सुबह 6 बजकर 3 मिनट पर शुरू होगा.
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सोमवती अमावस्या तिथि समाप्त: अमावती तिथि का समापन 12 अप्रैल दिन सोमवार की सुबह 8 बजे हो जाएगा.
Posted By: Sumit Kumar Verma