मौसम का बदला मिजाज, El Nino दे रहा भीषण गर्मी की चेतावनी

El Nino severe effects: गैरतलब है कि अल नीनो एवं ला नीना (El Nino and La Nina) जटिल मौसम पैटर्न हैं, जो प्रशांत महासागरीय क्षेत्र में समुद्र के तापमान के ठंडे या गर्म होने की वजह से घटित होते हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 17, 2023 5:14 PM

सीमा जावेद

पिछले लगातार तीन साल से ला-निना (La Nino) प्रभाव बना हुआ था जिसके चलते जिसमें भूमध्य रेखा के पास वातावरण ठंडा रहता है. अब इस साल मौसम वैज्ञानिकों ने अल नीनो जलवायु पैटर्न की उच्च संभावना जताते हुए भीषण गर्मी की चेतावनी है.

अचानक मौसम का बदला मिजाज

फरवरी का महीना शुरू होते ही मौसम ने अपने तेवर बदलने शुरू कर दिये . हालांकि कड़कती ठंड से अचानक मिली राहत से लोग खुश हैं मगर इस तरह अचानक मौसम का बदला मिजाज , पिछले साल (2022) में पड़ी जानलेवा गर्मी की याद दिला रहा है .

हो रही है तापमान में धीरे-धीरे वृद्धि

ऐसे में मौसम वैज्ञानिकों की अल नीनो जलवायु पैटर्न की भविष्यवाणी साकार होती दिख रही है. वैज्ञानिकों का अनुमान है कि जून, जुलाई और अगस्त के महीने में अल-निनो प्रभाव की 50% संभावना है. जलवायु परिवर्तन के चलते उपजी ग्लोबल वार्मिंग से पिछले कुछ सालों में हम गर्मी के तापमान में धीरे-धीरे वृद्धि होते देख रहे हैं. अधिकतम तापमान रिकॉर्ड तोड़ रहा है और अब यह वैश्विक माध्‍य तापमान में वृद्धि के साथ खड़ा है.

अल नीनो जलवायु पैटर्न का प्रभाव करेगा ये काम

अभी कुछ ही समय पहले जलवायु के प्रभावों, जोखिम शीलता( क्राइसिस) और अनुकूलन( एडेप्टेशन) के बारे में जारी आईपीसीसी की डब्‍ल्‍यूजी 2 रिपोर्ट के मुताबिक अगर प्रदूषणकारी तत्‍वों के उत्‍सर्जन में तेजी से कमी नहीं लायी गयी तो गर्मी और उमस ऐसे हालात पैदा करेंगी जिन्‍हें सहन करना इंसान के वश की बात नहीं रहेगी. भारत उन देशों में शामिल है जहां ऐसी असहनीय स्थितियां महसूस की जाएंगी. ऐसे में अल नीनो जलवायु पैटर्न का प्रभाव सोने पर सुहागा का काम करेगा.

2022 में करीब सवा सौ साल का रिकॉर्ड टूटा

2022 में मार्च के आगमन पर ही मध्‍य भारत, खासतौर से राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र तथा मध्य प्रदेश और तेलंगाना से सटे क्षेत्रों में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से काफी ऊपर पहुंच गया था और पूरा भारत भयंकर तपिश से गुजरा . साल 2022 में हीट वेव के मामले में करीब सवा सौ साल का रिकॉर्ड टूट गया. यूरोप ने पहली बार अनुभव किया कि थर्ड वर्ल्ड कहे जाने वाले कई देश आखिर गर्मी की कैसी मार झेलते हैं.

1990 से 2018 तक, दुनिया के हर क्षेत्र में आबादी हर साल तपती गर्मी की चपेट में है. भारत में रिकॉर्ड तोड़ गर्म मौसम में चढ़ता पारा हर साल प्रचंड कहर बरपा करता है और पूरे उत्तर भारत को झुलसा देता है.

जानें क्या है अल नीनो एवं ला नीना

गैरतलब है कि अल नीनो एवं ला नीना (El Nino and La Nina) जटिल मौसम पैटर्न हैं, जो प्रशांत महासागरीय क्षेत्र में समुद्र के तापमान के ठंडे या गर्म होने की वजह से घटित होते हैं. अल नीनो एक जलवायु पैटर्न है जो पूर्वी प्रशांत महासागर में सतही जल के असामान्य रूप से गर्म होने की स्थिति को दर्शाता है. इसमें प्रशान्त महासागर में भूमध्य रेखा के आसपास समुद्र असामान्य रूप गर्म हो जाता है जिसका भारत के तापमान पर असर पड़ता है.

ग्रीन कवर को नुकसान

चरम स्‍तर पर गर्म जलवायु की वजह से पिछले कुछ दशकों के दौरान आर्थिक और सामाजिक रूप से हाशिये पर खड़े नागरिकों पर सबसे ज्‍यादा असर पड़ा है.उस पर से गजब यह है की कंक्रीट और निर्माण सामग्री में हवा के बंध जाने की वजह से मौसम गर्म बना रहता है. द अरबन हीट आइलैंड (यूएचआई) नगरीय क्षेत्रों को गर्म करने में अहम भूमिका निभा रहा है. ग्रीन कवर को नुकसान और शहरों में सड़क चलते ज्यादातर लोगों के लिये छांव नहीं होने भी सोने पर सुहागा का असर दिखाता है. इस साल भी जिस अन्दाज से मौसम बदल रहा है उससे उत्‍तर-पश्चिम के मैदानों में ग्रीष्‍मलहर के हालात के लिये जमीन तैयार हो रही है.

लेखिका पर्यावरणविद हैं

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