NFHS -5 (राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण) के अनुसार भारत की 10 में मात्र चार महिलाएं इंटरनेट का इस्तेमाल करती हैं, वहीं ग्रामीण भारत की बात करें तो वहां यह आंकड़ा 10 में से तीन का है. यह डाटा भारत में जेंडर आधारित भेदभाव का एक बड़ा उदाहरण है.
महिलाओं की सामाजिक स्थिति किसी भी देश के विकास का आईना है, इस लिहाज से बात करें तो अभी भारत में बहुत कुछ किया जाना शेष है. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS -5) ने हाल ही में देश के 22 राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों में इंटरनेट यूज को एक सर्वे किया, जिसमें यह बात उभरकर सामने आयी है.
इंटरनेट यूजर्स की संख्या को देखें तो शहरी-ग्रामीण और लैंगिक स्तर पर बहुत अंतर दिखता है. पांचवें राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) द्वारा जो आंकड़े जमा किये गये उसके अनुसार ग्रामीण भारत में औसतन 10 में से तीन से भी कम और शहरी क्षेत्रों में 10 में से चार महिलाओं ने ही इंटरनेट का इस्तेमाल किया है.
एनएफएचएस-5 ने जो आंकड़े जुटाये हैं वो यह बताते हैं कि देश में अभी भी केवल 42.6 प्रतिशत महिलाओं ने ही कभी इंटरनेट का इस्तेमाल किया है, जबकि पुरुषों में यह आंकड़ा 62.16 प्रतिशत का है. वहीं शहरी भारत में 73.76 फीसदी पुरुषों ने इंटरनेट किया, जबकि महिलाओं की संख्या 56.81 प्रतिशत है.
NFHS -5 के डाटा के अनुसार गांवों में सिर्फ 33.94 फीसदी महिलाओं ने अपने जीवन में कभी इंटरनेट का प्रयोग किया जबकि इंटरनेट इस्तेमाल करने वाले पुरुषों की संख्या 55.6 प्रतिशत है. शहरी भारत में 10 राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों में 50 प्रतिशत से अधिक महिलाओं ने कभी इंटरनेट का उपयोग किया है. इसमें गोवा 78.1 प्रतिशत के साथ टॉप पर है. वहीं सबसे कम प्रयोग वाले राज्यों में आंध्र प्रदेश 33.9 प्रतिशत और बिहार 38.4 प्रतिशत है.
इंटरनेट यूजर्स की बात करें तो भारत विश्व में दूृसरे नंबर पर है. पहले स्थान पर चीन है जहां 85 करोड़ के आसपास इंटरनेट यूजर्स हैं, जबकि भारत में लगभग 50 करोड़ इंटरनेट यूजर्स हैं.
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