Chanakya Niti: चाणक्य की गिनती महान आचार्यों में गिनी जाती है. वह न सिर्फ अर्थशास्त्री थे बल्कि एक कुशल रणनीतिकार भी थे. उन्होंने नीतिशास्त्र नामक एक ग्रंथ लिखी थी, जिसे आज चाणक्य नीति के नाम से जाना जाता है. इस किताब में आचार्य चाणक्य ने स्त्री-पुरुष सभी के गुणों और अवगुणों को बताए हैं. साथ ही उन्होंने मनुष्य के लिए जो काम अनुचित हैं उन्हें तुरंत छोड़ने की भी बात कहते हैं. चाणक्य नीति के अध्याय 4 में कुछ ऐसी बातें बताई लिखी गई हैं. अगर इंसान सफलता की चाहत रखता है तो तुरंत त्याग कर देना चाहिए. इससे जीवन में लाभ मिलने के बजाय नुकसान ही होता है.
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जिस गुरु के पास ज्ञान न हो
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जिस गुरु के पास ज्ञान नहीं है अर्थात विद्या से हीन गुरु का त्याग कर देना चाहिए. यह मनुष्य के लिए हितकर होता है, क्योंकि गुरु का कर्तव्य होता है अपने शिष्य को ज्ञान देना. ऐसे में जो गुरु अनपढ़ और मूर्ख है उससे गुरु बनाने से कोई लाभ नहीं मिलता है.
गुस्सैल स्त्री का करें त्याग
चाणक्य नीति के मुताबिक, पति को सुख देने का काम पत्नी का होता है. ऐसे में जो पत्नी गु्स्सैल स्वभाव की हो या हर समय वह क्रोध करती हो, उस स्त्री का तुरंत त्याग कर देना चाहिए. पत्नी का यह स्वभाव पति को कभी आगे बढ़ने में मदद नहीं करती है.
ऐसे बंधु-बांधवों का करें तुरंत त्याग
चाणक्य नीति में लिखा है कि रिश्तेदार, बंधु-बांधव दुख में साथ देने का काम करते हैं. लेकिन अगर इनमें प्रेम और स्नेह का अभाव हो तो तुरंत ऐसे संबंधियों का त्याग कर देना चाहिए. इस तरह के रिश्तेदारों से कोई लाभ नहीं मिलता है.
दया और ममता से रहित धर्म
आचार्य चाणक्य ने यह भी कहा है कि जिस धर्म में दया और ममता का कोई स्थान न हो उस धर्म का त्याग करना ही उचित होता है, क्योंकि धर्म का काम दया, अहिंसा और प्रेम का संदेश देने का होता है.
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