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Deathstalker Venom: सबसे महंगा होता है इस जीव का जहर, करोड़ों में है इसकी कीमत, आ जाएंगे इतने हीरे जेवरात

Deathstalker Scorpion Venom: राजस्थान के थार रेगिस्‍तान में भी डेथस्टॉकर (Deathstalker) बिच्‍छू मिलता है. डेथस्टॉकर (Deathstalker) का जहर 39 मिलियन डॉलर प्रति गैलन (3.785 लीटर) बिकता है. जाहिर है कि इस मात्रा में जहर कहीं उपलब्‍ध नहीं होगा.

  • डेथस्टॉकर बिच्छू का जहर बहुत ही महंगा मिलता है.

  • डेथस्टॉकर का जहर 39 मिलियन डॉलर प्रति गैलन (3.785 लीटर) बिकता है.

Deathstalker Scorpion Venom: दुनिया में कई जहरीले जीव हैं जिनके एक डंक से इंसान की जान चली जाती है. इन जहरीले जीवों के जहर का भी अपना अलग ही महत्व है. इन जंतुओं का जहर काफी कीमती भी होता है. इन दिनों एक बिच्छू के बारे में काफी बातें सामनें आ रही हैं, कहा जा रहा है कि इसका जहर बहुत ही महंगा मिलता है. इस बिच्‍छू का नाम है डेथस्टॉकर (Deathstalker) जो रेगिस्तान में मिलता है. यह नॉर्थ अफ्रीका से लेकर मिडल ईस्‍ट तक के रेगिस्‍तानों में पाया गया है.

एक मिलीलीटर जहर होता है इतना महंगा

राजस्थान के थार रेगिस्‍तान में भी डेथस्टॉकर (Deathstalker) बिच्‍छू मिलता है. डेथस्टॉकर (Deathstalker) का जहर 39 मिलियन डॉलर प्रति गैलन (3.785 लीटर) बिकता है. जाहिर है कि इस मात्रा में जहर कहीं उपलब्‍ध नहीं होगा. इस बिच्‍छू का एक मिलीलीटर जहर 8.5 लाख रुपये में मिलेगा. सुगर क्‍यूब से छोटी ड्रॉपलेट बराबर जहर के लिए भी 11 हजार रुपये से ज्यादा खर्च होंगे. बिच्छू के एक लीटर जहर की कीमत करीब दस लाख डॉलर तक है यानी करीब 85 करोड़ रुपये.

बिच्छू के जहर से बनता है दवाई

बिच्छू के जहर का उपयोग दवाई बनाने में होता है. एक ग्राम जहर से करीब 20,000 से 50,000 तक एंटीवेनोम (विषरोधक) डोज बनाया जा सकता है. साथ ही इस जहर से एंटीबायोटिक दवाई और पेन किलर भी बनाया जाता है. बिच्छू का जहर खतरनाक और घातक भी हो सकता है, इसमें बायोएक्टिव यौगिकों का एक जटिल मिश्रण भी होता है, जिसका संभावित चिकित्सा अनुप्रयोग होता है.

रिपोर्ट में कही गई है ये बात

2013 में प्रकाशित फ्रेड हचिंसन कैंसर रिसर्च सेंटर की रिपोर्ट के मुताबिक इसके जहर से मानव शरीर के कई रोगों से लड़ा जा सकता है. बिच्छू के जहर से कैंसर को रोका जा सकता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि इस जहर में मौजूद कुछ तत्व कैंसरकारी कोशिकाओं के निर्माण को रोक सकते हैं. इसके जहर का इस्तेमाल कई मेडिकल रिसर्च और इलाज के लिए किया जा रहा है. इन बिच्छुओं के जहर में कुछ ऐसे तत्व होते हैं जो पैनकिलर का काम करते हैं.

इस जहर का है दूसरा पहलू भी

इस जहर के इस्तेमाल का एक दूसरा पहलू भी है. जहां इस जहर से लोग नशा करते हैं. सबसे ज्यादा इस जहर का नशा पाकिस्तान के लोग करते हैं. इस जहर से अलग-अलग तरीके से नशा किया जा सकता है. पहला बिच्छू को मार के उसे सुखाया जाता है. फिर उसे तंबाकू में मिलाकर फूंका जाता है. दूसरा तरीका जिसमें जिंदा बिच्छू को जलते कोयले पर रख के उसके जलते हुए धुएं को खिंचा जाता है. नशे के लिए सबसे ज्यादा बिच्छू की पूंछ की मांग होती है क्योंकि सबसे ज्यादा जहर पूंछ में होता है. जहर से जैसे-जैसे दवाएं बन रही हैं, उसकी डिमांड बढ़ती चली जा रही है। मोरक्‍को के कुछ रिसर्चर्स ने मिलकर बिच्छुओं का जहर निकालने को रिमोट कंट्रोल मशीन तैयार की है। इससे एक साथ चार बिच्छुओं का जहर निकाला जा सकता है.

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