Chanakya Niti: बच्चों के सामने भूलकर भी न करें ये चार काम, नहीं तो पछताना पड़ेगा
आचार्य चाणक्य के संदेश में अद्भुत जीवन मूल्य हैं. उनके संदेश भी जीवन के लिए मार्गदर्शक हैं. इसी तरह आचार्य ने माता-पिता को कुछ संदेश दिया है. आइए जानें कि उन्होंने माता-पिता को अपने बच्चों के सामने क्या गलत नहीं करने के लिए कहा हैं.
आचार्य चाणक्य को राजनीति, अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र आदि सभी विषयों का गहन ज्ञान था. आचार्य चाणक्य का एक-एक संदेश आज और हमेशा प्रासंगिक है. अगर हम चाणक्य की नीति अपनाएंगे तो जीवन और भी शानदार लगेगा. आचार्य के संदेश में अद्भुत जीवन मूल्य हैं. उनके संदेश भी जीवन के लिए मार्गदर्शक हैं. इसी तरह आचार्य चाणक्य ने माता-पिता को कुछ संदेश दिया है. आइए जानें कि उन्होंने माता-पिता को अपने बच्चों के सामने क्या गलत नहीं करने के लिए कहा हैं.
Also Read: IRCTC Goa Tour Package: गोवा घूमने का मना रहे हैं मन, तो रहने-खाने की चिंता छोड़ उठाए यात्रा का आनंदबच्चे भगवान के समान होते हैं. इसके अलावा, बच्चे का दिमाग गीली मिट्टी की दीवार की तरह होता है. इसलिए बच्चों को बहुत प्यार से बड़ा करना चाहिए. बच्चों को पांच साल की उम्र तक हर बात बेहद प्यार से समझानी चाहिए. बच्चे मासूम हैं. बच्चे जानबूझ कर गलती नहीं करते. ऐसे में बच्चों को समान प्रेम से शिक्षा देनी चाहिए. इसके अलावा, आपके बच्चे आपको देखकर सीखेंगे. यदि आपके बच्चे विनम्र और सुसंस्कृत बनना चाहते हैं तो सबसे पहली चीज़ जो करने की ज़रूरत है वह है उनकी भाषा में सुधार करना. इसके लिए आपको उनके सामने अच्छी भाषा का भी प्रयोग करना चाहिए.
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जब बच्चा पांच साल का हो जाता है तो कुछ हद तक चीजें समझने लगता है. माता-पिता को अपने बच्चों के सामने एक-दूसरे की गलतियों के बारे में बात करनी चाहिए और ध्यान रखना चाहिए कि उनकी शिकायतों को उजागर न किया जाए. इससे बच्चे भी परेशान होते हैं. इसके अलावा, वे इसका अनुसरण करते हैं.
Also Read: WARNING: खाना पकाने का मन नहीं या चाहिए कुछ चटपटा, चलो ऑनलाइन मंगाते हैं खाना ! ठहरिए, पहले यह पढ़िएचाणक्य नीति के अनुसार, माता-पिता के लिए एक-दूसरे के प्रति सम्मानजनक, प्रतिष्ठित और समान रूप से प्यार करने वाला होना महत्वपूर्ण है. ताकि बच्चे भी एक-दूसरे का सम्मान करना सीखें. घर के लोगों से भी उनका वैसा ही प्रेम रहेगा. जैसा कि पहले बताया गया है, किसी भी कारण से बच्चों के सामने अपमानजनक शब्दों या अपशब्दों का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए. इससे भविष्य में आपको और बच्चों को भी परेशानी हो सकती है. इसलिए बच्चों को संस्कारित बनाने का दायित्व भी माता-पिता पर है.
झूठ सदैव शत्रु होता है. इसी तरह आचार्य चाणक्य ने भी अपने नीतिशास्त्र में माता-पिता को यही सलाह दी है. झूठ की बात करें तो माता-पिता को कभी भी अपने बच्चों के सामने झूठ नहीं बोलना चाहिए. इसके अलावा माता-पिता को अपने बच्चों को प्यार से यह बताने की जरूरत है कि उन्हें किसी भी वजह से झूठ नहीं बोलना चाहिए. कभी-कभी माता-पिता अपने स्वार्थ के लिए अपने बच्चों के सामने झूठ बोलते हैं या बच्चों से झूठ बोलते हैं. अगर आप अपने बच्चों के सामने झूठ बोलते हैं तो यह खतरा रहता है कि छोटे बच्चों को भी इसकी आदत हो जाएगी.