Chhat Puja 2022: छठ पूजा का सबसे खास दिन आज, डूबते सूर्य को अर्घ्य देने के क्या हैं नियम और विधि…

Chhat Puja 2022: पूरे देशभर में छठ पूजा का महापर्व बड़ी उत्साह के साथ मनाया जा रहा है. यह पर्व चार दिनों का होता है. जिसमें आज का दिन खास माना जाता है. आज शाम को डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. छठ महापर्व ही ऐसा पर्व है जहां डूबते सूरज की अराधना की जाती है. जानें अर्घ्य देने की विधि और नियम

By Bimla Kumari | October 30, 2022 11:58 AM

Chhat Puja 2022: पूरे देशभर में छठ पूजा का महापर्व बड़ी उत्साह के साथ मनाया जा रहा है. यह पर्व चार दिनों का होता है. जिसमें आज का दिन खास माना जाता है. आज शाम को डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. आज कार्तिक माह शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि है. इस दिन व्रत रखने वाली महिलाएं शाम के समय डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर छठ माई से संतान की लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं. आइए जानते हैं आज सूर्यास्त का समय और अर्घ्य देने की विधि…

संध्या अर्घ्य देने का मुहूर्त

आज षष्ठी तिथि है. इस दिन संध्या अर्घ्य देने का मुहूर्त सबसे प्रमुख होता है. संध्या अर्घ्य मुहूर्त में सूर्यास्त के समय सूर्य देव को जल चढ़ाया जाता है. वहीं अगले दिन सप्तमी को ऊषा अर्घ्य मुहूर्त महत्वपूर्ण है. इसमें उगते हुए सूर्य को जल चढ़ाने का विधान है. सूर्यास्त का समय 05 बजकर 34 मिनट. इस दिन अस्तांचलगामी सूर्य देव को सायंकालीन अर्घ्य का समय शाम 5 बजकर 29 से 5 बजकर 39 बजे तक.

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छठ पूजा में इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री

बांस की 3 बड़ी टोकरी, बांस या पीतल के बने 3 सूप, थाली, दूध और ग्लास, नारियल, हल्दी, गन्ना, सुथनी, सब्जी और शकरकंदी, चावल, लाल सिंदूर, दीपक, नाशपाती, बड़ा नींबू, शहद, पान, साबूत सुपारी, कैराव, कपूर, चंदन और मिठाई, प्रसाद के रूप में ठेकुआ, मालपुआ, खीर-पुड़ी, सूजी का हलवा, चावल के बने लड्डू आदि.

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अर्घ्य एवं पूजा विधि

सबसे पहले छठ पूजा में उपयोग होने वाली सभी सामग्रियों को एक बांस की टोकरी में रखें. वहीं, सूर्य को अर्घ्य देते समय सभी प्रसाद सूप में रखें और सूप में ही दीपक जलाएं. फिर नदी में उतरकर सूर्य देव को अर्घ्य दें. इस प्रकार आपकी पूजा सही विधि से संपन्न हो जाएगी.

छठ पूजा का धार्मिक महत्व

छठ पूजा में सूर्य देव की उपासना और छठी मैया की आराधना की जाती है. सनातन संस्कृति में सूर्य को देवता के रूप में पूजन किया जाता है. शास्त्रों में सूर्य देव को सृष्टि की आत्मा कहा गया है. इसके प्रकाश से मनुष्यों, जीवों एवं पेड़-पौधों का जीवन अस्तित्व में है. सूर्य केवल ऊर्जा का ही स्रोत नहीं है बल्कि इसके प्रकाश में ऐसे तत्व हैं, जिनसे मनुष्य और जीवों को रोग-दोष से छुटकारा मिलता है और पेड़-पौधों को भोजन प्राप्त होता है. वहीं, संतान की कामना और उसके सुखी जीवन के लिए छठी माई की पूजा की जाती है.

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