Chaitra Navratri 2021, Ma Shailputri Puja Benefits, Swaroop, Origin, History: देवी शैलपुत्री का पर्वत बैल है और इसी वजह से उन्हें वृषारूढ़ा (वृषारूढ़) भी कहा जाता है. देवी शैलपुत्री को दो हाथों से दर्शाया गया है. वह दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का पुष्प धारण करती है. ऐसे में आइये विस्तार से जानते हैं मां शैलपुत्री के स्वरूप और प्रकट होनी की कथा के बारे में….
ऐसी मान्यता है कि देवी सती ने जब आत्मदाह किया तो वे हिमालय की बेटी बनकर देवी पार्वती के रूप में जन्म लिया. शैल का अर्थ संस्कृत में पर्वत होता है. और हिमालय पर्वत पूत्री होने के कारण उनका नाम देवी शैलपुत्री रखा गया.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यदि कुंडली में चंद्रमा खराब है तो उसके बुरे प्रभाव को आदि शक्ति के इस रूप की पूजा करके आसानी से दूर किया जा सकता है.
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देवी शैलपुत्री का वाहन बैल है यही कारण है कि इन्हें वृषारूढ़ा भी कहा जाता है.
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उनके दाहिने हाथ में त्रिशूल रहता है और
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बाएं हाथ में कमल का फूल
Posted By: Sumit Kumar Verma