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Chhatrapati Shivaji Jayanti 2023: छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती पर जानें उनसे जुड़े रोचक तथ्य

Chhatrapati Shivaji Jayanti 2023, Chhatrapati Shivaji Facts: छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी 1630 को हुआ था. कल उनकी जयंती है. आइये छत्रपति शिवाजी महाराज के बारे में कुछ रोचक तथ्यों पर नजर डालते है

Chhatrapati Shivaji Jayanti 2023, Chhatrapati Shivaji Facts: छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी 1630 में पुणे के शिवनेरी दुर्ग नगर में हुआ था. इनके पिता का नाम शाहजी भोंसले और माता का नाम जीजाबाई था। उनके पिता जी बीजापुर के दरबार में उच्चाधिकारी थे. उनका लालन पालन उनकी माता की देख रेख में में हुआ था. दादोजी कोंडदेव जी ने युद्ध का प्रशिक्षण और प्रशासन की शिक्षा शिवाजी को दी थी. शिवाजी ने पश्चिम भारत में 1674 में मराठा साम्राज्य की नींव रखी थी.

आइये छत्रपति शिवाजी महाराज के बारे में कुछ रोचक तथ्यों पर नजर डालते है

बहुत बुद्धिमान थे छत्रपति शिवाजी महाराज

शिवाजी बहुत बुद्धिमान थे और उन्हे यह कतई मंजूर नहीं था की लोग जात पात के झगड़ों में उलझे रहे. वह किसी भी धर्म के खिलाफ नही थे . उनका नाम भगवान शिव के नाम से नही अपितु एक क्षेत्रीय देवता शिवाई (Shivai) से लिया गया है.

शक्तिशाली नौसेना का निर्माण किया था शिवाजी ने

उन्होंने एक शक्तिशाली नौसेना का निर्माण किया था . इसलिए उन्हें भारतीय नौसेना के पिता के रूप में जाना जाता है. अपने प्रारंभिक चरणों में ही उनको नौसैनिक बल के महत्व का एहसास हो गया था . क्योंकि उन्हें यकीन था कि यह डच, पुर्तगाली और अंग्रेजों सहित विदेशी आक्रमणकारियों से स्वतंत्र रखेगा और समुद्री डाकुओं से कोंकण तट की भी रक्षा करेगा. यहाँ तक कि उन्होंने जयगढ़, विजयदुर्ग, सिन्धुदुर्ग और अन्य कई स्थानों पर नौसेना किलों का निर्माण किया। क्या आपको पता है कि उनके पास चार अलग-अलग प्रकार के युद्धपोत भी थे जैसे मंजुहस्म पाल्स (Manjuhasm Pals), गुरब्स (Gurabs) और गल्लिबट्स (Gallibats).

रणनीति बनाने में माहिर थे शिवाजी

शिवाजी युद्ध की रणनीति बनाने में माहिर थे और सीमित संसाधनों के होने के बावजूद छापेमारी युद्ध कौशल का परिचय उन्होने तब दिया जब बहुत ही कम उम्र मात्र 15 साल में ‘तोरना’ किले पर कब्जा करके बीजापुर के सुल्तान को पहला तगड़ा झटका दिया था। 1655 आते आते उन्होने एक के बाद एक कोंडन, जवली और राजगढ़ किलों पर कब्जा कर धीरे धीरे सम्पूर्ण कोकण और पश्चिमी घाट पर कब्जा जमा लिया था.

शिवाजी ने औरंगजेब की सहायता के लिए हाथ आगे भड़ाया

क्या आप जानते है कि बीजापुर को जीतने के लिए शिवाजी ने औरंगजेब की सहायता के लिए हाथ आगे भड़ाया था. पर ऐसा हो ना सका क्योंकि अहमदनगर के पास मुगल क्षेत्र में दो अधिकारियों ने छापा मार दिया था.

वह शिवाजी थे, जिन्होंने मराठों की एक पेशेवर सेना का गठन किया

इससे पहले मराठों की कोई अपनी सेना नही थी. उन्होंने एक औपचारिक सेना जहा कई सैनिकों को उनकी सेवाओं के लिए साल भर का भुगतान किया गया उसका गठन किया था. मराठा सेना कई इकाइयों में विभाजित थी और प्रत्येक इकाई में 25 सैनिक थे. हिंदू और मुस्लिम दोनों को बिना किसी भेदभाव के सेना में नियुक्त किया जाता था.

वह महिलाओं के सम्मान के कट्टर समर्थक थे

शिवाजी ने महिलाओं के खिलाफ दृढ़ता से उन पर हुई हिंसा या उत्पीड़न का विरोध किया था. उन्होंने सैनिकों को सख्त निर्देश दिये थे कि छापा मारते वक्त किसी भी महिला को नुकसान नही पहुचना चाहिए. यहा तक कि अगर कोई भी सेना में महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन करते वक्त पकड़ा गया तो गंभीर रूप से उसे दंडित किया जाएगा.

पन्हाला किले (Panhala fort) की घेराबंदी से भागने में शिवाजी कामियाब हुए थे

इसके पीछे एक कहानी है वो ये कि जब शिवाजी महाराज सिद्दी जौहर की सेना द्वारा पन्हाला किला में फंस गये थे, तब इससे बचने के लिए उन्होंने एक योजना तैयार की और फिर उन्होंने दो पालकियों की व्यवस्था की जिसमें एक नाई शिव नहावीं को बिठा दिया जो बिकुल शिवाजी की तरह दिखता था और उसे किले से बाहर का नेतृत्व करने के लिए जाने को कहा,इतने में दुशमन के सैनिक नकली पालकी के पीछे चले गए और इस तरह से वह 600 सैनोकों को चकमा देकर भागने में कामियाब हुए.

वह गुरिल्ला युद्ध के प्रस्तावक थे

उनको पहाडों का चूहा कहा जाता था क्योंकि वह अपने इलाके की भूगोलिक,गुरिल्ला रणनीति या गनिमी कावा जैसे की छापा मरना, छोटे समूहों के साथ दुश्मनो पे हमला करना आदि अच्छी तरह से वाकिफ थे. उन्होंने कभी भी धार्मिक स्थानों या वहा पे रहने वाले लोगो के घरो में कभी छापा नही मारा.

उनकी खासियत थी की वह अपने राज्य के लिए बाद में लड़ते थे

पहले भारत के लिए लड़ते थे. उनका लक्ष्य था नि: शुल्क राज्य की स्थापना करना और हमेशा से अपने सैनिकों को प्रेरित करना की वह भारत के लिए लड़े और विशेष रूप से किसी भी राजा के लिए नहीं.

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