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Eco-Friendly Durga: नवरात्रि में इको-फ्रेंडली मूर्तियों का निर्माण, पर्यावरण संरक्षण की ओर एक कदम

Eco-Friendly Durga: इस लेख में जानें कैसे नवरात्रि के दौरान इको-फ्रेंडली मूर्तियों का निर्माण करके हम न केवल मां दुर्गा की पूजा कर सकते हैं, बल्कि पर्यावरण की भी रक्षा कर सकते हैं. मूर्ति बनाने की प्रक्रिया, सामग्री और स्वास्थ्यवर्धक लाभों के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करें.

Eco-Friendly Durga: नवरात्रि का त्योहार मां दुर्गा की पूजा का पर्व है. इस दौरान हम सभी अपने घरों में मां दुर्गा की खूबसूरत मूर्तियां स्थापित करते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि हमारी परंपरा को पर्यावरण के अनुकूल भी बनाया जा सकता है? जी हां, इको-फ्रेंडली मूर्तियां बनाकर हम न केवल अपनी आस्था को व्यक्त कर सकते हैं, बल्कि पर्यावरण की रक्षा में भी योगदान दे सकते हैं. आइए जानते हैं कि इको-फ्रेंडली मूर्तियां क्यों बनानी चाहिए और कैसे बनानी चाहिए.

क्यों चुनें इको-फ्रेंडली मूर्तियां?

इको-फ्रेंडली मूर्तियों का सबसे बड़ा लाभ यह है कि ये जल में घुल जाती हैं. सामान्य प्लास्टर या प्लास्टिक की मूर्तियों के विसर्जन से जल प्रदूषण होता है, लेकिन मिट्टी से बनी ये मूर्तियां हमारे जल स्रोतों को प्रदूषित नहीं करतीं. इको-फ्रेंडली मूर्तियों में कोई हानिकारक रसायन नहीं होता. ये पूरी तरह से प्राकृतिक सामग्री से बनी होती हैं, जो मानव स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित हैं. स्थानीय रूप से उपलब्ध सामग्री का उपयोग करके स्थानीय कारीगरों को प्रोत्साहित किया जा सकता है. इससे न केवल उनके काम को मान्यता मिलती है, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बल मिलता है.

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कैसे बनाएं इको-फ्रेंडली मूर्तियां?

मूर्ति बनाने के लिए सबसे पहले बांस या लकड़ी से एक ढांचा तैयार करें. यह ढांचा मूर्ति के लिए आधार होगा.
इस ढांचे पर मिट्टी लगाकर मां दुर्गा का आकार दें. मिट्टी से बनी मूर्तियां आसानी से जल में घुल जाती हैं. अब मूर्ति को सजाने का समय है. आप प्राकृतिक रंगों, सूखे फूलों, पत्तियों और कपड़ों का उपयोग करके इसे और खूबसूरत बना सकते हैं.

इको-फ्रेंडली मूर्तियों के लिए सामग्री

मिट्टी– मूर्ति का मुख्य आधार
बांस– ढांचे के लिए
कागज– सजावट के लिए
सूखे फूल– सजावट में उपयोग
प्राकृतिक रंग– रंगाई के लिए
कपड़े– मूर्ति की सजावट के लिए

विसर्जन

इको-फ्रेंडली मूर्तियों को विसर्जित करने के बाद ये जल में घुल जाती हैं और पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं पहुंचाती हैं. यह हमें एक सुरक्षित और स्वस्थ जल स्रोत का आश्वासन देती हैं.

इस नवरात्रि, आप भी बनाएं इको-फ्रेंडली मूर्तियां

इस नवरात्रि, आप भी एक इको-फ्रेंडली मूर्ति बनाएं और पर्यावरण संरक्षण में अपना योगदान दें. जब आप अपने हाथों से बनाई गई मूर्ति की पूजा करेंगे, तो न केवल आपकी आस्था को संतोष मिलेगा, बल्कि पर्यावरण के प्रति आपके प्रयासों का भी एहसास होगा.

इको-फ्रेंडली मूर्तियों को बनाने के लिए कौन-कौन सी सामग्री का उपयोग किया जा सकता है?

इको-फ्रेंडली मूर्तियों के लिए मुख्य रूप से मिट्टी, बांस, सूखे फूल, प्राकृतिक रंग और कपड़े का उपयोग किया जा सकता है. इन सामग्रियों से बनी मूर्तियां न केवल सुंदर होती हैं, बल्कि पर्यावरण के लिए भी सुरक्षित होती हैं. यह सभी सामग्री जल में घुलकर किसी प्रकार का प्रदूषण नहीं फैलाती.

नवरात्रि के दौरान इको-फ्रेंडली मूर्तियों का निर्माण क्यों महत्वपूर्ण है?

इको-फ्रेंडली मूर्तियों का निर्माण जल प्रदूषण को कम करता है क्योंकि ये जल में घुल जाती हैं. इनमें हानिकारक रसायन नहीं होते, जिससे स्वास्थ्य पर भी कोई खतरा नहीं होता. इसके अलावा, स्थानीय सामग्रियों का उपयोग करने से स्थानीय कारीगरों को भी बढ़ावा मिलता है.

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