भारत का इतिहास अत्यंत समृद्ध है. यहां राजमहल, किले, स्मारक जैसी ऐतिहासिक विरासतें भरी पड़ी हैं. इनमें से ज्यादातर आज टूरिस्ट प्लेस के रूप में प्रसिद्ध हैं. ऐसे स्मारकों, राजमहलों, किलों को बनाने वाले राजा-महाराजाओं की कहानियों भी खूब प्रचलित हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि अपने देश भारत में बने कई स्मारकों को बनाने का क्रेडिट महिलाओं को भी जाता है. जानें ऐसे स्मारकों के बारे में जिन्हें महिलाओं ने बनवाया है.
रानी की वाव, पाटन, गुजरात : गुजरात के पाटन में बनी रानी की वाव अत्यंत प्रसिद्ध टूरिस्ट प्लेस है. रानी उदयामति ने सन 1063 में सोलंकी वंश के अपने पति राजा भीमदेव प्रथम के लिए इसे बनवाया था. रानी उदयमति जूनागढ़ के चूड़ासमा शासक रा खेंगार की पुत्री थीं. इसे साल 2014 में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल के रूप में दर्जा भी मिला है. रानी की वाव 64 मीटर लंबा, 20 मीटर चौड़ा और 27 मीटर गहरा है. यह भारत में अपनी तरह का सबसे अनोखा वाव है. इसकी दीवारों और स्तंभों पर बहुत सी कलाकृतियां और मूर्तियों की शानदार नक्काशी है.
लाल दरवाजा मस्जिद, जौनपुर : जौनपुर के सुल्तान महमूद शर्की की रानी बीबी राजे ने महल के साथ-साथ संत सैय्यद अली दाऊद कुतुबुद्दीन के लिए लाल दरवाजा मजीद बनवाया था. सन 1447 के बाद से उन्होने कई स्मारक बनाए जिनमें से एक मदरसा जामिया हुसैनिया भी है. रानी बीबी राजे ने अपने पति के शासनकाल के दौरान इस क्षेत्र में लड़कियों के लिए पहला स्कूल भी बनवाया था जो उनकी दूरदर्शिता और समानता की भावना को प्रदर्शित करती है.
इतिमद-उद-दौला, आगरा : आगरा के ताजमहल के बारे में हर किसी को बता है लेकिन यहां एक ऐसा मकबरा भी है जो अपनी तरह का पहला मकबरा है. इसका नाम है इतिमद-उद-दौला. इस मकबरे का निर्माण महारानी नूरजहां ने 1622-1628 के बीच अपने पिता मीर गयास बेग के लिए श्रंद्धांजलि स्वरूप बनवाया था. संगमरमर से बना भारत का यह पहला मकबरा है. ताजमहल का निर्माण इसके बाद किया गया था.
हुमायूं का मकबरा, नई दिल्ली : दिल्ली स्थित हुमायूं का मकबरे अत्यंत प्रसिद्ध स्मारकों में से एक है. दिल्ली घूमने जाने वाले पर्यटक यहां जरूर जाते हैं. इस स्मारक का निर्माण हाजी बेगम या हमीदा बानो बेगम ने 1565-72 में कराया था। यह स्मारक भारतीय मोटिफ्स के साथ फारसी वास्तुकला के फ्यूजन से बना है जो अपने आप में इकलौता और अत्यंत खूबसूरत है.
मिरजन किला, कर्नाटक : भारत की एक रानी ऐसी भी थीं जिसे पेपर क्वीन के नाम से बुलाया जाता है. दरअसल गेरसोप्पा की रानी चेन्नाभैरदेवी को सबसे अच्छी काली मिर्च उगाने वाली भूमि पर शासन करने के लिए पुर्तगालियों ने उन्हें ‘द पेपर क्वीन’ का उपनाम दिया था. 16वीं शताब्दी में रानी ने मिरजन किला बनवाया था. यहां का खूबसूरत प्राकृतिक दृष्य पर्यटकों का मन मोह लेता है.