17.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Gandhi Jayanti 2023: गांधीजी ने इन स्त्रियों को बनाया अपनी प्रेरणा का स्रोत

महिलाओं के विषय पर उनके विचारों में ठहराव कम, निरंतर गतिशीलता अधिक देखने को मिलती है. गांधीजी मानते थे कि महिला-पुरुष की संयुक्त साझेदारी के बिना महिला सशक्तीकरण संभव नहीं है. उनके अनुसार, यह साझेदारी आर्थिक, राजनीतिक और शैक्षिक पर महिलाओं को मजबूत बनाये बिना संभव नहीं है.

रचना प्रियदर्शिनी

महात्मा गांधी, लियो टॉल्स्टॉय, डेविड थोरो, सुकरात और गोपाल कृष्ण गोखले के विचारों से प्रभावित थे, इसमें कोई शक नहीं, परंतु उन्होंने माता पुतलीबाई, पत्नी कस्तूरबा सहित हर खास और आम स्त्रिओं को भी अपनी प्रेरणा का स्रोत बनाया. यही कारण है कि महिलाओं के विषय पर उनके विचारों में ठहराव कम, निरंतर गतिशीलता अधिक देखने को मिलती है. गांधीजी मानते थे कि महिला-पुरुष की संयुक्त साझेदारी के बिना महिला सशक्तीकरण संभव नहीं है. उनके अनुसार, यह साझेदारी आर्थिक, राजनीतिक और शैक्षिक पर महिलाओं को मजबूत बनाये बिना संभव नहीं है.

पुतली बाई (माता)

गांधीजी पर पहला प्रभाव मां का पड़ा. उन्होंने कहा- ‘‘मेरी मां ने मेरी याददाश्त पर जो उत्कृष्ट प्रभाव छोड़ा, वह अहिंसा व संतत्व है. वह गहरी धार्मिक आस्था रखती थीं. दैनिक प्रार्थना के बिना भोजन लेने के बारे में नहीं सोचती थीं. वह सबसे कठिन प्रतिज्ञाएं लेती थीं और उन्हें बिना किसी हिचकिचाहट के पूरा करती थीं. इंग्लैंड जाने से पूर्व उन्होंने शराब, महिलाओं और मांस को नहीं छूने की जो कसम दिलायी, इंग्लैंड प्रवास के दौरान उसने मेरी रक्षा की.’’

कस्तूरबा गांधी (बा)

मोहनदास करमचंद गांधी के ‘बापू’ बनने की प्रक्रिया में बा हमेशा खामोश ईंट की तरह नींव में बनी रहीं. निरक्षर होने के बावजूद उन्हें अच्छे-बुरे को पहचानने का विवेक व अडिग इच्छाशक्ति के बापू कायल थे. उन्होंने कहा- ‘‘बा ने दमन के प्रतिरोध के लिए अपनी निजी वेदना के भीतर से ही एक शस्त्र विकसित किया, जिसने मुझे बलिदान की भावना और सत्याग्रह के सूत्र विकसित करने के सूत्र दिये.’’ वह जो ठान लेती थीं, उसे कर के ही दम लेती थीं.

सफ्रागेट्स

‘सफ्रागेट्स’ का शाब्दिक अर्थ है- ‘संगठित विरोध के जरिये वोट के अधिकार की मांग करने वाली महिलाएं.’ 1906 और 1909 में गांधी जी ने दक्षिण अफ्रीका में प्रवासी भारतीयों के अधिकारों की पैरवी करने के लिए लंदन का दौरा किया. दोनों ही दफे यात्रा के दौरान उन्होंने ‘मताधिकार’ की मांग करनेवाली महिला कार्यकर्ताओं को सड़क पर विरोध प्रदर्शन करते देखा. इससे महिलाओं के हित में गांधी जी के निर्णयों को बल मिला.

मेडेलीन स्लेड (मीरा बेन)

मेडेलीन स्लेड मुंबई के नौसेना में तैनात एक अंग्रेज अधिकारी की बेटी थीं. गांधी जी पर लिखे एक साहित्य को पढ़ कर इतनी प्रभावित हुईं कि उन्होंने गांधी जी की अवधारण ‘सादा जीवन, उच्च विचार’ को आत्मसात कर लिया. अपनी आत्मकथा “द स्पिरिट्स पिलग्रिमेज” में उन्होंने गांधी के साथ पहली मुलाकात का जिक्र करते हुए बताया है कि बापू ने उनसे कहा था कि तुम मेरी बेटी बनकर रहोगी. महात्मा गांधी ने उन्हें ‘मीरा बेन’ नाम दिया.

राजकुमारी अमृता कौर

पंजाब के कपूरथला रियासत की राजकुमारी अमृता कौर भारतीयों पर अंग्रेजों द्वारा किये गये जुल्मों को देख बेहद आहत होती थीं. गोपाल कृष्ण गोखले से राजकुमारी के परिवार के अच्छे संबंध से थे. उन्हीं के जरिये राजकुमारी की जलियांवाला बाग नरसंहार के बाद महात्मा गांधी से जालंधर में मुलाकात हुई और वहीं उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल होने की इच्छा जतायी. तब गांधी जी ने उनके सेवाभाव की परीक्षा ली और उन्हें अपनी शिष्या बना लिया.

Also Read: Gandhi Jayanti 2023: विधायिका में महिला भागीदारी की प्रखर आवाज थे गांधीजी

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें