Eco-friendly lakshmi Murti: दिवाली का पर्व आने वाला है और हर कोई अपने घर को सजाने और मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए तैयारियों में जुटा है. इस शुभ अवसर पर मां लक्ष्मी की मूर्ति की स्थापना का विशेष महत्व होता है, क्योंकि इससे घर में धन-समृद्धि और सुख-शांति का वास होता है. लेकिन इस बार आप एक नई शुरुआत करें और ईको- फ्रेंडली मूर्तियों को प्राथमिकता दें. ये न केवल पर्यावरण को संरक्षित रखने में मदद करेंगी, बल्कि आपके परिवार के लिए स्वास्थ्यवर्धक भी साबित होंगी.
क्या है ईको- फ्रेंडली लक्ष्मी मूर्ति (Eco-friendly lakshmi Murti) का महत्व?
ईको- फ्रेंडली मूर्तियां मिट्टी, गोबर, हल्दी, या अन्य प्राकृतिक सामग्रियों से बनाई जाती हैं. इन्हें आसानी से पानी में विसर्जित किया जा सकता है, जिससे किसी भी प्रकार का प्रदूषण नहीं होता. इसके अलावा, ये मूर्तियां पूरी तरह से बायोडिग्रेडेबल होती हैं, इसलिए ये धरती में विलीन होकर किसी भी प्रकार की हानि नहीं पहुंचातीं.
प्लास्टर ऑफ पेरिस (POP) और प्लास्टिक से बनी मूर्तियों के विपरीत, ईको- फ्रेंडली मूर्तियां पर्यावरण और हमारी स्वास्थ्य को सुरक्षित रखती हैं.
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कैसे चुनें सही ईको- फ्रेंडली मूर्ति?
1. प्राकृतिक सामग्री: गोबर, मिट्टी, हल्दी, चंदन जैसी सामग्री से बनी मूर्ति चुनें, जो शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक होती है.
2. स्थानीय शिल्पकारों को समर्थन दें: ईको- फ्रेंडली मूर्तियां अधिकतर स्थानीय कलाकारों द्वारा बनाई जाती हैं. इनसे न केवल आप पर्यावरण की रक्षा करते हैं, बल्कि इन शिल्पकारों की आजीविका में भी सहयोग करते हैं.
3. पानी में आसानी से घुल जाने वाली मूर्तियां : ऐसे विकल्प चुनें जो विसर्जन के बाद पानी में आसानी से घुल जाएं और प्रदूषण न फैलाएं.
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ईको- फ्रेंडली मूर्तियों से जुड़े फायदे
स्वास्थ्य पर कोई बुरा असर नहीं: POP मूर्तियां कई बार केमिकल्स से रंगी होती हैं, जो सेहत पर बुरा प्रभाव डाल सकती हैं. ईको-फ़्रेंडली मूर्तियाँ पूरी तरह से प्राकृतिक होती हैं.
प्राकृतिक ऊर्जा का संचार: प्राकृतिक सामग्रियों से बनी मूर्तियाँ सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करती हैं.
कम लागत में उपलब्ध: ये मूर्तियाँ POP की तुलना में सस्ती और सरल होती हैं.
इस दिवाली, मां लक्ष्मी की कृपा पाने के साथ-साथ पर्यावरण के प्रति अपना कर्तव्य निभाएं. ईको-फ़्रेंडली मूर्तियों के माध्यम से आप एक स्वस्थ और स्वच्छ दिवाली मना सकते हैं.
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