Lal Bahadur Shastri Jayanti 2022 Speech: भाषण की शुरुआत ऐसे करें… मुख्य अतिथि, प्रिंसिपल, शिक्षकों और मेरे प्यारे दोस्तों को सुप्रभात. मैं आप सभी को लाल बहादुर शास्त्री जयंती की शुभकामनाएं देता हूं. आज, मुझे 2 अक्टूबर, लाल बहादुर शास्त्री जयंती (Lal Bahadur Shastri Jayanti) पर कुछ बोलने का मौका मिला है. इसमें मैं अपने आपको सम्मानित महसूस करता हूं. लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को हुआ था.
2 अक्टूबर को गांधी जयंती के साथ साथ लाल बहादुर शास्त्री की जयंती मनाई जाती है. इस वर्ष लाल बहादुर शास्त्री जी की 119 वीं जयंती मनाई जा रही है. भारत के दूसरे प्रधानमंत्री रहे लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश के वाराणसी के एक छोटे से गांव मुगलसराय में हुआ. जय जवान जय किसान का नारा देने वाले लाल बहादुर शास्त्री का बचपन गरीबी में गुजरा. भारत की आजादी के लिए लाल बहादुर शास्त्री ने विभिन्न राष्ट्रीय आन्दोलनों नमक सत्यग्रह और आसहयोग आन्दोलन में भाग लिया. सारा देश उनके बारे में यही जानता है कि वह देश के दूसरे प्रधानमंत्री थे और कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में से एक थे. भले ही वह एक बहुत ही क्षमतावान और प्रसिद्ध व्यक्ति थे, लेकिन उन्होंने सदैव अपना जीवन सादगी से जीते हुए, इसे अपनी मातृभूमि के सेवा के लिए समर्पित कर दिया.
जय हिन्द.
लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को हुआ था, वह पंडित जवाहर लाल नेहरू के बाद वह भारत के दूसरे प्रधानमंत्री बने थे, इसके साथ ही वह कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में से भी एक थे. शास्त्री जी महात्मा गांधी के उन समर्थकों में से थे, जो हमेशा उनके विचारों और मूल्यों का आदर किया करते थे. वह महात्मा गांधी के साहस और अंहिसा निति से काफी प्रभावित थे, यह उनपर महात्मा गांधी का प्रभाव ही था, कि वह देश की आजादी की लड़ाई में इतने कम उम्र में शामिल हो गये थे.
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लाल बहादुर शास्त्री का बचपन से ही देश की आजादी के प्रति खास लगाव था. बड़े होते हुए उन पर इतिहास का खास जूनून सवार था. जिसमें स्वामी विवेकानन्द की शिक्षाएं भी शामिल थी, जिनसे उन्हें शांति की प्रेरणा मिली, इसके अलावा महात्मा गांधी और एनी बेसेंट ने भी उनके जीवन पर गहरी छाप छोड़ी. वह गांधी जी से इतने प्रभावित थे कि गांधी जी के असहयोग आंदोलन में सरकारी विद्यालयों को छोड़ने के आह्वान पर उन्होंने अपनी पढ़ाई तक छोड़ दी और अगले ही दिन असहयोग आंदोलन में शामिल हो गये. इसके बाद वह सदैव स्वतंत्रता संघर्षों में हिस्सा लेने लगे और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक महत्वपूर्ण सदस्य बन गये.
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बाबू शिव प्रसाद गुप्ता और भगवान दास ने1921में काशी विद्यापीठ विश्वविद्यालय की स्थापना की जहां से शास्त्री जी उर्तीण होकर उपाधि पाने वाले छात्र बने और इसके बाद वह नियमित रूप से स्वतंत्रता संघर्षों में हिस्सा लेने लगे. भारत के स्वतंत्रता संघर्षों के दौरान उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा, लेकिन इससे उनके हौसले में कोई कमी नहीं आई यही उनकी सबसे बड़ी ताकत थी. जो उन्हें दूसरों से अलग बनाती थी. जेल जाने के दौरान उन्हें कई पश्चिमी क्रांतिकारियों और दार्शनिकों के बारे में जानने का मौका मिला.
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स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात वह संयुक्त प्रांत (वर्तमान में उत्तर प्रदेश) के पहले गृह मंत्री बने और उन्होंने 1947 के सांप्रदायिक दंगों की रोकथाम तथा शरणार्थियों को बसाने में सार्थक भूमिका निभाई, उनके इस कार्य की सबसे खास बात यह थी की इसके लिये उन्होंने कोई बल प्रयोग नहीं किया, जो कि उनके नेतृत्व क्षमता का प्रत्यक्ष प्रमाण था. भारत के प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने कहा कि वह ऐसा भारत बनायेंगे जहां लोगों के स्वतंत्रता और खुशी से कोई समझौता नहीं होगा. उनका एक मात्र लक्ष्य हमारे देश को धर्मनिरपेक्ष और मिश्रित अर्थव्यवस्था के साथ एक लोकतांत्रिक व्यवस्था बनाना था, जिसके लिए किये गये प्रयासों के लिये लोग उन्हें आज भी याद करते हैं.
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लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को भारत में उत्तर प्रदेश के मुगल सराय में हुआ था. उनके पिता का नाम शारदा प्रसाद था और वे एक स्कूल शिक्षक थे. उनकी माता का नाम रामदुलारी देवी था. लाल बहादुर शास्त्री के पिता की मृत्यु हो गई जब वह केवल एक वर्ष के थे. वे दो बहनों के भाई थे. पिता की मृत्यु के बाद, उनकी मां रामदुलारी देवी उन्हें और उनकी दो बहनों को अपने पिता के घर ले गईं और वहीं बस गईं.
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बचपन से ही, लाल बहादुर शास्त्री बहुत ईमानदार और मेहनती थे. लाल बहादुर शास्त्री को 1926 में काशी विद्यापीठ से प्रथम श्रेणी में स्नातक की उपाधि दी गई, तब उन्हें शास्त्री विद्वान की उपाधि दी गई. लाल बहादुर शास्त्री ने अपने बचपन में साहस, साहस, संयम, आत्म-नियंत्रण, शिष्टाचार और निस्वार्थता जैसे गुणों को प्राप्त किया. स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए, लाल बहादुर शास्त्री ने अपनी पढ़ाई के साथ भी समझौता किया. लाल बहादुर शास्त्री का विवाह ललिता देवी से हुआ. और लाल बहादुर शास्त्री और उनकी पत्नी दोनों के 6 बच्चे हुए उनके बच्चों का नाम कुसुम, हरि कृष्णा, सुमन, अनिल, सुनील और अशोक था.
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लाल बहादुर शास्त्री स्वतंत्रता के लिए राष्ट्रीय संघर्ष की ओर आकर्षित हुए थे जब वह एक छोटे लड़के थे. वह गांधी के भाषण से बहुत प्रभावित थे जो कि बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के नींव समारोह में दिया गया था. उसके बाद, वह गांधी के वफादार अनुयायी बन गए और फिर स्वतंत्रता आंदोलन में कूद गए. इस वजह से उन्हें कई बार जेल जाना पड़ा. लाल बहादुर शास्त्री को हमेशा माना जाता था कि आत्मनिर्भरता और आत्मनिर्भरता एक मजबूत राष्ट्र बनाने के लिए स्तंभ के रूप में. लाल बहादुर शास्त्री ने अपने कामों को याद करने की बजाए बुलंद भाषणों की घोषणा करते हुए अच्छी तरह से सुनाए गए भाषणों को याद किया. वह हमेशा प्रचलित जाति व्यवस्था के खिलाफ थे और इसलिए उन्होंने अपना उपनाम छोड़ने का फैसला किया और स्नातक होने के बाद उन्हें शास्त्री उपनाम मिला.
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आजाद भारत के दूसरे प्रधान मंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर 1904 में हुआ था. इनके माता-पिता का नाम मुंशी शारदा प्रसाद श्रीवास्तव और रामदुलारी था. लाल बहादुर शास्त्री का असली नाम लाल बहादुर श्रीवास्तव था, जिसे उन्होने अपने विश्वविद्यालय से प्राप्त “शास्त्री” की उपाधि से हमेशा के लिये बदल दिया और वे शास्त्री जी के नाम से जाने जाने लगे. इन्होने देश को आजादी दिलाने में बहुत अहम भूमिका निभाई, और राष्ट्र हित में कई बार जेल भी गये. वे एक सच्चे राजनेता थे, जिन्हे जनता भी बेहद प्रेम करती थी. उन्होने प्राणों की चिंता किये बिना, देश हित के लिये रूस जाने का फैसला लिया और वहां ताशकंद में उनकी रहस्यमयी तरीके से मृत्यु हो गई. उनके सत्यनिष्ठा, देशभक्ति एवं सरलता के कारण उन्हे सदैव याद किया जाता है और मृत्यु पश्चात उन्हें भारत रत्न से नवाजा गया. वे एक सच्चे राजनेता थे जो भले इतिहास के पन्नों पर दर्ज हों लेकिन भारतियों के हृदय में सदैव जीवित रहेंगे.
जय हिन्द.