त्योहार के प्रत्येक दिन जलाए जाने वाले दीयों की संख्या हिंदू मान्यताओं के अनुसार अलग-अलग होती है. घर के हर कोने को रोशन करने वाले इन दीयों के बिना रोशनी का त्योहार अधूरा है. ऐसे में आइए जानते हैं कि किस दिन कितने दीये जलाना शुभ होता है.
धनतेरस के दिन 13 दीये जलाने की प्रथा है. इन दीयों को घर में अलग-अलग जगहों पर रखना चाहिए, जैसे प्रवेश द्वार पर, रसोई में और पूजा कक्ष में. प्रत्येक दीये का अपना विशिष्ट अर्थ होता है.
माना जाता है कि दरवाजे पर रखा गया दीया मेहमानों के स्वागत और घर में समृद्धि का प्रतीक है. रसोई में रखा दीया प्रचुर मात्रा में भोजन और अच्छे स्वास्थ्य का प्रतीक है और पूजा कक्ष में रखा गया दीया भगवान की पूजा और आशीर्वाद मांगने का प्रतीक है.
छोटी दिवाली, जिसे काली चौदस भी कहा जाता है, पर 14 दीये जलाना शुभ माना जाता है. इन दीयों को एक प्लेट में रखें जिसके किनारे पर 11 दीये हों और बीच में एक चार मुख वाला दीया हो.
सबसे पहले चार मुख वाला दीया जलाना चाहिए, उसके बाद बाकी 11 दीये जलाने चाहिए. कुछ लोग अच्छे और समृद्ध जीवन की अपनी इच्छा के प्रतीक के रूप में दीयों में चीनी या अन्य मिठाइयां भी मिलाते हैं.
बड़ी दिवाली पर, जिसे लक्ष्मी पूजा भी कहा जाता है, पूरे घर और आंगन में कई दीये जलाने की उम्मीद की जाती है. यह उज्ज्वल और समृद्ध भविष्य की इच्छा का प्रतीक है. कुछ लोग दिवाली की खुशियां दूसरों के साथ साझा करने के लिए अपनी बालकनियों पर भी दीये जलाते हैं.