D R Kaprekar Jayanti 2023: महान भारतीय गणितज्ञ डी आर कापरेकर की जयंती आज, जानें जादुई नंबर 6174 की रोचक कहानी
D R Kaprekar Jayanti 2023: दत्तात्रेय रामचंद्र कापरेकर भारतीय गणितज्ञ थे. महाराष्ट्र में मुंबई से सौ किलोमीटर दूर दहानु में उनका जन्म आज ही के दिन 17 जनवरी 1905 को हुआ था. उन्होंने गणित में उत्कृष्ट कार्य के लिए ‘रैंगलर आर. पी. परांजपे गणितीय पुरस्कार’ से सम्मानित हुए थे.
D R Kaprekar Jayanti 2023: गणित अक्सर विधार्थी के लिए एक कठिन विषय होता है. लेकिन डी.आर. कापरेकर के लिए गणित के कठिन प्रश्न भी एक खेल था. वे गणित के कठिन से कठिन सवालों को चुटकियों में हल कर देते थे. इस प्रकार वे मनोरंजात्मक गणित के क्षेत्र में जाने माने गणितज्ञ बन गए. दत्तात्रय रामचंद्र कापरेकर के द्वारा खोजे गए सिद्धांत ‘कापरेकर स्थिरांक‘ के लिए ये पूरे विश्व में प्रसिद्ध हो गये. साथ ही इन्होंने कापरेकर संख्या और डेमलो संख्या की खोज की थी.
जानें दत्तात्रेय रामचंद्र कापरेकर के बारे में
दत्तात्रेय रामचंद्र कापरेकर भारतीय गणितज्ञ थे. उन्हें ‘गणितानंद’ के रूप में भी जाना जाता है. उन्होंने संख्या सिद्धांत के क्षेत्र में अनेक योगदान दिया, जिनमें से कापरेकर संख्या तथा कापरेकर स्थिरांक प्रमुख हैं. महाराष्ट्र में मुंबई से सौ किलोमीटर दूर दहानु में उनका जन्म आज ही के दिन 17 जनवरी 1905 को हुआ था. उनके पिता को ज्योतिष शास्त्र से बहुत लगाव था. पिता के इस शौक से कापरेकर में संख्याओं को लेकर जिज्ञासा पैदा हुई.
‘कापरेकर संख्या’ तथा ‘कापरेकर स्थिरांक’
उन्होंने संख्या सिद्धांत पर काम किया और संख्याओं के विभिन्न गुणों का वर्णन किया. ‘कापरेकर संख्या’ तथा ‘कापरेकर स्थिरांक’ उनके नाम से जाने जाते हैं. उन्होंने ‘स्वयं संख्या’ या ‘देवलाली संख्या’, ‘हर्षद संख्या’ और ‘डेमलो संख्या’ का वर्णन किया. उन्होंने कोपरनिकस मैजिक स्क्वायर से संबंधित कुछ प्रकार के मैजिक वर्गों का भी निर्माण किया था.
क्या है कापरेकर कॉन्स्टैंट
उन्होंने कापरेकर कॉन्स्टैंट की भी खोज की. कापरेकर कॉन्स्टैंट एक ऐसी संख्या है, जो किसी संख्या को बार-बार विभाजित करने और जोड़ने पर स्थिर रहती है. यह कॉन्स्टैंट 6174 है, और इसे कापरेकर कॉन्स्टैंट के रूप में जाना जाता है.
शिक्षा दीक्षा
आपकी माध्यमिक स्कूल तक शिक्षा मुंबई के पास ठाणे के एक स्कूल से हुई. उसके बाद आपने आगे की पढ़ाई पुणे में फर्ग्यूसन कॉलेज से सम्पन्न हुई. आपने मुंबई विश्वविध्यालय से 1927 में स्नातक की डिग्री हासिल की.
ग्रेजुएसन के बाद इनकी नियुक्ति अध्यापक पद पर हो गई. हालांकि आगे की पढ़ाई उनकी पूरी न हो सकी लेकिन फिर भी उन्हों गणित के संख्या सिद्धांत पर मन लगाकर काम किया. इस प्रकार कारपेकर ने मनोरंजनात्मक गणित के क्षेत्र में महती ख्याति प्राप्त कर ली.
उनकी प्रतिभा का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है की अपनी कॉलेज की पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने गणित में उत्कृष्ट कार्य के लिए ‘रैंगलर आर. पी. परांजपे गणितीय पुरस्कार’ से सम्मानित हुए थे.