Dahi Handi 2024 Date History Significance: दही हांडी के पर्व को पूरे भारत में जन्माष्टमी के अगली ही दिन काफी धूम-धाम में मनाया जाता है. इस पर्व को हम गोपालकला के नाम से भी जानते हैं. अगर आप नहीं जानते हैं तो बता दें यह जो पर्व है वह भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाओं से जुड़ा हुआ पर्व है. दही हांडी के पर्व को मनाने के लिए एक मिट्टी के घड़े में दही डालकर उसे ऊंचाई पर एक रस्सी की मदद से लटका दिया जाता है. वहीं, ऊंचाई पर लटके इस मटकी को तोड़ने के लिए बच्चों की एक टोली एक दूसरे के ऊपर चढ़ते हुए एक पिरामिड तैयार करते हैं. यह पिरामिड तैयार होने के बाद एक बच्चा सभी के ऊपर चढ़कर बिना बैलेंस को बिगाड़े इस मटके को तोड़ता है. आज इस आर्टिकल में हम आपको बताने वाले हैं कि आखिर इस साल दही हांडी का पर्व मनाया कब जाने वाला है और इसका महत्व क्या है.
इस साल कब मनाया जाएगा दही हांडी का त्यौहार?
इस साल कृष्ण जन्माष्टमी 26 अगस्त को है. ऐसे में कृष्ण जन्माष्टमी 27 अगस्त को मनाई जाने वाली है.
क्यों मनाई जाती है दही हांडी?
दही हांडी का जो पर्व है उसमें भगवान श्री कृष्ण के बचपन के दिनों की लीलाओं को दर्शाया जाता है. कई जगहों पर इस पर्व को गोपाल कला या फिर दहिकला के नाम से भी जाना जाता है. मान्यताओं के अनुसार भगवान श्री कृष्ण सभी के घरों में जाकर चोरी-छिपे मटकों में से दही चुराकर खाते थे. कहा जाता है मटकियों को ऊपर लटकाया जाता था जिन्हें तोड़कर वे माखन चुराया करते थे.
दही हांडी को लेकर क्या है मान्यता?
मान्यताओं के अनुसार जिस भी घर में भगवान श्री कृष्ण कदम रखते थे उन घरों के सभी दुख और तकलीफ दूर हो जाते थे.
दही हांडी का क्या है इतिहास?
कई पौराणिक कहानियों के अनुसार, भगवान श्री कृष्ण अपने बालपन के दौरान अपने कुछ मित्रों के साथ मिलकर माखन और मिश्री की चोरी करते थे. चुराने के बाद वे इस माखन को दोस्तों के बीच बांट देते थे. माखन चोरी की घटनाओं को देखते हुए लोगों ने माखन को ऊंची जगहों पर लटकाकर रखना शुरू कर दिया था. लेकिन, इतनी कोशिशों के बावजूद भी माखन को बचाकर रख पाना संभव नहीं हुआ.