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Diwali Traditions: कहीं तेल स्नान, कहीं अखाड़ा सजाने की परंपरा, कई तरीकों से मनाई जाती है दिवाली

Diwali Traditions: इस आर्टिकल में दी गई जानकारी प्रचलित मान्यताओं और पारंपरिक रीति-रिवाजों पर आधारित है. कृपया इसे धार्मिक या सांस्कृतिक सलाह के रूप में न लें. अपने क्षेत्र की परंपराओं के अनुसार निर्णय लें.

Diwali Traditions: भारत में दिवाली का त्यौहार जहां हर जगह खुशी और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है, वहीं इसे मनाने के तरीके और मान्यताएं अलग-अलग जगहों पर भिन्न होती हैं. यह आर्टिकल आपको बताएगा कि भारत के विभिन्न क्षेत्रों में दिवाली की परंपराएं क्या हैं, और इसमें जुड़े कुछ ऐसे रोचक तथ्य जो शायद कम लोग जानते हैं.

उत्तर भारत में दिवाली

उत्तर भारत में दिवाली भगवान राम की अयोध्या वापसी के तौर पर मनाई जाती है. इसे मुख्य रूप से अच्छाई की बुराई पर जीत का प्रतीक माना जाता है. इस क्षेत्र में लोग दीप जलाकर, लक्ष्मी पूजन करके, और घरों को सजाकर त्योहार मनाते हैं. पटाखों और मिठाइयों के साथ खुशियां बांटने की परंपरा भी गहरे तक जुड़ी हुई है.

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पश्चिम भारत में दिवाली

पश्चिम भारत, खासकर महाराष्ट्र और गुजरात में, दिवाली का खास महत्व व्यापारियों के लिए है. इसे उनके नए व्यापारिक साल की शुरुआत के रूप में देखा जाता है. बही-खातों की पूजा, दीयों से सजे घर, और नए साल के जश्न के साथ यह पर्व मनाया जाता है.

पूर्वी भारत में दिवाली

पूर्वी भारत, खासकर बंगाल में, दिवाली की रात देवी काली की पूजा होती है. इसे काली पूजा कहा जाता है, जो बुरी शक्तियों से रक्षा के लिए की जाती है. पटाखों की गूंज और दीयों की रोशनी के साथ यहां का उत्सव खास होता है.

दक्षिण भारत में दिवाली

दक्षिण भारत में दिवाली ‘नरक चतुर्दशी’ के रूप में मनाई जाती है. इस दिन भगवान कृष्ण ने राक्षस नरकासुर का वध किया था. यहां के लोग तेल से स्नान करते हैं, नए कपड़े पहनते हैं और पूजा के बाद पटाखों के साथ त्योहार का आनंद उठाते हैं.

काली पूजा का अनूठा महत्व

बंगाल में काली पूजा को तंत्र-मंत्र से जोड़ा जाता है. माना जाता है कि इससे बुरी शक्तियों का नाश होता है, और यह पर्व गहरी आध्यात्मिक मान्यताओं से जुड़ा है.

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गोवा का अनोखा रिवाज

गोवा में दिवाली के पहले दिन ‘अखाड़ा’ सजाने की परंपरा है, जहां नरकासुर की विशाल मूर्तियां बनाई जाती हैं और फिर उन्हें जलाया जाता है. यह बुराई के अंत का प्रतीक है, लेकिन इस परंपरा के बारे में कम लोग जानते हैं.

तेल स्नान की खास परंपरा

दक्षिण भारत में दिवाली के दिन सुबह-सुबह तेल से स्नान करना शारीरिक और मानसिक शुद्धि का प्रतीक माना जाता है. यह एक प्राचीन परंपरा है जो यहां खास रूप से निभाई जाती है.

दीयों के पीछे वैज्ञानिक कारण

सरसों के तेल के दीये जलाने से न केवल धार्मिक महत्व जुड़ा है, बल्कि इससे वातावरण भी शुद्ध होता है और कीटाणु मर जाते हैं. यह तथ्य कम लोग जानते हैं.

भारत के विभिन्न हिस्सों में दिवाली किस तरह से अलग-अलग तरीकों से मनाई जाती है?

भारत के विभिन्न हिस्सों में दिवाली अलग-अलग परंपराओं के साथ मनाई जाती है. उत्तर भारत में भगवान राम की अयोध्या वापसी के रूप में दिवाली मनाई जाती है, जबकि दक्षिण भारत में तेल स्नान और नरकासुर वध की परंपरा है. पूर्वी भारत में देवी काली की पूजा और तंत्र-मंत्र से जुड़ी मान्यताएं दिवाली का हिस्सा हैं.

दक्षिण भारत में दिवाली किस खास परंपरा के साथ मनाई जाती है?

दक्षिण भारत में दिवाली ‘नरक चतुर्दशी’ के रूप में मनाई जाती है, जिसमें लोग तेल स्नान करके दिन की शुरुआत करते हैं. यह परंपरा भगवान कृष्ण द्वारा नरकासुर के वध की याद में निभाई जाती है, जो शारीरिक और मानसिक शुद्धि का प्रतीक मानी जाती है.

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