यदि आप पढ़ने के शौकीन हैं और देश की तमाम Iconic libraries के बारे में जानकारी रखते हैं, तो तमिलनाडु की Connemara Public Library के बारे में अवश्य जानते होंगे. यदि नहीं जानते हैं, तो इसके बारे में जानिए जरूर. अधिकांश चेन्नई वासियों की इस पुस्तकालय से पुरानी यादें जुड़ी हुई हैं, क्योंकि वे किसी अन्य लाइब्रेरी में चाहे कभी गये हों या नहीं गये हों, यहां अवश्य आये होंगे. कह सकते हैं कि चेन्नई वासियों के दिल में इस लाइबेरी के लिए एक विशिष्ट स्थान है. चेन्नई के हृदय एग्मोर में अवस्थित यह लाइब्रेरी देश की सबसे पुरानी लाइब्रेरी में से एक है. यह देश की उन चार National Depository Libraries में से एक है, जहां भारत में प्रकाशित सभी पुस्तकों, समाचार पत्रों और पत्रिकाओं की एक प्रति आती है.
विभिन्न भाषाओं की पुस्तकें हैं उपलब्ध
यह लाइब्रेरी एग्मोर के पैंथियन रोड स्थित Government Museum Complex में स्थित है. इसी म्यूजियम कॉम्पलेक्स में नेशनल म्यूजियम और नेशनल आर्ट गैलरी भी हैं. इस प्रकार, यहां आकर न केवल आप लाइब्रेरी में बुक्स पढ़ने का आनंद उठा सकते हैं, बल्कि, नेशनल म्यूजियम व आर्ट गैलरी भी देख सकते हैं. यह एक पंथ दो काज जैसा होगा. Connemara Public Library में लगभग नौ लाख पुस्तकों का विशाल संग्रह मौजूद है, जो आपको आश्चर्यचकित कर देगा. हालांकि यहां मुख्य रूप से अंग्रेजी और तमिल भाषा की ही पुस्तकें हैं पर आपको तेलुगु, कन्नड़, मलयालम, मराठी, गुजराती, बांग्ला के साथ हिंदी भाषा की पुस्तकें भी यहां मिल जायेंगी. इस लाइब्रेरी में आपको अनेक दुर्लभ पुस्तकों को देखने का सौभाग्य भी मिलेगा. वास्तव में, यह पुस्तकालय शताब्दियों पुराने प्रकाशनों का भंडार है, जहां देश के कुछ सर्वाधिक महत्वपूर्ण कार्य और संग्रह मौजूद हैं. इतना ही नहीं, यह संयुक्त राष्ट्र के एक डिपोजिटरी लाइब्रेरी के रूप में भी कार्य करता है.
1890 में हुई थी लाइब्रेरी की स्थापना
इसकी स्थापना का श्रेय मद्रास के तत्कालीन गर्वनर लॉर्ड कोनेमारा (1886-1890) को जाता है. उनकी प्रबुद्धता को सम्मानित करने के लिए ही इस लाइब्रेरी का नाम कोनेमारा पब्लिक लाइब्रेरी रखा गया था. आज भी इसे इसी नाम से जाना जाता है. 22 मार्च, 1890 को कोनेमारा ने इस पुस्तकालय की आधारशिला रखी थी और 12 मई, 1896 को इसे औपचारिक रूप से खोल दिया गया था. देश के स्वतंत्र होने के बाद तमिलनाडु सार्वजनिक पुस्तकालय अधिनियम, 1948 के प्रावधानों के तहत एक अप्रैल, 1950 से यह लाइब्रेरी स्टेट-सेंट्रल लाइब्रेरी बन गयी और 10 सितंबर, 1955 से Provisions of Delivery of Books and Newspapers (Public Libraries) Act 1954 के तहत यह इंडियन पब्लिकेशंस के चार डिपोजिटरी में से एक बन गयी. वर्ष 1955 में लाइब्रेरी संयुक्त राष्ट्र और उसकी संबद्ध एजेंसियों के चयनित प्रकाशनों के डिपॉजिटरी के रूप में काम करने के लिए यूनेस्को की Information Centre बन गयी. यह 1992 से Asian Development Bank Publications के डिपॉजिटरी के रूप में भी कार्य कर रही है.
8,50,000 पुस्तकों का विशाल संग्रह है यहां
Delivery of Books Act, 1954 के तहत इस library को चार डिपॉजिटरी केंद्रों में से एक घोषित किये जाने तक इसे प्रेस और पुस्तक पंजीकरण अधिनियम के प्रावधानों के तहत राज्य में प्रकाशित पब्लिकेशन की चार कॉपियां ही प्राप्त होती थीं. पर provisions of Delivery of Books and Newspapers (Public Libraries) Act के प्रावधानों के तहत, भारत के प्रत्येक publisher को अपने प्रत्येक publication की एक प्रति कोनेमारा पब्लिक लाइब्रेरी को अनिवार्य रूप से भेजनी होती है. इतना ही नहीं, संयुक्त राष्ट्र एवं उसके विशिष्ट अंगों तथा एशियाई विकास बैंक की पुस्तकें एवं पत्रिकाएं भी अच्छी संख्या में इसे प्राप्त होती हैं. इसके अतिरिक्त, बजट में इस पुस्तकालय के लिए जो फंड उपलब्ध कराये जाते हैं, उस धनराशि से भी यहां हर वर्ष बड़ी संख्या में बुक्स खरीदी जाती हैं. इन्हीं कारणों से इस पुस्तकालय का संग्रह बहुत तेजी से बढ़ा है जिससे यहां मौजूद डॉक्यूमेंट को रखने में समस्या आ रही है. वर्तमान में यहां विभिन्न भाषाओं की 8,50,000 पुस्तकें उपलब्ध हैं. लाइब्रेरी सुबह आठ बजे से रात आठ बजे तक खुली रहती है.