Channapatna Dog Temple: कुत्तों की होती है इस अनोखे मंदिर में पूजा, जानें कहां हैं और कैसे पहुंचे

Channapatna Dog Temple: कर्नाटक में चन्नापटना में चन्नापटना डॉग टेंपल छोटे से गांव अग्रहारा वलागेरहल्ली में स्थित है. स्थानीय तौर पर इसे 'नई देवस्थान' के नाम से जाना जाता है, जहां स्थानीय कन्नड़ भाषा में 'नाई' का मतलब 'कुत्ता' होता है, इसे 2010 में रमेश नाम के एक व्यापारी ने बनवाया था.

By Shaurya Punj | July 26, 2023 11:34 AM

Channapatna Dog Temple: कई लोग घर में पालतू जानवर पालते हैं, जिसमें से कुत्ता कई लोगों का फेवरेट होता है. शिवजी के गणों में एक काले श्वान यानी कुत्ते का भी जिक्र आता है, जिसकी शिवचरणों में उसकी प्रवृति ने तुच्छ जीव को भी निर्वाण का अधिकारी बना दिया और शिवगणों में उसने भी अहम स्थान हासिल किया. भैरव वाहन के रुप में काले श्वान की पूजा होती है, मूर्तियां लगाई जाती हैं. काले कुत्तों को पकवान खिलाए जाते हैं. कर्नाटक राज्य में रामनगर जिले के चन्नापटना में एक मंदिर में कुत्तों की पूचा अर्चना की जाती है, जो कि इस मंदिर को अन्य मंदिरों से अलग बनाती है. आइए जानें कैसे पहुंचे इस खास मंदिर में

2010 में बनकर तैयार हुआ था मंदिर

कर्नाटक में चन्नापटना में चन्नापटना डॉग टेंपल छोटे से गांव अग्रहारा वलागेरहल्ली में स्थित है. स्थानीय तौर पर इसे ‘नई देवस्थान’ के नाम से जाना जाता है, जहां स्थानीय कन्नड़ भाषा में ‘नाई’ का मतलब ‘कुत्ता’ होता है, इसे 2010 में रमेश नाम के एक व्यापारी ने बनवाया था.

जानें क्यों खास है चन्नापटना का ये मंदिर

यह एक दुर्लभ कुत्ते का मंदिर है जो कर्नाटक में कहीं नहीं पाया जाता है. इस गांव में यह भी मान्यता है कि अगर कोई भगवान से प्रार्थना करता है तो उसकी मनोकामना पूरी हो जाती है. इसी बात को ध्यान में रखते हुए वर्ष में एक बार इस गांव में आयोजित होने वाले जात्रा महोत्सव (मेला) के लिए राज्य के विभिन्न हिस्सों से हजारों भक्त यहां आते हैं. भक्त पहले कुत्तों को प्रणाम करते हैं और फिर वीरमस्ति केम्पम्मा देवी के दर्शन करते हैं. यह आस्था है कि चन्नापट्टना के वलागेरेहल्ली गांव में कुत्तों को विशेष प्राथमिकता मिली है.

क्या है मंदिर के बनने के पीछे की कहानी

इस मंदिर के निर्माण को लेकर हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट बताती है कि कर्नाटक में जिस जगह पर यह मंदिर बना हुआ, वहां पर स्थानीय स्तर पर केमपम्मा देवी की पूजा होती है. ऐसे में यहां मंदिर बनाने के लिए एक व्यापारी ने रुपये दान किए, जिसके बाद मंदिर का निर्माण शुरू हुआ, तो दो कुत्ते यहां पर आकर रहने लगे, जिन्हें गांव वालों ने पाला. वहीं, जब मंदिर का निर्माण पूरा हो गया, तो वे कुत्ते वहां से चले गए और किसी को नहीं मिले. रिपोर्ट के मुताबिक, गांव के किसी व्यक्ति के सपने में आकर देवी ने कुत्तों को वहां लाने के लिए कहा, लेकिन काफी ढूंढने के बाद भी वे कुत्ते नहीं मिले. ऐसे में ग्रामिणों ने मंदिर में कुत्तों की मूर्ति बनाने का निर्णय लिया.

खिलौनों के शहर नाम से है मशहूर

यदि आप उन लोगों में से हैं जिन्हें अनोखी जगहों पर जाना पसंद है तो आपको इस मंदिर के दर्शन अवश्य करने चाहिए. यदि नहीं, तो इसे देखें और जानें कि क्यों चन्नापटना को ‘खिलौनों का शहर’ कहा जाता है और दुनिया भर से लोग इसे देखने आते हैं. हाँ, चन्नापटना शहर रंग-बिरंगे लैकरवेयर और लकड़ी के खिलौनों और गुड़ियों के उत्पादन के लिए बेहद लोकप्रिय है, जो बिल्कुल आश्चर्यजनक लगते हैं.

चन्नापटना में बने खिलौने अपने मनमोहक डिज़ाइन और त्रुटिहीन शिल्प कौशल के लिए जाने जाते हैं. ये खिलौने मुख्य रूप से हाथीदांत की लकड़ी, देवदार की लकड़ी और चंदन से बने होते हैं, जो उन्हें एक पॉलिश रूप देते हैं और उनमें प्राकृतिक रंग भी लगाते हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति ने जब 2010 में भारत का दौरा किया था तो उन्होंने भी चन्नापटना खिलौनों की खरीदारी की थी, इसके बाद ये खिलौने काफी चर्चा में आए.

कैसे पहुंचे चन्नापटना

बेंगलुरु में केम्पेगौड़ा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा और बेंगलुरु सिटी रेलवे स्टेशन क्रमशः चन्नपटना की सेवा देने वाले निकटतम हवाई अड्डे और रेलवे स्टेशन हैं. आप हवाई अड्डे और रेलवे स्टेशनों के बाहर से चन्नापटना के लिए सीधी बस प्राप्त कर सकते हैं. या आप अपने बजट के अनुरूप कैब या टैक्सी भी किराये पर ले सकते हैं. चन्नापटना केंद्र से, मंदिर अग्रहारा वलागेरेहल्ली गांव के अंदर लगभग 20 किमी दूर स्थित है.

कुत्तों की बनी यह समाधि लोगों के लिए है आस्था का विषय

गाजियाबाद के पास चिपिया गांव के अंदर भैरव बाबा का मंदिर है. यहां बना कुत्ता मकबरा लोगों की आस्था का केंद्र है. कुत्ते के मकबरे के पास एक हॉजपॉज बनाया गया है. ग्रामीणों के अनुसार इस कुण्ड में स्नान करने से कुत्ते के काटने का प्रभाव समाप्त हो जाता है. लोग इस कुत्ते की कब्र पर प्रसाद चढ़ाते हैं और एक-दूसरे को बांटते भी हैं.

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