आज संविधान दिवस है. जिस दिन से देश में कानून का इकबाल कायम हुआ था. संविधान 26 नवंबर 1949 को बनकर तैयार हुआ था. संविधान सभा की प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉ भीमराव आंबेडकर के 125वीं जयंती वर्ष पर 26 नवंबर 2015 को पहली बार भारत सरकार द्वारा संविधान दिवस मनाया गया. इसके बाद हर वर्ष पूरे भारत में संविधान दिवस मनाया जाता है.
संवैधानिक प्रावधानों के आलोक में सुप्रीम कोर्ट ने 20 अगस्त 2021 को ऐतिहासिक फैसला सुनाया. फैसले के अनुसार बिहार बंटवारे के बाद भी आरक्षण का लाभ बरकरार रखा गया. कैडर बंटवारे के बाद झारखंड आनेवाले एससी, एसटी व ओबीसी कोटि के कर्मियों को, जो बिहार के मूल निवासी हैं, उन्हें झारखंड में आरक्षण का लाभ मिला. उसी तरह कैडर बंटवारे के बाद जो कर्मी बिहार चले गये हैं, लेकिन झारखंड के मूल निवासी हैं, उन्हें भी बिहार में आरक्षण का लाभ मिला. आरक्षण का लाभ सिर्फ ऐसे कर्मचारी ही नहीं, बल्कि उनके बच्चों को भी मिलेगा.
*हर वर्ष 26 नवंबर को मनाया जाता है संविधान दिवस
*संविधान के कारण व्यक्ति के अधिकार और भरोसे की होती रही है रक्षा
जनजातीय समुदाय से संबंधित एक विवाह विच्छेद (तलाक) के मामले में वर्ष 2021 में झारखंड हाइकोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया था. जस्टिस अपरेश कुमार सिंह व अनुभा रावत चौधरी की खंडपीठ ने फैमिली कोर्ट के फैसले को खारिज कर कस्टमरी लॉ (प्रथागत कानून) के तहत सुनवाई का आदेश दिया. खंडपीठ ने कहा कि कस्टमरी लॉ के अनुसार तलाक का केस चलाया जा सकता है. तलाक के लिए बागा तिर्की ने फैमिली कोर्ट रांची में आवेदन दिया था. फैमिली कोर्ट ने यह कहते हुए आवेदन खारिज कर दिया था कि कस्टमरी लॉ के अनुसार हम तलाक पर फैसला नहीं दे सकते.
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यह भारत का संविधान है कि दुष्कर्म पीड़िता लॉ की छात्रा को घटना के तीन महीने बाद ही न्याय मिला था. उसके साथ दुष्कर्म करने वाले 11 अभियुक्तों को अदालत ने उम्र कैद की सजा सुनायी थी. घटना 26 नवंबर 2019 को कांके के संग्रामपुर में हुई थी. 27 नवंबर को इस संबंध में छात्रा ने कांके थाना में प्राथमिकी दर्ज करायी थी. मामले में छह जनवरी 2020 को कोर्ट ने आरोप तय किया. सात जनवरी से शुरू हुई गवाही 12 फरवरी तक प्रतिदिन चली. 26 फरवरी को 11 अभियुक्तों को दोषी ठहराया गया और दो मार्च को सभी को अंतिम सांस तक आजीवन कारावास की सजा हुई.
Posted By : Amitabh Kumar