इस बार भी लीजिए मजा जंस्कार नदी पर चद्दर ट्रेकिंग और पैंगांग झील पर मैराथन दौड़ का
अगर आप रोमांच में इच्छा रखते हैं तो लद्दाख में दो रोमांच आपका इंतजार कर रहे हैं. यह है सर्दियों में बर्फ में बदल जाने वाली जंस्कार नदी पर ट्रेकिंग का आनंद, जिसे चद्दर ट्रैक कहा जाता है और दूसरा पैंगांग झील पर एक बार फिर जमी हुई झील पर मैराथन दौड़ का.
सच में अगर आप रोमांच में इच्छा रखते हैं तो लद्दाख में दो रोमांच आपका इंतजार कर रहे हैं. यह है सर्दियों में बर्फ में बदल जाने वाली जंस्कार नदी पर ट्रेकिंग का आनंद, जिसे चद्दर ट्रैक कहा जाता है और दूसरा पैंगांग झील पर एक बार फिर जमी हुई झील पर मैराथन दौड़ का.
खारे पानी की झीलयह खबर आपके लिए ही हो सकती है. दुनिया की सबसे ऊंचाई पर स्थित खारे पानी की झील, पैंगांग लेक जो एक अथाह समुद्र की तरह इसलिए है क्योंकि यह 150 किमी के करीब लंबी है, पर आप मैराथन में हिस्सा ले सकते हैं. पानी पर नहीं बल्कि इसके जम जाने पर अर्थात बर्फ में बदल जाने पर. इस बार यह मैराथन 20 फरवरी 2024 को संपन्न होगी. हालांकि जंस्कार नदी के जम जाने के बाद इस पर होने वाली कई किमी की ट्रेकिंग, जिसे चद्दर ट्रैक कहा जाता है, कई सालों से हो रही है पर पैंगांग लेक पर मैराथन दूसरी बार होगी. मैराथन करवाने के लिए लद्दाख आटोनोमस हिल डिवलेपमेंट कांउंसिल अर्थात एलएएचडीसी ने इसकी योजना को इस बार भी मंजूरी दे दी है.
केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख ने 13,862 फीट ऊंची पैंगांग झील में शून्य से कम तापमान में अपनी पिछले साल पहली 21 किलोमीटर दौड़ का सफलतापूर्वक आयोजन करके इतिहास रचा था. इसे गिनीज विश्व रिकार्ड में दुनिया की सबसे ऊंची जमी हुई झील पर हुई हाफ मैराथन के रूप में दर्ज किया जा चुका है. जानकारी के लिए भारत और चीन की सीमा पर 700 वर्ग किलोमीटर में फैली पैंगांग झील का सर्दियों के दौरान तापमान माइनस 30 डिग्री सेल्सियस तक होता है जिससे खारे पानी की झील बर्फ से जम जाती है और इसी झील के किनारों पर कब्जे की जंग चीन और भारतीय सेना के बीच चार सालों से चल रही है.
Also Read: प्रेरणा की मिसाल कैप्टन गीतिका कौल, सियाचिन में तैनात होने वाली पहली महिला मेडिकल अधिकारी बनी विंटर टूरिज्म की योजनाओं के तहत किया जा रहा आयोजनयह सब लद्दाख में विंटर टूरिज्म की योजनाओं के तहत किया जा रहा है. इसके अतिरिक्त भी और कई योजनाओं को एलएएचडीसी की बैठक में अंतिम रूप दिया गया है पर एलएएचडीसी के चेयरमेन तथा चीफ काउंसलर ताशी गयालसन ने इन दो रोमांचकारी योजनाओं को ज्यादा से ज्यादा प्रचारित करने पर जोर दिया.
बहुत ही एडवेंचरस ट्रेकउन्होंने बताया कि अगर चीन सीमा पर स्थित पैंगांग झील के आसपास परिस्थितियां समाान्य रहीं तो वे सर्दी के मौसम में जम जाने वाली इस झील पर फिर से मैराथन करवाना चाहेंगें. वे लोगों को इस पर चलने का न्यौता भी दे रहे हैं. जानकारी के लिए पैंगांग झील के किनारों पर कब्जा जमाए बैठी चीनी सेना के साथ पिछले चार सालों से तनातनी के माहौल के बावजूद पैंगांग झील तक टूरिस्ट्स को जाने की अनुमति प्रदान की जा रही है. जबकि लद्दाख की जंस्कर घाटी में जंस्कर नदी पर होने वाला चद्दर ट्रेक सिर्फ लद्दाख प्रेमियों को ही नहीं बल्कि एडवेंचर के उन शौकीनों को भी आकर्षित करता है जिन्हें जोखिम उठाने में बहुत मज़ा आता है. सर्दियों के मौसम में जम चुकी जंस्कर नदी की बर्फीली चादर से ही इस ट्रेक को अपना नाम चद्दर ट्रेक मिला है. जम चुकी बर्फीली नदी पर चलते हुए इस ट्रेक को पूरा करना जितना चुनौतीपूर्ण होता है उतना ही एडवेंचरस भी होता है.
Also Read: अगर आप भी दिखना चाहते हैं अक्षय कुमार की तरह फिट, तो फॉलो करें उनका ये डाइट प्लान कैसे पहुंचेचद्दर ट्रेक की गिनती कठिनतम ट्रेक में होती है. इसका बेस कैंप लेह से करीब 60-70 किमी दूर तिलाद में होता है. इसलिए सबसे पहले आपको लेह पहुंचना होगा और वहां से बेस कैंप जाना पड़ेगा. तिलाद से ट्रेकिंग शुरू कर चिलिंग के माध्यम से चद्दर ट्रेक के डेस्टिनेशन पर पहुंचा जाता है. चिलिंग से आप जैसे-जैसे जंस्कर नदी के किनारे-किनारे आगे बढ़ते हैं, जंस्कर नदी जमने लगती है. लगभग 105 किमी लंबे इस ट्रेक को पूरा करने में लगभग 9-15 दिनों का समय लगता है. हालांकि चद्दर ट्रैक में शामिल होने वालों की सेहत और दुर्घटनाओं से निपटने की तैयारियां भी लेह स्वास्थ्य विभाग ने आरंभ कर दी है और यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि इसमें शामिल होने वालों की जान व सेहत का बीमा होना आवश्यक शर्त के तौर पर लागू किया जाए.
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