Gama Pehlwan Birthday:गामा पहलवान की जयंती पर गूगल ने बनाया डूडल,एक दिन में लगाते थे 1000 से ज्यादा पुशअप

Gama Pehlwan Birthday: आज गामा पहलवान का 144वां जन्मदिन है और इस मौके पर गूगल ने भी खास डूडल बनाया है. डूडल में गामा को गदा के साथ दिखाया गया है.उन्हें आमतौर पर रुस्तम-ए-हिंद के नाम से जाना जाता है. 22 मई, 1878 को अमृतसर के एक गांव में जन्मे गामा पहलवान को ग्रेट गामा के नामा से भी जाना जाता है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 22, 2022 10:25 AM

Gama Pehlwan Birthday: 22 मई 1878 को एक महान पहलवान गामा पहलवान का जन्म हुआ था.आज इनका 144वां जन्मदिन है और इस मौके पर गूगल ने भी खास डूडल बनाया है. डूडल में गामा को गदा के साथ दिखाया गया है.

Gama Pehlwan Birthday: क्या खास है गूगल के डूडल में

गामा पहलवान के 144वीं जयंती पर गूगल ने जो डूडल तैयार किया है उसमें उनको गदा के साथ दिखाया गया है. गामा पहलवान का असली नाम गुलाम मोहम्मद बख्श बट (Ghulam Mohammad Baksh Butt) था. उन्हें आमतौर पर रुस्तम-ए-हिंद के नाम से जाना जाता है.

Gama Pehlwan Birthday: 10 साल की उम्र से शुरू की पहलवानी

22 मई, 1878 को अमृतसर के एक गांव में जन्मे गामा पहलवान को ग्रेट गामा के नामा से भी जाना जाता है. बताया जाता है कि गामा ने 10 साल की उम्र में ही पहलवानी शुरू कर दी थी.गामा पहलवान ने शुरुआत में कुश्ती के दांव-पेच पंजाब के मशहूर ‘पहलवान माधो सिंह’ से सीखे.इसके बाद मध्य प्रदेश में दतिया के महाराजा भवानी सिंह ने उन्हें पहलवानी करने की सुविधाएं दीं.साल 1947 तक गामा पहलवान ने अपने हुनर से भारत का नाम पूरी दुनिया में रोशन कर दिया था.हालांकि भारत-पाकिस्तान बंटवारे के समय गामा पहलवान अपने परिवार के साथ लाहौर चले गए थे.

Gama Pehlwan Birthday: एक दिन में 1000 से ज्यादा पुशअप

गामा पहलवान को ‘रुस्तम-ए-हिंद’भी कहा जाता है. वह एक दिन में 5000 बैठक और 1000 से ज्यादा पुशअप लगा लेते थे. रिपोर्ट्स के मुताबिक उन्होंने पत्थर के डम्बल से अपनी बॉडी बनाई थी. कहा जाता है कि गामा पहलवान ने एक बार 1200 किलो के पत्थर को उठाकर कुछ दूर चलने का कारनामा कर दिखाया था.फेमस मार्शल आर्टिस्ट ब्रूस ली से भी गामा बेहद प्रभावित थे.

गामा पहलवान ने वर्ल्ड रेसलिंग चैम्पियनशिप में हासिल किया खिताब

गामा पहलवान ने अपने करियर के दौरान कई खिताब हासिल किए, जिसमें 1910 में वर्ल्ड हैवीवेट चैम्पियनशिप का इंडियन वर्जन और 1927 में वर्ल्ड रेसलिंग चैम्पियनशिप शामिल हैं.

वर्ल्ड रेसलिंग चैम्पियनशिप के बाद उन्हें टाइगर की उपाधि से भी नवाजा गया. प्रिंस ऑफ वेल्स ने अपनी भारत यात्रा के दौरान महान पहलवान को सम्मानित करने के लिए एक चांदी की गदा भेंट की. गामा की विरासत आज के समय के रेसलर को प्रेरित करती रही है. यहां तक​कि ब्रूस ली भी गामा पहलवान के बड़े फैन रहे हैं.

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