Mother’s Day: मनुष्य ही ऐसे इकलौते जीव नहीं हैं, जो अपने बच्चों की सुरक्षा और पालन-पोषण के लिए असाधारण कदम उठाते हैं. प्रकृति में कई अन्य ऐसे जीव-जंतु हैं, जिनमें मां अपने बच्चों के पालन-पोषण के लिए किसी भी हद तक जा सकती हैं.
ओरांगुटान : 8 वर्षों तक बच्चे को नहीं छोड़ती अकेले
ओरांगुटान हम इंसानों के सबसे करीबी जीवों में एक हैं. इनमें भी इंसानों की तरह 32 दांत होते हैं. ओरांगुटान मां व उसके बच्चे के बीच का रिश्ता बेहद मजबूत होता है. जीवन के पहले दो वर्षों तक बच्चा खाने के लिए पूरी तरह मां के दूध पर ही निर्भर होता है. इसके बाद भी मां ओरांगुटान बच्चे को 7 से 8 वर्षों तक दूध पिलाती हैं, जबकि इंसान के बच्चे 6-12 महीने तक ही मां का दूध पीते हैं. हालांकि, दो वर्ष के बाद माता ओरांगुटान बच्चे को भोजन ढूंढ़ना और शिकारियों से बचना सिखाती हैं. साथ ही उन्हें बताती हैं कि सोने के लिए पेड़ों पर अपना बसेरा कैसे बनाना है. दरअसल, बाघ, तेंदुए जैसे शिकारियों से बचने के लिए इनको पेड़ों पर रहना होता है.
ध्रुवीय भालू : दो वर्षों तक सिखातीं जरूरी कौशल
ध्रुवीय भालू मांएं आमतौर पर जुड़वां बच्चों को जन्म देती हैं, जो ठंडी जलवायु में जीने के लिए आवश्यक कौशल सीखने हेतु लगभग 2 वर्षों तक बच्चों से जुड़ी रहती हैं. बच्चे ठंड को सह सकें, इसके लिए मां बर्फ में गहरा गड्ढा खोद कर मांद बनाती हैं. साथ ही इससे अन्य मांसभक्षी जानवरों से उनकी रक्षा हो पाती है. वह आमतौर पर नवंबर तथा जनवरी के बीच अपने शावकों को जन्म देती हैं और अपने शरीर की गर्मी व दूध से उनको गर्म रखती हैं. शिकार करना सीखने से पहले, बाहरी तापमान के अभ्यस्थ होने के लिए बच्चे मार्च-अप्रैल महीने में मांद से बाहर आ जाते हैं.
अफ्रीकी हाथी : समूह में मिलता है मां का स्नेह
जब अफ्रीकी हाथियों की बात आती है, तो अपने बच्चे का मार्गदर्शन करने वाली मां अकेली नहीं होती. आमतौर पर हाथियों का समूह मातृसत्तात्मक होता है, अत: समाज की अन्य मादा हाथी मिलकर बच्चों को आपने पांवों पर खड़ा होने तथा देखभाल करना सिखाती हैं. बड़ी उम्र के हाथी झुंड की रफ्तार तय करते हैं, ताकि नन्हा बच्चा उनके साथ डग भर सके. वयस्क हथिनियों को देख कर बच्चा सीखता है कि कौन-सा पौधा खाना है और उस तक कैसे पहुंचना है. मादा हथिनी नियमित रूप से बच्चों के साथ दुलार भरा संपर्क बनाती रहती हैं.
Also Read: Global Warming Study : तेजी से पिघल रहा है ग्लेशियर, पृथ्वी को बचाने में आप ऐसे दें अपना योगदान
चीता : चार दिन बाद बदल देती हैं बच्चों का बसेरा
चीता मांएं अपने बच्चों को एकांत में पालती हैं. चीता मां अपने बच्चों, जो आमतौर पर 2 से 6 होते हैं, को प्रत्येक 4 दिन बाद एक से दूसरी जगह स्थानांतरित करती रहती हैं, ताकि उनकी गंध जमा न हो पाये और अन्य शिकारी जानवर आसानी से उन्हें ढूंढ़ न सकें. शिकारी के तौर पर लगभग 18 महीनों के प्रशिक्षण के बाद, मां चीता शावक को अंतत: छोड़ देते हैं. फिर शावक अपने अन्य भाई-बहनों के साथ एक समूह बनाते हैं और छह महीनों के लिए एक साथ रहते हैं.
एंपरर पेंगुइन : पिता भी निभाते हैं मां की भूमिका
अंडा देने के बाद, मां एंपरर पेंगुइन उसे नर के हवाले कर देती है, जो उसके कड़े, मगर टूट सकने वाले खोल की रक्षा करता है. इसके बाद मछली पकड़ने हेतु सागर तक पहुंचने के लिए मांएं 50 मील तक का सफर तय करती हैं. बाद में वे अंडा देने वाली जगह पर लौटती हैं और अंडों से निकले अपने नवजात चूजों के लिए भोजन का वमन करती हैं. अपनी खुद की बच्चा थैली का इस्तेमाल करते हुए, मां चूजे को गर्म तथा सुरक्षित रखती हैं.
Also Read: Snowball Earth: आजकल ग्लोबल वार्मिंग की चिंता सता रही, लेकिन एक समय धरती बन गयी थी बर्फ का गोला