Gita Updesh: सुखी जीवन का राज बताते हैं गीता के ये 5 उपदेश, आप भी पढ़ें
Gita Updesh: श्रीमद्भगवद्गीता, जीवन जीने की कला सिखाती है. इसको पढ़ने से सुखी जीवन में छिपे राज की पहचान हो जाती है.
Gita Updesh: महाभारत का युद्ध शुरू होने से पहले रणभूमि में अर्जुन का मन डगमगाने लगा था. इस समय पर भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जीवन का ज्ञान दिया. इस दौरान भगवान कृष्ण ने उन्हें श्रीमद्भगवद्गीता का न सिर्फ ज्ञान दिया बल्कि उन्हें अपने विराट स्वरूप का दर्शन भी कराया. जिसके बाद अर्जुन लड़ने के लिए तैयार हुए. भगवान श्रीकृष्ण के दिए उपदेश जितना द्वापर युग में प्रासंगिक थे, उतनी ही प्रासंगिकता आज भी है. जब मन अप्रसन्न हो या मन हताशा और निराशा से भर जाए तो गीता पढ़ने की सलाह दी जाती है. ऐसे में आइए श्रीमद्भगवद्गीता के कुछ उपदेशों के बारे में जानते हैं. जिनमें सुखी जीवन का राज छिपा हुआ है.
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नि:स्वार्थ भाव से करें काम
भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि व्यक्ति को कोई भी काम नि:स्वार्थ भाव से काम करना चाहिए. बिना कुछ लालच के जो व्यक्ति काम करता है वह अपने जीवन में हर मनकामनाओं को प्राप्त कर लेता है. नि:स्वार्थ भाव से काम करने पर व्यक्ति का मन कहीं भटकता नहीं है.
सकारात्मक सोच से आगे बढ़ें
श्रीमद्भगवद्गीता में कहा गया है कि व्यक्ति को हमेशा सकारात्मक सोच रखनी चाहिए. इंसान सकारात्मक सोच के साथ ही आगे बढ़ सकता है. इससे इंसान मन से हताश या निराश नहीं होता है. साथ ही सकारात्मक सोच के साथ बढ़ने वाले मनुष्य का दिमाग हमेशा शांत रहता है.
काम, क्रोध से बचें
गीता उपदेश में बताया गया है कि मनुष्य को काम, क्रोध, लोभ से बचना चाहिए. ये तीनों नरक के द्वार खोलने का काम करते हैं. ऐसे में इंसान को जितना हो सके इनसे बचना चाहिए. अन्यथा आपका जीवन बर्बाद हो जाएगा.
अनुशासित होकर जीवन जिएं
भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि व्यक्ति को अनुशासन में रहकर जीवन जीना चाहिए. जो इंसान अपनी दिनचर्या और खानपान को संतुलित रखता है उसे शारीरिक कष्ट कभी नहीं होती है. ऐसे इंसान की हर मनोकामना पूर्ण होती है.
चिंता करने से बचें
हिन्दी में एक कहावत है कि चिंता, चिता के समान होती है. जो मनुष्य चिंता करता है वह कभी खुश नहीं रह पाता है. श्रीमद्भगवद्गीता में भी बताया गया है कि व्यक्ति को चिंता करने से बचना चाहिए. व्यक्ति को अपना काम चिंतामुक्त होकर करना चाहिए.
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