Happy Bakrid 2021: जानें इस्लाम धर्म के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक बकरीद का क्या है इतिहास व महत्व
मुस्लिम समाज के प्रमुख त्योहारों में से एक ईद-उल-अजहा मतलब बकरीद 21 जुलाई को है. इसे मुस्लिम समाज का दूसरा सबसे बड़ा त्योहार माना गया है. इसे लेकर वे काफी उत्साहित रहते हैं. हालांकि, इस बार कोरोना के कारण गाइडलाइंस को ध्यान में रखते हुए बकरा ईद मनाना होगा. आइये जानते हैं इस पर्व के बारे में सबकुछ...
Happy Bakrid 2021, Eid Ul Adha 2021, History, Significance, Importance: मुस्लिम समाज के प्रमुख त्योहारों में से एक ईद-उल-अजहा मतलब बकरीद 21 जुलाई को है. इसे मुस्लिम समाज का दूसरा सबसे बड़ा त्योहार माना गया है. इसे लेकर वे काफी उत्साहित रहते हैं. हालांकि, इस बार कोरोना के कारण गाइडलाइंस को ध्यान में रखते हुए बकरा ईद मनाना होगा. आइये जानते हैं इस पर्व के बारे में सबकुछ…
रमजान के 70 दिन बाद आता है ये त्योहार
इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक ईद-उल-अजहा का पर्व 12वें महीने में आता है. साथ ही साथ रमजान समाप्त होने के 70 दिन बाद इस पर्व को धूमधाम से मनाया जाता है. इस बिहार और झारखंड में कोरोना के गाइडलाइंस का पालन करते हुए बकरीद मनाना होगा. क्यों राज्य सरकार ने यहां छूट नहीं दी है.
क्यों मनाया जाता है बकरीद का त्योहार
बकरीद या ईद-उल-अजहा कुर्बानी का त्योहार है. जिसे अल्लाह की राह में दी जाती है. अजहा अरबी शब्द है, जिसका मतलब कुर्बानी, बलिदान, त्याग होता है. वहीं, ईद का अर्थ है त्योहार होता है.
दरअसल, यह त्योहार अल्लाह का इम्तिहान का माना गया है. इस दौरान कुर्बानी देनी पड़ती है. कहा जाता है कि हजरत इब्राहीम अल्लाह के पैगंबर थे. अल्लाह ने एक बार उनका इम्तिहान लेने के बारे में सोचा. उनसे ख्वाब के जरिए अपनी सबसे प्रिय चीज की कुर्बानी मांगी. हर बाप की तरह हजरत इब्राहीम को भी अपने बेटे इस्माइल से मोहब्बत थी. इस्माइल उनके इकलौते बेटे थे. जो काफी वर्षों बाद पैदा हुआ था. बावजूद इसके उन्होंने बेटे को कुर्बान करने का फैसला कर लिया.
हजरत इब्राहिम ने अल्लाह का नाम लेते हुए बेटे के गले पर छुरी चला दी. जब उन्होंने अपनी आंख खोली तो देखा बेटा बगल में जिंदा खड़ा है. उसकी जगह बकरे जैसी शक्ल का जानवर कटा हुआ लेटा था. इसी घटना के बाद से अल्लाह की राह में कुर्बानी देने की प्रथा शुरू हो गयी.
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Posted By: Sumit Kumar Verma