Diwali Totka Upay: दिवाली पर कई तरह के विधि विधान किए जाते हैं और परंपराओं को निभाया जाता है इसी में से एक है. सुप बजा कर दरिद्रता को दूर करने कि अनोखी परंपरा. यह दीपावली के अवसर पर पुराने समय से चले रहे रिवाजों में से एक है. कई धार्मिक पुस्तकों में इसके बारे में आपको पढ़ने को मिल सकता है. आज हम जानेंगे कि आखिर सूप बजाने से दरिद्रता (दलिदर) कैसे भागता है, यह क्यों बजाया जाता है, कब बजाया जाता है और इसके पीछे के कुछ कारण भी जानेंगे तो हमारे साथ इस आर्टिकल में बने रहिए.
कब भगाया जाता है दरिद्र क्या है समय
दिवाली की सुबह लगभग 4:00 बजे उठकर घर की माताएं या कोई भी एक सदस्य टूटी हुई सूप लेकर पूरे घर में घूम घूम कर उसे बजाता है. हर कोने में ले जाकर सुप खटखटाता है. और कहता है की दरिद्रता भागे और लक्ष्मी जी आए. आम भाषा में लोग कहते हैं दलिंदर भाग मां लक्ष्मी अंदर आए. इस तरह की बातें इसलिए कही जाती हैं कि जो नकारात्मकता घर है वह बाहर भागे और सकारात्मक यानी मां लक्ष्मीजी घर के अंदर आएं.
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सूप बजाने के पीछे का धार्मिक महत्व
भारतीय संस्कृति में सूप को धन और अन्न का सूचक माना जाता है. सूप का काम होता है अच्छी चीजों को रख लेना और बुरी चीजों को फटक कर बाहर फेंक देना है. जिससे अन्न से सारे छिलके और अशुद्धियां अलग हो जाती हैं. दिवाली के दिन सुप बजाने के पीछे का एक धार्मिक महत्व यह भी है कि सूप बजाने से दरिद्रता दूर हो जाती है इसकी आवाज मात्र से ही दरिद्रता घर से जाने लगती है और मां लक्ष्मी का वास होता है. क्योंकि सूप को शुभ माना जाता है. ऐसा माना जाता है जैसे सूप अनाज को शुद्ध करता है, वैसी इसकी आवाज घर को भी पवित्र और शुद्ध कर देती है.
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गरीबी और दरिद्रता का अंत
भारतीय परंपरा में सूप बजाकर दरिद्रता भागने का यह कार्य इस मान्यता को मजबूत करता है कि दीवाली सिर्फ अंधकार को दूर करने का नहीं बल्कि जीवन से आर्थिक अभावों के साथ ही नकारात्मकता को भी दूर करने का त्योहार है. इस तरह, यह एक मानसिक प्रक्रिया भी है जो हमें याद दिलाती है कि हमारी मेहनत और समर्पण से हम अपने जीवन में धन और समृद्धि ला सकते हैं.
दिवाली पर सूप बजाया जाता है?
दिवाली पर सूप बजाना दरिद्रता और नकारात्मकता को दूर करने का प्रतीक माना जाता है. सूप की आवाज़ से घर शुद्ध होता है और सुख-समृद्धि का आती है. यह परंपरा मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी करती है.
दिवाली पर सूप बजाकर दरिद्रता भगाने की परंपरा कब से है?
यह परंपरा सदियों पुरानी है और इसे दरिद्रता को दूर कर घर में लक्ष्मी का वास कराने के लिए किया जाता है. इसे धार्मिक रूप से सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना गया है