Diwali 2024: धनतेरस से भाई दूज तक, जानिए दीपावली के पांच दिनों की परंपराएं

Diwali 2024: इस लेख में दीपावली के पांच महत्वपूर्ण दिनों, धनतेरस से लेकर भाई दूज तक की परंपराओं और महत्व को सरल और स्पष्ट भाषा में बताया गया है. जानें कैसे हर दिन की पूजा और अनुष्ठान हमारे जीवन में समृद्धि और खुशियों का संचार करते हैं.

By Rinki Singh | October 15, 2024 8:04 PM
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Diwali 2024: दीपावली, जिसे दीवाली भी कहा जाता है, भारत के सबसे प्रमुख और पवित्र त्योहारों में से एक है। यह त्योहार पांच दिनों तक मनाया जाता है, और हर दिन का अपना एक विशेष महत्व और परंपराएं होती हैं. इन पांच दिनों में धनतेरस, नरक चतुर्दशी, लक्ष्मी पूजन, गोवर्धन पूजा और भाई दूज शामिल हैं. हर दिन के पीछे एक विशेष कहानी और आस्था जुड़ी हुई है, जो हमारी भारतीय संस्कृति और परंपराओं को समृद्ध करती है. आइए जानते हैं इन पांचों दिनों का महत्व और उनसे जुड़ी परंपराएं.

धनतेरस (धन त्रयोदशी)

धनतेरस दीपावली की शुरुआत का पहला दिन होता है. इस दिन का महत्व स्वास्थ्य और समृद्धि से जुड़ा है. धनतेरस के दिन लोग सोने, चांदी, बर्तन या अन्य कीमती वस्तुएं खरीदते हैं, ताकि उनके घर में बरकत और सौभाग्य बना रहे. धनतेरस के पीछे मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरि इसी दिन अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे. इसलिए इस दिन खरीदारी को शुभ माना जाता है. लोग इस दिन धन की देवी लक्ष्मी और स्वास्थ्य के देवता धन्वंतरि की पूजा करते हैं.

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नरक चतुर्दशी (काली चौदस/छोटी दीपावली)

धनतेरस के अगले दिन नरक चतुर्दशी या छोटी दीपावली मनाई जाती है. इस दिन का संबंध भगवान श्रीकृष्ण द्वारा नरकासुर नामक दानव के वध से है, जिसने 16,000 कन्याओं को बंधक बना रखा था. नरकासुर के वध के बाद भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें मुक्त कराया. इस दिन लोग सूर्योदय से पहले स्नान करते हैं और इसे नरक स्नान कहा जाता है. माना जाता है कि ऐसा करने से पापों से मुक्ति मिलती है. इस दिन दीप जलाने की भी परंपरा होती है, जो कि बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है.

लक्ष्मी पूजन (मुख्य दीपावली)

तीसरे दिन को मुख्य दीपावली या लक्ष्मी पूजन कहा जाता है. यह दिन धन और समृद्धि की देवी लक्ष्मी की पूजा के लिए खास माना जाता है. दीपावली की रात घरों में दीप जलाए जाते हैं और लोग अपने घरों को साफ-सुथरा और सुंदर सजाते हैं, ताकि देवी लक्ष्मी का आगमन हो सके. इस दिन व्यापारी अपने बही-खाते की पूजा करते हैं और नए साल की शुरुआत करते हैं. ऐसा माना जाता है कि इस दिन देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर आती हैं और उन घरों में वास करती हैं, जो साफ और सुंदर होते हैं. लोग इस दिन मिठाइयों और पटाखों के साथ खुशियां मनाते हैं.

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गोवर्धन पूजा (अन्नकूट)

चौथे दिन गोवर्धन पूजा या अन्नकूट मनाया जाता है. यह दिन भगवान कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाने की कहानी से जुड़ा है. मान्यता है कि इस दिन भगवान कृष्ण ने अपने गांववासियों को इंद्रदेव की पूजा करने से रोका और गोवर्धन पर्वत की पूजा करने की सलाह दी. इंद्रदेव नाराज हो गए और गांव पर भारी बारिश कर दी, तब भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी अंगुली पर उठाकर गांववासियों की रक्षा की. इस दिन लोग अन्नकूट का आयोजन करते हैं, जिसमें भगवान को विभिन्न प्रकार के व्यंजन अर्पित किए जाते हैं. यह दिन प्रकृति और अन्न के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का प्रतीक है.

भाई दूज

दीपावली के पांचवें और अंतिम दिन को भाई दूज कहा जाता है. यह दिन भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को समर्पित होता है. भाई दूज पर बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र और खुशहाली के लिए पूजा करती हैं और भाइयों को तिलक करती हैं. भाई अपनी बहनों की रक्षा और उन्हें जीवन भर सहयोग देने का वचन देते हैं. इस दिन भाई और बहन एक-दूसरे को उपहार भी देते हैं. इस परंपरा के पीछे यमराज और यमुनाजी की कहानी है, जिसमें यमुनाजी ने अपने भाई यमराज को अपने घर भोजन के लिए आमंत्रित किया था. यमराज ने वचन दिया कि जो भाई इस दिन अपनी बहन से तिलक करवाएगा, उसकी उम्र लंबी होगी.

दीपावली के पांच दिनों का महत्व क्या है?

दीपावली के पांच दिनों का महत्व अलग-अलग परंपराओं और धार्मिक मान्यताओं से जुड़ा है. धनतेरस पर धन और समृद्धि की देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है, जबकि नरक चतुर्दशी पर बुराइयों से मुक्ति की कामना की जाती है. मुख्य दीपावली पर लक्ष्मी पूजन किया जाता है, गोवर्धन पूजा में भगवान कृष्ण की कृपा का स्मरण होता है, और भाई दूज पर भाई-बहन के रिश्ते की मिठास मनाई जाती है. यह त्योहार प्रेम, समर्पण और खुशियों का प्रतीक है.

दीपावली के दौरान कौन-कौन से महत्वपूर्ण दिन मनाए जाते हैं?

दीपावली के दौरान पांच महत्वपूर्ण दिन मनाए जाते हैं. धनतेरस, नरक चतुर्दशी, लक्ष्मी पूजन, गोवर्धन पूजा, और भाई दूज. हर दिन की अपनी विशेष परंपरा और महत्व है, जैसे धनतेरस पर धन की देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है और भाई दूज पर भाई-बहन के रिश्ते को सेलिब्रेट किया जाता है. यह त्योहार जीवन में समृद्धि, प्रेम और खुशियों का संचार करता है.

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