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गर्मी में रख रहें नवरात्रि का व्रत तो इन फलों का जरूर करें सेवन
यदि गर्मी में आप भी रख रहें नवरात्रि का व्रत तो जिसमें फूड पदार्थ या फल में पानी की मात्रा अधिक होती है उसका सेवन जरूर करें. ऐसा करने से नौ दिनों तक आपका शरीर व्रत के बावजूद ज्यादा कमजोर नहीं होगा. ये फल आपके बॉडी में कम हो रही पानी की मात्रा को बनाएं रखने में मददगार साबित हो सकते हैं. अत: चैत्र नवरात्रि के दौरान इन फलों का करें सेवन...
तरबूज
लौकी
पपीता
केला
सिंघाड़े फलों का जरूर करें सेवन
कब है नवमी की तिथि
13 अप्रैल दिन मंगलवार को चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा की तिथि से नवरात्रि प्रारंभ हो रहा है. वहीं, पंचांग के अनुसार नवमी की तिथि 21 अप्रैल को शुरू हो रही है और व्रत का पारण दशमी तिथि 22 अप्रैल को होगा.
कलश स्थापना विधि (Kalash Sthapana Vidhi)
सुबह जल्दी उठें
स्नानादि करें, स्वच्छ वस्त्र पहनें
घर के मंदिर को अच्छे से साफ करें, गंगा जल से शुद्ध कर लें
एक लकड़ी का पाटा लेकर, उसपर लाल या सफेद रंग का कपड़ा बिछा दें
फिर कपड़े पर अक्षत रखें और मिट्टी के बर्तन में जौ बोएं
इसके बाद बर्तन के ऊपर कलश रख दें
इसमें स्वास्तिक बनाएं
कलावा या मौली बांधें
कलश में सुपाड़ी, सिक्का और अक्षत डाल दें
ऊपर अशोक के पत्ते या आम के पत्ते रखें
एक नारियल लें और उसे चुनरी से लपेट दें
फिर इसमें भी कलावा या मौली बांधें
अब मां दुर्गा के सभी स्वरूपों का आव्हान करें
दीप जलाएं और कलश के आगे अगरबत्ती जलाएं और मंत्र पढ़ें
देवी ब्रह्मचारिणी मंत्र
ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः॥
(Om Devi Brahmacharinyai Namah)
नवरात्रि पूजा से पूर्व जरूर करें ये पांच काम
मन और शारिरीक स्वच्छता के अलावा घर की स्वच्छता भी जरूरी
पूजा स्थान को गंगा जल से करें शुद्ध
घर या मंदिर के मुख्य द्वार पर बनाएं स्वास्तिक का चिन्ह
पूजा से पूर्व मौन धारण कर बुरे विचार को करें समाप्त
मांस-मछली और लहसुन-प्याज का सेवन बिल्कुल भी न करें
देवी ब्रह्मचारिणी का स्वरूप
देवी ब्रह्मचारिणी को नंगे पांव दर्शाया गया है.
उनकी दो भुजाएं है
दाहिने हाथ में जपने वाली माला है
तो बाएं हाथ में कमंडल धारण करती हैं.
घटस्थापना के दौरान बन रहे ये दो योग
घटस्थापना के दौरान बन रहा है सर्वार्थ सिद्धि और अमृत सिद्धि योग. जिसके कारण कलश स्थापना का महत्व और बढ़ जाएगा.
ब्रह्मचारिणी पूजा का महत्व
यदि जातक के कुंडली में मंगल खराब या कमजोर हो तो विवाह समेत कई समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं. ऐसे में देवी ब्रह्मचारिणी की विधिपूर्वक पूजा उन्हें अवश्य करनी चाहिए.
मां ब्रह्मचारिणी का इतिहास
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां कुष्मांडा रूप के पश्चात देवी पार्वती ने दक्ष प्रजापति के घर में एक नए रूप में जन्म लिया. यह स्वरूप ही मां ब्रह्मचारिणी के नाम से प्रसिद्ध हुआ. इन्हें सती के रूप में भी जाना जाता है.
चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा
चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा विधिपूर्वक की जाएगी. जिसकी तिथि 14 अप्रैल को पड़ रही है.
नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री पूजा
नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना के साथ मां शैलपुत्री पूजा करने की परंपरा होती है. इन्हें हिमालय पुत्री भी कहा जाता है. जिन्हें पूजने से चंद्र दोष दूर होता है. उनके दाएं हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल होता है.
नवरात्रि पूजा में इस्तेमाल में लायी जानी वाली ये 9 पौधों की पत्तियां
केले का पत्र
दारूहलदी (कवी) पत्र
हल्दी पत्र
जयंती पत्र
बेल पत्र
अनार पत्र
अशोक पत्र
धान पत्र
अमलतास पत्र
दुर्गा पूजा जैसे और कौन से त्यौहार मनाए जाते है
चैत्र नवरात्र
शारदीय नवरात्रि
नेपाल में दशानन
कर्नाटक में मैसूर दसरा
चैत्र नवरात्रि की तिथियां (Chaitra Navratri 2021 Dates)
13 अप्रैल 2021, पहला दिन, मां शैलपुत्री पूजा
14 अप्रैल 2021, दूसरा दिन, मां ब्रह्मचारिणी पूजा
15 अप्रैल 2021, तीसरा दिन, मां चंद्रघंटा पूजा
16 अप्रैल 2021, चौथा दिन, मां कूष्मांडा पूजा
17 अप्रैल 2021, पांचवां दिन, मां स्कंदमाता पूजा
18 अप्रैल 2021, छठा दिन, मां कात्यायनी पूजा
19 अप्रैल 2021, सातवां दिन, मां कालरात्रि पूजा
20 अप्रैल 2021, आठवां दिन, मां महागौरी पूजा
21 अप्रैल 2021, नौवां दिन, मां सिद्धिदात्री पूजा
22 अप्रैल 2021, दसवां दिन, व्रत पारण
चैत्र नवरात्र 2021 पर मां के इन नौ स्वरूपों की करें पूजा
देवी शैलपुत्री (Devi Shailputri)
देवी ब्रह्मचारिणी (Devi Brahmacharini)
देवी चन्द्रघन्टा (Devi Chandraghanta)
देवी कुष्माण्डा (Devi Kushmanda)
देवी स्कन्दमाता (Devi Skandamata)
देवी कात्यायनी (Devi Katyayani)
देवी कालरात्रि (Devi Kalaratri)
देवी सिद्धिदात्री (Devi Siddhidatri)
देवी महागौरी (Devi Mahagauri)
घटस्थापना का दूसरा शुभ मुहूर्त
घटस्थापना का दूसरा शुभ मुहूर्त या अभिजित मुहूर्त सुबह 11.56 बजे से आरंभ हो रहा है जो 12.47 बजे तक रहेगा.
घटस्थापना का दूसरा शुभ मुहूर्त आरंभ: सुबह 11 बजकर 56 मिनट से
घटस्थापना का दूसरा शुभ मुहूर्त समाप्त: सुबह 12 बजकर 47 मिनट तक
क्यों नवरात्रि में मां का घोड़े की सवारी करके आना अशुभ
धार्मिक ग्रंथों और वरिष्ठ पंडितों की मानें तो नवरात्र पर मां का घोड़ पर आना संकट का संकेत होता है.
इससे देश पर आर्थिक संकट आ सकता है
पड़ोसी देशों से सीमा विवाद की संभावनाएं बढ़ जाती है
प्राकृतिक आपदा जैसे आंधी-तूफान आदि आ सकते हैं
इसके अलावा ये सत्ता पर बैठे लोगों के लिए भी चुनौतियों भरा समय हो सकता है
किस सवारी पर आयेंगी मां दुर्गे
इस बार घोड़े की सवारी करके आयेंगी मां दुर्गे. धार्मिक मामलों के जानकारों की मानें तो नवरात्रि पर मां का घोड़े पर आना अशुभ संकेत है.
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त व तिथि (Chaitra Navratri Kalash Sthapana Muhurat 2021)
कलश स्थापना का 13 अप्रैल को होना है. जिसका शुभ मुहूर्त सुबह 5.58 बजे से शुरू हो जाएगा. जो 10.14 बजे तक रहेगा.
कलश स्थापना तिथि: 13 अप्रैल 2021
कलश स्थापना शुभ मुहूर्त आरंभ: सुबह 5 बजकर 58 मिनट से
कलश स्थापना शुभ मुहूर्त समाप्त: सुबह 10 बजकर 14 मिनट तक
कलश स्थापना की शुभ मुहूर्त कुल अवधि: 4 घंटे 16 मिनट की
चैत्र नवरात्र 2021 का महत्व
ऐसी मान्यता है कि पूरे नवरात्र जो व्यक्ति मां के सभी स्वरूपों का विधिपूर्वक पूजा करता है. उसके जीवन के कष्ट समाप्त हो जाते है. घर में सुख-शांति और धन-वैभव आता है. मां शत्रुओं का नाश करती है और तरक्की के मार्ग खोलती हैं.