Christmas 2022: क्रिसमस ईसाई समुदाय का सबसे प्रमुख त्यौहार है जो हर साल 25 दिसंबर को मनाया जाता है. दुनिया के अधिकांश हिस्सों में इसे जीसस क्राइस्ट के जन्मदिवस के रूप में जश्न मनाया जाता है. यूरोपियन देशों में तो इस दिन कई लोग जुलूस भी निकालते हैं, जिसमें प्रभु यीशु की झांकियां प्रस्तुत की जाती हैं. आइए आपको इस त्यौहार का इतिहास और महत्व को विस्तार से बताते हैं.
ईसाई समुदाय की मान्यताओं के अनुसार, Lord Jesus यानी जीसस क्राइस्ट का जन्म बैथलहम में मैरी और जोसेफ के घर हुआ था.सेक्सटस जूलियस अफ्रीकानस ने 221 ई. में पहली बार 25 दिसंबर को जीसस के बर्थडे के रूप में मनाया था.इस दिन को क्रिसमस-डे कहने का एक कारण ये भी था कि रोमन लोग विंटर सोलस्टाइस (Winter Solstice) के दौरान 25 दिसंबर को सूर्य के जन्म के रूप में मनाते थे.एक राय ये भी है कि merry ने दुनिया के निर्माण की चौथी तारीख (25 मार्च) को गर्भधारण किया था.इसके ठीक 9 महीने बाद मतलब 25 दिसंबर को जीसस क्राइस्ट (Lord Jesus) का जन्म हुआ.
इसके बाद लगभग चौथी शताब्दी में 25 दिसंबर को यीशु मसीह का जन्मदिवस घोषित किया गया. जिसके बाद वर्ष 1836 में अमेरिका में क्रिसमस डे को आधिकारिक रूप से मान्यता मिली और 25 दिसंबर को सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया. तब से इस दिन को महत्वपूर्ण मानते हुए क्रिसमस के रूप में मनाया जाता है.
क्रिसमस का महत्व ईसाइयों के लिए बहुत अधिक होता है.प्रभु यीशु के जन्म के अवसर पर यह त्योहार मनाया जाता है.क्रिसमस का पर्व ईसाइयों में ही नहीं सभी धर्मों में पूरे धूमधाम से मनाया जाता है.बहुत कम लोगों को यह जानकारी होगी की क्रिसमस का पर्व 1 दिन का नहीं बल्कि पूरे 12 दिन का पर्व है और यह पर्व क्रिसमस की पूर्व संध्या से शुरू हो जाता है.क्रिसमस ईव यानि क्रिसमस की पूर्व संध्या धार्मिक और गैर-धार्मिक दोनों परंपराओं से जुड़ी है. इन परम्पराओं का मुख्य केंद्र प्रभु यीशु का जन्म है. ईसाई धर्म में भी अपनी विभिन्न संप्रदाय हैं जिनकी अलग परंपराएं हैं.इस दिन रोमन कैथोलिक और एंग्लिकन मिडनाइट मास का आयोजन करते हैं.लुथेरन कैंडल लाइट सर्विस और क्रिसमस कैरोल के साथ जश्न मनाते हैं.कई एवेंजेलिकल चर्च में शाम की सेवाओं का आयोजन होता है जहां परिवार पवित्र भोज बनाते हैं.