Climate Change: जलवायु परिवर्तन से मस्तिष्क संबंधी समस्याओं से पीड़ित लोगों पर असर पड़ने की आशंका
Climate Change: अध्ययन के दौरान दुनिया भर में 1968 और 2023 के बीच प्रकाशित 332 पत्रों की समीक्षा की गई और मस्तिष्काघात, ‘माइग्रेन’, ‘अल्जाइमर’, दिमागी बुखार, मिर्गी और ‘मल्टीपल स्केलेरोसिस’ सहित तंत्रिका तंत्र संबंधी 19 विभिन्न स्थितियों का अध्ययन किया गया.
Climate Change: जलवायु परिवर्तन से ‘माइग्रेन’ और ‘अल्जाइमर’ जैसी मस्तिष्क संबंधी समस्याओं से पीड़ित लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका है. ‘द लांसेट न्यूरोलॉजी’ पत्रिका में प्रकाशित एक नये शोध में यह बात पाई गयी है. ‘माइग्रेन’ से पीड़ित व्यक्ति को आधे सिर में पीड़ा की शिकायत होती है जबकि ‘अल्जाइमर’ से पीड़ित व्यक्ति की सोचने की क्षमता प्रभावित होती है और उसकी याददाश्त कमजोर हो जाती है. ब्रिटेन स्थित ‘यूनिवर्सिटी ऑफ कॉलेज लंदन’ में ‘इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोलॉजी’ के प्रमुख शोधकर्ता संजय सिसोदिया ने बताया कि अत्यधिक तापमान (कम और अधिक दोनों) और जलवायु परिवर्तन की वजह से तापमान में बदलाव का मस्तिष्क संबंधी रोगों पर प्रभाव पड़ता है.
संजय सिसोदिया ने कहा, “रात का तापमान विशेष रूप से महत्वपूर्ण हो सकता है क्योंकि रात के दौरान अधिक तापमान नींद में खलल डाल सकता है. खराब नींद मस्तिष्क संबंधी कई समस्याओं को बढ़ाती है.” अध्ययन के दौरान दुनिया भर में 1968 और 2023 के बीच प्रकाशित 332 पत्रों की समीक्षा की गई और मस्तिष्काघात, ‘माइग्रेन’, ‘अल्जाइमर’, दिमागी बुखार, मिर्गी और ‘मल्टीपल स्केलेरोसिस’ सहित तंत्रिका तंत्र संबंधी 19 विभिन्न स्थितियों का अध्ययन किया गया. शोधकर्ताओं ने पाया कि उच्च तापमान या लू की वजह से अस्पतालों में मस्तिष्काघात से पीड़ित मरीजों, उनकी अक्षमता के मामले और उनकी मौत की संख्या बढ़ी हैं.
संजय सिसोदिया ने यह भी कहा कि ‘डिमेंशिया’ (याद रखने, सोचने या निर्णय लेने की क्षमता का कम हो जाना) से पीड़ित मरीज अत्यधिक तापमान और खराब मौसम से जुड़ी बाढ़ और जंगल की आग जैसी घटनाओं से होने वाले नुकसान से बहुत प्रभावित होते हैं. टीम ने इस बात की भी समीक्षा की कि जलवायु परिवर्तन ने कैसे चिंता, अवसाद और ‘सिजोफ्रेनिया’ (भ्रम की स्थिति) सहित कई गंभीर लेकिन सामान्य मानसिक विकारों से पीड़ित लोगों को प्रभावित किया है.