Diwali health 2024 : अस्थमा के मरीज सावधानी से मनाएं दिवाली

अस्थमा की समस्या का शिकार हैं, तो कुछ बातों को ध्यान में रखकर मनाएं दिवाली...

By Prachi Khare | October 29, 2024 4:12 PM

Diwali health 2024 : अस्थमा के मरीजों के लिए दिवाली का त्योहार विशेष सावधानी बरतने वाला होता है. पटाखों का धुआं, हवा में शामिल धूल इन मरीजों की समस्या को बढ़ा सकते हैं. ऐसे में जरूरी है कि आप त्योहार का मजा लेने से पहले कुछ सावधानियों की जानकारी रखें और सही समय पर सही कदम उठा कर इसे जानलेवा साबित होने से राेकें.

भारत में 3 करोड़ से अधिक लोग अस्थमा से परेशान

  • 1000 से अधिक व्यक्ति वैश्विक स्तर पर हर दिन अस्थमा के कारण अपनी जान गवां बैठते हैं, विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार.
  • 339 मिलियन से अधिक लोग दुनियाभर में अस्थमा से प्रभावित हैं.
  • 20-30 मिलियन लोग भारत में अस्थमा से पीड़ित हैं.
  • 20 प्रतिशत भारत में ऐसे मरीज हैं, जिनकी उम्र 14 वर्ष से कम है.

सांस लेना मुश्किल कर देती है यह बीमारी

अस्थमा सांस से जुड़ी बीमारी है, जिसमें मरीज को सांस लेने में तकलीफ होती है. इस बीमारी में सांस की नली में सूजन या सिकुड़न आ जाती है, जिससे फेफड़ों पर अतिरिक्त दबाव महसूस होता है. ऐसे में सांस लेने पर दम फूलने लगता है, खांसी आने लगती है और सीने में जकड़न के साथ-साथ घरघराहट की आवाज आती है.

  • अस्थमा किसी भी आयु वर्ग के व्यक्ति को हो सकता है. लेकिन, अधिकतर मामलों में इसकी शुरुआत बचपन में होती है.
  • अगर माता-पिता दोनों को अस्थमा है, तो बच्चों में इसके होने की आशंका 50 से 70 फीसदी और एक में है, तो करीब 30-40 फीसदी तक होती है.
  • अस्थमा हर मरीज के लिए जानलेवा नहीं साबित होता. कुछ सावधानियों एवं जीवन में कुछ बदलावों को अपनाते हुए इस समस्या को नियंत्रित रखा जा सकता है.
  • धूम्रपान, धुआं, धूल व पालतू जानवरों के बाल इस समस्या को बढ़ा सकते हैं.

इसे भी पढ़ें : Diwali health 2024 : दिवाली, पटाखे और आपकी सेहत 

इन लक्षणों से करें पहचान

  • छाती में दबाव महसूस होना
  • सांस फूलना
  • सांस लेने पर सीटी जैसी आवाज आना
  • सीने में जकड़न
  • बार-बार जुकाम होना
  • लंबे समय से खांसी आना
  • सीने में दर्द की शिकायत होना

लाइलाज है यह रोग

अस्थमा पूरी तरह से ठीक नहीं हो सकता, लेकिन कुछ बातों पर ध्यान देकर इस नियंत्रण में रखा जा सकता है.

  • लगातार दम फूलने की स्थिति में मरीज को कोर्टिकोस्टेरॉयड के लो डोज वाला इनहेलर दिया जाता है.
  • अस्थमा के लिए इनहेलर का प्रयोग अभी तक मात्र 29 प्रतिशत से भी कम किया जाता है.
  • इसके साथ ही दवाओं के माध्यम से मरीज की स्थिति को काबू में रखा जाता है.

इन टेस्ट से होती है पुष्टि

स्पायरोमेट्री : इसमें जांच की जाती है कि मरीज कितनी तेजी से सांस ले सकता है और छोड़ सकता है.
पीक फ्लो : फेफड़े कितना काम कर रहे हैं, यह देखने के अलावा यह भी चेक करते हैं कि मरीज सांस कितनी तेजी से बाहर निकाल पा रहा है.
लंग्स या पल्मनरी फंक्शन टेस्ट : इस टेस्ट के जरिये फेफड़े और पूरे श्वसन तंत्र की जांच की जाती है.
स्किन पैच एवं ब्लड टेस्ट : अस्थमा की वजह किसी तरह की एलर्जी है, तो स्किन पैच व ब्लड टेस्ट से इसकी पुष्टि की जाती है.

कब बढ़ता है अस्थमा

  • रात में या सुबह तड़के
  • ठंडी हवा या कोहरे से
  • ज्यादा कसरत करने के बाद
  • बारिश या ठंड के मौसम में

बचाव के उपाय

  • अस्थमा के मरीज खानपान पर विशेष ध्यान दें. दूध या दूध से बने किसी भी पदार्थ का सेवन न करें.
  • मौसम बदलने के साथ ही डॉक्टर से संपर्क करें.
  • समय पर दवाएं लें.
  • घर की सफाई के दौरान घर से बाहर रहें.
  • केमिकल युक्त खाद्य पदार्थों के सेवन से बचें.
  • धूल-धुंआ और धूम्रपान से दूर रहें.
  • सर्दी-जुकाम या गले में खराश होने पर तुरंत डॉक्टर से उपचार कराएं.
  • कुत्ता, बिल्ली जैसे पालतू जानवरों के संपर्क से दूर रहें. 

Next Article

Exit mobile version