Chanakya Niti: व्यक्ति के दुख में हमेशा ये बनते हैं सहारा
Chanakya Niti: इस लेख में आपको वैसे तीन लोगों के बारे में बतलाया गया है, जो आचार्य चाणक्य की नीति के अनुसार व्यक्ति के जीवन में दुख आने पर उसका सबसे बड़ा सहारा बनते हैं.
Chanakya Niti: आपने कई लोगों को जिन्दगी के बारे में ऐसा कहते जरूर सुन होगा कि सुख और दुख तो जिन्दगी के हिस्से है. इन दोनों भावनाओं के बिना जिन्दगी की कल्पना कर पाना संभव नहीं है या ऐसा कह सकते हैं कि इन दोनों भावनाओं के बिना जिन्दगी एकदम नीरस और अर्थहीन हो जाती है. इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि हमें जिन्दगी में ऐसे लोगों की हमेशा जरूरत होती है, जो इन दोनों परिस्थितियों में हमारे साथ रहे. सुख में उनकी जरूरत इसलिए होती है क्योंकि सुख में जब कोई अपना शामिल होता है तो, खुशी और बढ़ जाती है. वैसे ही दुख में किसी का साथ मिलने से दर्द कम हो जाता है. आचार्य चाणक्य ने अपनी चाणक्य नीति में ऐसे ही कुछ लोगों के बारे में बतलाया है जो व्यक्ति के दुख में हमेशा उसके साथ खड़े रहते हैं.
पुत्र और पुत्री
आचार्य चाणक्य का मानना है कि जब व्यक्ति के जीवन में दुख के बादल आते हैं तो, उसके पुत्र और पुत्री उनकी हर प्रकार से सेवा करने के लिए तैयार हो जाते हैं. पुत्र और पुत्री में यह गुण भी होता है कि वो बिना बताए ही अपने माता-पिता के दुख को समझ जाते हैं और उनकी सेवा में अपना सब कुछ समर्पित कर देते हैं.
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जीवन साथी
जीवन साथी को इसलिए ही जीवन साथी कहा जाता है क्योंकि यह जीवन भर आपका साथ देता है. आचार्य चाणक्य का मानना है कि व्यक्ति जब दुख में रहता है तो उसका जीवन साथी उसके दुख के सामने ढाल बनकर खड़ा हो जाता है. कई बार, जीवनसाथी भले ही दुख खत्म करने में सक्षम ना हो पाए लेकिन दुख बांटने के लिए हमेशा तैयार रहता है.
भगवान के भक्त
आचार्य चाणक्य का यह मानना है कि जो व्यक्ति भगवान के सच्चे भक्त होते हैं, वो दुख में पड़े इंसान को अच्छे तरीके से सहारा दे पाते हैं. भक्त की बातें दुखी व्यक्ति को सहारा और आशा दोनों देती हैं.
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