हीरा खरीदने वाले उपभोक्ताओं को ‘ग्रीन वॉशिंग’ के खतरों से बचना जरूरी
अपने प्रोडक्ट को गलत ढंग से पर्यावरण के अनुकूल बताना ग्रीनवाशिंग कहलाता है. कई कंपनियां जिनके प्रोडक्ट पर्यावरण के अनुकूल नहीं होते, वह भी ग्रीन वॉशिंग का सहारा लेकर उन्हें पर्यावरण के अनुकूल बताती है. और उपभोक्ताओं को ठगती हैं. हीरे के कारोबार में भी ऐसा हो रहा है.
अमेरिकी उपभोक्ताओं की एक बड़ी संख्या का यह मानना है कि एक टिकाऊ लाइफस्टाइल उनके लिए ज्यादा मायने रखता है. इसके लिए वे ज्यादा खर्च करने से भी परहेज नहीं करते. हाल ही में किए गए मैकिन्से सर्वेक्षण में साठ प्रतिशत उपभोक्ताओं ने कहा कि वे टिकाऊ पैकेजिंग वाले उत्पादों के लिए ज्यादा भुगतान कर सकते हैं. ऐसे में विभिन्न कंपनियां अपने प्रॉडक्ट्स को पर्यावरण अनुकूल बढ़कर उपभोक्ताओं को ठगने का काम कर रही हैं.
क्या है ग्रीन वॉशिंग
अपने प्रोडक्ट को पर्यावरण के अनुकूल बताने की धोखाधड़ी को ग्रीन वॉशिंग कहते हैं. ग्रीनवाशिंग के जरिए कंपनियां गलत सूचना और गलत डाटा उपभोक्ताओं को उपलब्ध कराने से भी परहेज नहीं करतीं. इस तरह से कंज्यूमर को ठगने का काम किया जा रहा है.
प्रोडक्ट पर्यावरण अनुकूल है या नहीं जानना जरूरी
उपभोक्ता जो भी खरीदारी करते हैं उसमें उन्हें पहले यह जान लेना जरूरी होता है कि उनके प्रोडक्ट पर्यावरण के अनुकूल हैं भी या नहीं. क्योंकि विभिन्न कंपनियां उनसे फर्जी डाटा और आंकड़े शेयर कर बताती हैं कि वह उत्पाद पर्यावरण के अनुकूल है. पर असलियत में ऐसा नहीं होता आजकल प्रयोगशाला में कृत्रिम रूप से बनाए गए हीरे का फैशन तेजी से पर प्रसार रहा है. हीरे को प्यार और प्रतिबद्धता का प्रतीक माना जाता है. इसलिए यह लोगों के बीच ज्यादा पसंद किया जाता है. हीरे की खरीद करने से पहले यह पता लगा लेना जरूरी है कि वह असली है या नकली.
कम समय में प्रयोगशाला में तैयार होते हैं कृत्रिम हीरे
प्रयोगशाला में बनाए जाने वाले हीरों का उत्पादन बड़े पैमाने पर और कम समय में किया जाता है. वहीं प्राकृतिक रूप से उत्पादित हीरे बनने में अरबों वर्ष का समय लगता है. ऐसे उपकरण भी मौजूद हैं जो बनावटी हीरे और प्राकृतिक हीरे के बीच भेद बता सकते हैं. दोनों प्रकार के हीरो के बीच के पहचान में अंतर को देखते हुए यह बताया जा सकता है कि कौन प्राकृतिक है और कौन प्रयोगशाला में बनाया हुआ कृत्रिम हीरा है. इस तरह से तीन अरब साल में बने हीरे और दो सप्ताह में प्रयोगशाला में बनाए गए हीरे में अंतर का पता चल जाता है. प्राकृतिक हीरे की तुलना में प्रयोगशाला में बनाए गए कृत्रिम हीरे की कीमत और लागत काफी कम होती है.
प्राकृतिक हीरे का कारोबार करने वाली कंपनियां होती है लिस्टेड
प्राकृतिक हीरे का व्यापार करने वाली खनन कंपनियां सार्वजनिक रूप से लिस्टेड होती हैं और वह यह रिपोर्ट देती हैं कि उनके द्वारा उत्पादित हीरे सही तरीके से प्राप्त किए गए हैं. वह पर्यावरण के अनुकूल भी हैं. हीरा खरीदने वाले कंज्यूमर को सही तरीके से और पारदर्शी तरीके से यह बताती हैं कि कौन सा उत्पाद उनके लिए अच्छा है.
विकसित हीरे टिकाऊ
कई उपभोक्ता मानते हैं कि प्रयोगशाला में विकसित हीरे टिकाऊ रूप से उत्पादित होते है. लेकिन यह एक गलत धारणा है. प्रयोगशाला में कृत्रिम हीरे के निर्माण के दौरान उच्च दबाव, उच्च तापमान विधि ग्रेफाइट का उपयोग कंपनियां करती हैं, और रासायनिक वाष्प जमाव विधि गैस, कोयला और तेल ड्रिलिंग से प्राप्त उच्च शुद्धता वाले मीथेन का उपयोग करती है. प्रयोगशाला में विकसित हीरों की निर्माण मशीनरी भी खनन की गई धातुओं से बनाई जाती है.
डी बीयर्स ग्रुप जैसे बड़े पैमाने पर प्राकृतिक हीरा उत्पादक 2030 तक कार्बन तटस्थ बनने के लिए प्रतिबद्ध हैं, और खनन दिग्गज रियो टिंटो ने 2050 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन प्राप्त करने, खनन कार्यों में नवीकरणीय और वैकल्पिक ईंधन स्रोतों को शामिल करने और सिंथेटिक की खोज करने का लक्ष्य रखा है। कनाडा के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में डियाविक खदान अपने संचालन के एक महत्वपूर्ण हिस्से के लिए पवन टरबाइन ऊर्जा का उपयोग करती है.
नवीन तरीकों पर शोध
प्राकृतिक-हीरा कंपनियां कार्बन को अवशोषित करने के लिए नवीन तरीकों पर भी शोध कर रही हैं, जैसे कि किम्बरलाइट चट्टान के खनिजकरण के माध्यम से, जहाँ से हीरे निकाले जाते हैं.खदान खोलने के लिए प्राकृतिक-हीरा कंपनियों और स्थानीय सरकारों और समुदायों के बीच कम से कम 10 साल की सावधानीपूर्वक योजना की आवश्यकता होती है. ग्रीनवॉशिंग पर वैश्विक कार्रवाई ने पहले ही हीरे के आभूषणों के प्रमुख बाजारों में अपनी पकड़ बना ली है. अमेरिकी संघीय व्यापार आयोग (एफटीसी) ने सिंथेटिक-हीरा कंपनियों को चेतावनी दी है कि वह ऐसे किसी भी अभियान को मंजूरी दे सकता है जो दावा करता है कि उत्पाद पर्यावरण-अनुकूल हैं. नेचुरल डायमंड काउंसिल की सदस्य कंपनियों को अंतरराष्ट्रीय और पर्यावरण कानून का पालन करना होगा.
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प्रयोगशाला में विकसित हीरे
विश्लेषक पॉल ज़िमिनिस्की के अनुसार, 2016 और 2023 के बीच 1.5 कैरेट प्रयोगशाला में विकसित हीरे की कीमतों में 74% से अधिक की गिरावट आई है. एक उपभोक्ता जिसने 2016 में प्रयोगशाला में विकसित हीरे के लिए 10,600 डॉलर खर्च किए थे, वह सात साल बाद उसी को 2,445 डॉलर में खरीद सकता था. बेन एंड कंपनी के तीन दशक लंबे अध्ययन से पता चलता है कि, जबकि प्राकृतिक हीरे की कीमत में उतार-चढ़ाव होता है, पिछले 35 वर्षों में कीमतें सालाना औसतन 3% बढ़ी हैं.
प्रयोगशाला में विकसित और प्राकृतिक हीरों की मूल्य निर्धारण संरचना भी भिन्न होती है. प्राकृतिक हीरों की आपूर्ति, आकार और उपलब्ध गुणवत्ता मिश्रण भूविज्ञान पर निर्भर करता है। 2-कैरेट प्राकृतिक पत्थर की कीमत 1-कैरेट प्राकृतिक पत्थर की कीमत से तिगुनी हो सकती है. हीरे की कीमत का मूल्यांकन करते समय, उपभोक्ताओं को विचार करना चाहिए.
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