13 अप्रैल से नवरात्रि का पावन पर्व शुरू हो रहा है. इसस दौरान नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना की जाती है. साल के विशेष पर्वों जैसे कि होली,दिवाली, शादी-ब्याह, जन्म की तरह ही नवरात्रि मे भी कुल देवी- देवता और हमारे ईस्ट देवी- देवता की विशेष पूजा की जाती है. वैसे तो कुल देवी- देवता का संबंध उस कुल से ही होता और पूजा के बाद बांटी जाने वाली प्रसाद सिर्फ उस कुल के सदस्यों को ही दी जाती. पर क्या आप जानते उस कुल की विवाहित बेटियों को यह प्रसाद नहीं दिया जाता.तो आइए जानते है इसके पीछे के कारण-
हमने अक्सर कुल देवी- देवताओं के बारे मे और उनके लिए की गई विशेष पूजा अर्चना के बारे मे सुना है. कुल देवी- देवता वें होते है जो हमारे पूर्वजों के द्वारा किसी एक या एक से अधिक देवी देवता को अपना इस्ट देवता मानकर पूजे जाते है. बाद मे यही देवता पीढ़ी दर पीढ़ी उनके बच्चों द्वारा पूजे जाते है. घर का कोई एक सदस्य इनकी पूजा करता है और देवता इसी सदस्य के द्वारा पूजा स्वीकार करते है. हर कुल के अपने अलग देवता होते है और उसके अनुसार उन्हे भोग, वस्त्र आदि चढ़िए जाते है.
मुख्य रूप से इन देवी देवताओं को घर के किसी एक कमरे मे विशेष स्थान दिया जाता है. ये कमरा साल मे सिर्फ पूजा के दौरान ही खोला जाता है. बाकी समय इसमे जाने की मनाही रहती है. आज के समय मे बहुत से लोग अपने परिवारों को गाँव मे छोड़ कर शहर कमाने के लिए निकाल जाते है, ऐसे मे भी उनके कुल देवी- देवता वही रहते है और कोई एक सदस्य गाँव में रहकर उनकी पूजा करता है. घर बदलने की स्तिथि में भी कुल देवी- देवता को उनके पैतृक घर मे ही रखा जाता है.परिवार के सदस्यों के अलग हो जाते पर भी कुल देवता का स्थान वही रहता और साल के खास मौकों पर पूरे परिवार को एक साथ मिलकर इनकी पूजा करनी होती.
नवरात्रि की पूजा की ही तरह कुल देवी- देवताओं की भी पूजा नवरात्रि के प्रथम दिन से शुरू हो जाती. इसके लिए कुल देवी – देवता द्वारा चुने गए परिवार के सदस्य के द्वारा नौ दिनों तक इनकी पूजा की जाती. अलग–अलग देवता के अनुसार इन्हे चावल, गुड ,बताशे, सिंदूर, रोली, चुनरी, धोती, जेनेव आदि चढ़ाए जाते. इसके साथ ही नौ दिनों तक सुबह शाम इनकी पूजा की जाती. नवरात्रि के नौवें दिन इनकी विशेष पूजा होती. इस दिन इन्हे भोग के रूप में हलवा पूरी चढ़ाया जाता. बहुत से कुल मे इस दिन बलि देने की भी प्रथा है.
ऐसी मान्यता है कि शादी के बाद बेटियाँ दूसरे कुल, अर्थात अपने ससुराल के कुल की हो जाती. ऐसे मे यदि उन्हे नवरात्रि के समय लगाए गए भोग को दिया जाता तो कुल देवी- देवता आपका घर छोड़ कर बेटी के घर चले जाते. जिसके बाद बेटी के ससुराल वालों को उनकी पूजा करनी पड़ती और वें उनके इस्ट देवता बन जाते. इसी कारण से नवरात्रि में कुल देवी – देवता का प्रसाद शादीशुदा बेटियों को नहीं दिया जाता. एक और मान्यता के अनुसार कुल देवी – देवता को चढ़ाए जाने वाले सामान मे सफेद चावल और अलग से हल्दी चढ़ाई जाती, हल्दी लगी चावल को चढ़ाने से भी कुल देवी देवता विवाहित बेटी के ससुराल चले जाते है.