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Chanakya Niti: बहुत कष्टदायक होता है ऐसे लोगों का जीवन, घर वाले भी रहते हैं परेशान

Chanakya Niti: चाणक्य के मुताबिक, इंसान के जीवन में कुछ चीजें अत्यंत ही कष्टदायक होती है. वह खुद तो परेशान रहता ही है साथ ही उसकी वजह से सगे संबंधियों को भी बहुत परेशानी झेलनी पड़ती है.

Chanakya Niti: चाणक्य नीति का मकसद इंसान के जीवन को सरल और समृद्ध बनाना है. आचार्य चाणक्य ने व्यक्तित्व के निर्माण से लेकर समाज और राष्ट्र के प्रति उत्तरदायित्व तक की बातें चाणक्य नीति में शामिल की हैं. चाणक्य नीति में लिखी बातें कठिन मार्ग को आसान बनाने का काम करता है. जो व्यक्ति इसको अच्छे तरीके से पढ़कर और समझा कर जीवन में पालन करता है वह एक न एक दिन जरूर सफल होता है. आचार्य चाणक्य ने नीतिशास्त्र के माध्यम से इंसान के गुणों की तो बात करते ही हैं साथ ही उनके अवगुणों को लेकर ज्यादा मुखर होते हैं. चाणक्य के मुताबिक, इंसान के जीवन में कुछ चीजें अत्यंत ही कष्टदायक होती है. वह खुद तो परेशान रहता ही है साथ ही उसकी वजह से सगे संबंधियों को भी बहुत परेशानी झेलनी पड़ती है. ऐसे में आइए जानते हैं कि ये कौन सी बातें हैं जो कि इंसान के जीवन को बहुत ही कष्टदायक बनाते हैं.

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  • आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जो इंसान मूर्ख है, जो खुद से कोई काम नहीं कर सकता है. उसका जीवन बहुत ही कष्टदायक होता है. वह जिंदगी भर परेशान तो रहता ही है साथ ही ऐसे इंसान से जुड़े लोगों का भी जीवन बहुत पीड़ादायक होता है. मूर्ख व्यक्ति जितना खुद को प्रभावित करता है, उतना ही दूसरों को भी प्रभावित करता है.
  • चाणक्य नीति के मुताबिक, इंसान का यौवन यानी जवानी भी अत्यंत कष्टदायक होती है, क्योंकि इंसान जवानी में काम, क्रोध, अनैतिक कामों में बहुत जल्द फंस जाता है. इंसान अपना बना बनाया काम बिगाड़ सकता है. इंसान जवानी में बुरी आदतों की ओर बहुत जल्द आकर्षित होता है. ऐसे में जो इंसान एक बार बुरी लत में फंस जाए तो उससे निकलना बहुत ही दुष्कर काम हो जाता है. जो इंसान जवानी में बिगड़ जाता है वह तो अपना नुकसान करता ही है. साथ ही उससे जुड़े लोगों को भी अनेक कष्ट झेलने पड़ते हैं.
  • चाणक्य नीति के अनुसार, इन दोनों से ज्यादा कष्टदायक स्थिति तब होती है, जब इंसान का अपना घर नहीं होता है. दूसरे के घर में रहने वाला इंसान का जीवन बहुत ही पीड़ादायक होता है, क्योंकि दूसरे के घर में रहने वाले इंसान की स्वतंत्रता खत्म हो जाती है. वह दूसरों के हिसाब से अपना जीवन जीता है. इस वजह से इंसान का पूर्ण विकास नहीं हो पाता है.

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Disclaimer: यह आर्टिकल सामान्य जानकारियों और मान्यताओं पर आधारित है. प्रभात खबर इसकी पुष्टि नहीं करता है.

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