Day Against Drug Abuse: उचित उपचार से छूट सकती है नशे की लत, माता-पिता भी बनें रोल मॉडल

हर साल 26 जून को अंतरराष्ट्रीय नशा निरोधक दिवस के रूप में मनाया जाता है. एक बार नशे की लत लग जाये, तो इसे छुड़ाना काफी कठिन होता है. नशे का सेवन जब गंभीर रूप ले लेता है, तो इसकी आदत छुड़ाने के लिए उचित ट्रीटमेंट की जरूरत पड़ती है.

By Vivekanand Singh | June 26, 2024 3:31 PM

Day Against Drug Abuse: एक बार नशे की लत लग जाये, तो इसे छुड़ाना काफी कठिन होता है. यह स्थिति काफी खतरनाक हो जाती है. नशे के कारण होने वाली परेशानियों के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए

दवाओं से उपचार

नशे के आदी व्यक्ति की आदत को छुड़ाने के दौरान कई तरह की दवाइयों का भी प्रयोग करना पड़ता है. दरअसल नशे की आदत छोड़ते समय व्यक्ति को घबराहट, बेचैनी, नींद में कमी, दर्द आदि समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. इन लक्षणों को कम करने के लिए ही दवाओं का प्रयोग किया जाता है. ये दवाएं मरीज के लिए पूरी तरह लाभदायक एवं सुरक्षित होती हैं. इसके लिए मनोचिकित्सक से मिलकर उचित सलाह ले सकते हैं.

साइकोलॉजिकल ट्रीटमेंट

इस ट्रीटमेंट के दौरान रोगी का साइकोथेरेपी रूप से भी इलाज करना पड़ता है, जिसमें मुख्य रूप से मोटिवेशन थेरेपी का यूज किया जाता है. इस ट्रीटमेंट की मदद से रोगी के तनाव को दूर करने में मदद मिलती है और मरीज को लत से दूर रहने में मदद मिलती है. इसका एक फायदा यह भी होता है कि रोगी भविष्य में भी नशे की लत से दूर रहता है और उसके मन में आशा का संचार होता है.

अल्टरनेटिव थेरेपी

सामान्य उपचार के अलावा रोगी को अल्टरनेटिव थेरेपी भी दी जा सकती है, जिनकी मदद से लत को छुड़ाने में मदद मिलती है. उदाहरण के लिए मरीज को योग और मेडिटेशन की सलाह दी जा सकती है. इसके इलावा मरीज को कला, संगीत, डांस, बागबानी आदि के लिए भी प्रेरित किया जाता है. ताकि वह खुद को व्यस्त रख सके और नशे से दूर रहे.

माता-पिता को भी बनना चाहिए रोल मॉडल

नशा एक बीमारी (शारीरिक और मानसिक) है, जो बच्चे, किशोर और युवा पीढ़ी को अपनी चपेट में लेकर बीमार कर रहा है. महिलाएं भी इसमें अब पीछे नही हैं. बच्चे नशे से दूर रहें इसके लिए सबसे पहले परिवार में खुद माता-पिता को एक अच्छा रोल मॉडल बनने की जरूरत है. यदि वे खुद को किसी प्रकार के नशे से दूर रखते हैं, तो ऐसे घर में माहौल भी खुशनुमा रहता है और बच्चे माता-पिता का अनुकरण करते हैं, साथ ही अपनी बातें अपनी तकलीफें अभिभावक से शेयर करते हैं. माता-पिता और स्कूलों को समय-समय पर बच्चों को नशा के दुष्परिणाम के बारे में बताते रहना चाहिए. बच्चों के साथ उनके साथी के क्रिया कलापों पर भी प्रत्यक्ष रूप से नजर रखें. अगर घर का कोई सदस्य नशे का सेवन करता हो या उसकी लत हो, तो उसे डांटने फटकारने की बजाय, उसके लक्षणों को पहचान कर इलाज के लिए तैयार करें. इसके लिए दवा और मनोवैज्ञानिक चिकित्सा काफी कारगर है.

(डॉ केके सिंह व डॉ बिंदा सिंह से अजय कुमार की बातचीत पर आधारित)

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