बच्चे का हर गलती पर सजा देने की आदत बदलिए वरना भुगतना पड़ेगा नुकसान
किसी भी व्यक्ति के जीवन का सबसे चुनौतीपूर्ण समय तब होता है, जब वे मां-बाप बनते हैं. बच्चे बगीचे के नन्हे पौधे की तरह होते हैं, उन्हें जितना प्यार से संभाला जाए वो उतने ही फलते हैं और उनके विकास के लिए सबसे सही उम्र बचपन ही होता है जिन्हें हैंडल विद केयर के मंत्र के साथ परवरिश देनी चाहिए.
बच्चों के साथ ना बनें बेदर्द
किसी भी बच्चे के उज्ज्वल भविष्य के लिए सही परवरिश के साथ उसके वर्तमान का खुशहाल होना बेहद जरूरी होता है. बच्चे का अधिकतम विकास किशोर अवस्था तक पहुँचने से पहले ही हो जाता हैं. यह वो समय होता है जब एक बच्चे को माता- पिता की सबसे अधिक आवश्यकता होती है. इंसान ताउम्र गलतियां करता है और उससे सिखता है. बच्चों से भी अक्सर गलतियां हो जाती है. बच्चों की गलतियों पर कई माता-पिता उन्हें सज़ा देते हैं जिसमें जोऱ से डांटना, चिखना-चिल्लाना, मारना और गालियां देना भी शामिल होता है. उन्हें इस चीज़ का अंदाज़ा तक नहीं होता है कि आज की उनकी ये सज़ा उनके बच्चे के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है. अगर आप भी अपने बच्चे को उनके द्वारा की गई गलतियों पर डांटते हैं, तो इसे जरूर पढ़ें.
शारीरिक विकास पर असर
फिजिकल पनिशमेंट आपके बच्चों में कोई सुधार नहीं लाती है और इससे आपके बच्चों का शारीरिक विकास भी प्रभावित होता है. इसलिए इसकी बजाए आप अपने बच्चों को सजा देने के लिए कुछ और तरीकों का प्रयोग भी कर सकते हैं। बच्चों का शारीरिक विकास होने के दौरान अगर उन्हें शारीरिक प्रताड़ना, डांट, मारपीट जैसे अनुभवों का सामना करना पड़े तो उनका विकास नकरात्मक रूप से प्रभावित हो सकता है
ख़त्म हो जाता है डर
बच्चों की पिटाई अगर अक्सर की जाये तो उनके अंदर से पिटाई का डर निकल जाता है. अगली बार बच्चा फिर वही गलती ये सोच कर दोहराता है कि ज्यादा से ज्यादा पिटाई तो होगी. इस तरह उसकी गलती दोहराने की रफ़्तार बढ़ती जाती है और वो सुधरने की बजाय बिगड़ने लगता है.
बच्चों के अंदर गुस्से की भावना
अक्सर ही मार-पिटाई सहते हुए बच्चों के अंदर गुस्से की भावना जन्म लेने लगती है. कई बार कुछ बच्चे पेरेंट्स को जवाब देकर या किसी और तरह की प्रतिक्रिया देकर गुस्सा शांत कर लेते हैं लेकिन कई बच्चे इस गुस्से को अपने अंदर रख लेते हैं जिसको वो किसी और इंसान पर निकालते है. ये स्थिति किसी के लिए भी सही नहीं होती
बच्चों के साथ दोस्ती का रिश्ता बनाएं
अपने बच्चों को हमेशा प्यार से समझाने की कोशिश करें . एक उम्र के बाद अपने बच्चों के साथ दोस्ती का रिश्ता बनाना बेहद जरूरी हो जाता है, ये आपको और आपके बच्चे को एक साथ जोड़ कर रखने में मदद करेगा. अगर बच्चा कोई गलती करता है तो बार बार उसे सजा देने से पहले अपने बर्ताव को भी चेंज करें. उसे प्यार से अपने पास बुलाकर उसकी बातें सुनें और इस गलती का परिणाम क्या होगा. इसे समझाने की कोशिश करें.
मारपीट से कोमल मन होता है चोटिल
बच्चों का कोमल मन प्यार खोजता है. आप जैसा आचरण उसके साथ करेंगे वो आपसे वैसा ही सिखेगा. अगर आप छोटी गलती पर अपना गुस्सा काबू नहीं कर पाते हैं तो आपका बच्चा भी वैसा ही बनेगा. और जब वह बड़ा होगा तो संवेदनशील इंसान नहीं बल्कि जल्द ही आपा खोने वाला बनेगा. हो सकता है कि दर्दनाक बचपन की यादें उसके जेहन पर बार -बार चोट करें. ऐसे बच्चे मानसिक विकार से भी प्रभावित हो सकते हैं.
बच्चे की उम्र देखते हुए प्यार से समझाएं
बच्चों को उनकी गलतियों के बारे में बताना और समझाना बहुत जरूरी है लेकिन उसका तरीका जरूर बदलना चाहिए. बच्चे की उम्र को देखते हुए उसे पहले प्यार से समझाएं और सही गलत का फर्क बताएं. उसका भरोसा जीतें ताकि आप समझ सकेंगे कि आपका बच्चा आखिर ऐसी गलती बार-बार क्यों कर रहा है ? क्या वो आपका अटेंशन पाना चाहता है या वाकई कोई बात है. इसलिए पैरेंटिंग में समय पर सख्त बनना चाहिए लेकिन इतना नहीं कि किसी की आत्मा चोटिल हो. क्योंकि आज का स्वस्थ बचपन कल का स्वस्थ युवा बनेगा.
रिपोर्ट : साक्षी
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