Chhath Puja 2022: आस्था का महापर्व छठ पूजा सूर्य भगवान को समर्पित चार दिवसीय त्योहार है. आज छठ महापर्व का तीसरा दिन है. आज के दिन व्रती तालाब, नदी आदि पानी के स्रोत में खड़े होकर डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देंगी. तो जानिए संध्या अर्घ्य देने का सही समय क्या है. पूजा की विधि और कैसे तैयार किया जाता है संध्या अर्घ्य का प्रसाद, जानिए सबकुछ…
संध्या अर्घ्य के दिन यानी रविवार को सूर्यास्त का समय शाम लगभग 5:37 बजे होगा, जिसके दौरान भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा और छठी मईया की पूजा की जाएगी.
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आज व्रती निर्जला रहकर संध्या अर्घ्य के लिए प्रसाद तैयार करेंगी, फिर सूप, दउरा में सभी तरह के फलों से सजाकर दउरा तैयार किया जाएगा. साथ ही केले का घौद, गन्ना आदी नदी किनारे या जलाशल तक माथे पर लेके जाने की विशेष मान्यता है. निर्जला व्रत छठ के चौथे या अंतिम दिन के सूर्योदय तक जारी रहेगा. फिर अगले दिन सूर्य भगवान और छठी मैय्या को उषा अर्घ्य दिया जाएगा. छठ के अंतिम दिन अर्घ्य के बाद, बांस की टोकरियों से प्रसाद पहले व्रतियों द्वारा खाया जाता है और फिर परिवार के सभी सदस्यों और व्रतियों में वितरित किया जाता है.
छठ पूजा के चार दिवसीय त्योहार के तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य देने दिया जाता है, जिसे संध्या अर्घ्य या पहला अर्घ्य कहा जाता है. छठ प्रसाद को तैयार करने के लिए एक खास तैयारी की जाती है जो त्योहार के तीसरे दिन से शुरू होने वाले त्योहार में विशेष महत्व रखता है
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व्रती और उनके परिवार के सदस्य दिन में जल्दी स्नान करते हैं और प्रसाद रखने के लिए बांस के नए सूप और टोकरियां लाते हैं. जिसमें चावल, गन्ना, ठेकुआ/पकवान/टिकरी, ताजे फल, सूखे मेवे, पेड़ा, मिठाई, गेहूं, गुड़, मेवा, नारियल, घी, मखाना, अरुवा, धान, नींबू, गगल, सेब, संतरा, बोडी, इलायची, हरी अदरक और सूप में तरह-तरह के सात्विक खाद्य पदार्थ रखे जाते हैं.
ठेकुआ छठ पूजा का सबसे महत्वपूर्ण प्रसाद में से एक माना जाता है जो शुद्ध गेहूं, गुड़ से बनाया जाता है. आटे में गुड़ या चीनी और पानी का घोल मिलाकर एक आटा गूंथ लें जो बहुत अधिक सूखा या नरम न हो. फिर आंटे की छोठी लोई बनाकर ठेकुए के सांचे पर दबाते हैं, ताकि ठेकुआ का आकार आ जाए. फिर इसे पहले से गरम घी या तेल से भरी कड़ाही में डाल कर सुनहरा होने तक तला जाता है. व्रती और परिवार के अन्य सदस्य सभी प्रसाद बनाने की रस्म में भाग लेते हैं.
कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि छठी मैया को समर्पित है. ऐसी मान्यता है कि छठ पूजा करने वालों को सुख, धन, सफलता, यश, कीर्ति और मान-सम्मान की प्राप्ति होती है. नहाय खाय छठ के पहले दिन को संदर्भित करता है, जो छठ महापर्व की शुरुआत का प्रतीक है. इसे लोक आस्था का महा पर्व भी माना जाता है. उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड राज्यों में यह त्योहार मुख्य रूप से दिवाली के बाद काफी उत्साह और उत्साह के साथ मनाया जाता है. छठ पूजा पर भगवान सूर्य और छठी मैया की पूजा करने से स्वास्थ्य, धन और सुख की प्राप्ति होती है. जानें इस अनुष्ठान के नियमों के बारे में क्या करें और क्या न करें.
यह त्योहार कार्तिक माह की शुक्ल षष्ठी को पड़ता है और बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल राज्यों में बहुत उत्साह और उल्लास के साथ मनाया जाता है. छठ साल में दो बार मनाया जाता है. जबकि चैती छठ या छोटा छठ ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार मार्च या अप्रैल के महीनों में गर्मियों में मनाया जाता है, कार्तिकी छठ दिवाली के छठे दिन पड़ता है और आमतौर पर अक्टूबर और नवंबर के बीच आता है.