Rabindranath Tagore Jayanti 2023, Rabindranath Tagore Quotes: रवीन्द्रनाथ का जन्म 7 मई, 1861 को कलकत्ता में देवेन्द्रनाथ ठाकुर व शारदा की चौदहवीं संतान के रूप में हुआ था.पिता ब्रह्म समाज से जुड़े थे.परिवार समृद्ध व स पन्न था. महान कवि, लेखक, चित्रकार, दार्शनिक और लघु कथाकार, रवींद्रनाथ टैगोर ने देश व बंगाली साहित्य के परिदृश्य पर अपने कार्यों से एक अमिट छाप छोड़ी है.
वे एकमात्र कवि हैं जिनकी दो रचनाएँ दो देशों का राष्ट्रगान बनीं – भारत का राष्ट्र-गान ‘जन गण मन’ और बाँग्लादेश का राष्ट्रीय गान ‘आमार सोनार बाँग्ला’ उनकी ही रचनाएँ हैं. ‘गीतांजलि’ के लिए उन्हें 1913 में नोबेल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया. रवींद्र जयंति पर आपके अपने दोस्तों एवं रिश्तेदारों को उनके कोट्स और मैसेज भेज यहां से
रवीन्द्रनाथ टैगोर ने कहा है कि, किसी भी व्यक्ति का “प्रसन्न रहना बहुत सरल है, लेकिन सरल होना बहुत कठिन है.”
रवीन्द्रनाथ टैगोर
महान दार्शनिक रवीन्द्रनाथ टैगोर ने जीवन के अर्थ को बहुत ही सरल शब्दों में समझाया है.उन्होंने कहा है कि, “मौत प्रकाश को खत्म करना नहीं है; ये सिर्फ भोर होने पर दीपक बुझाना है.”
रवीन्द्रनाथ टैगोर
रवीन्द्रनाथ टैगोर ने जीवन और मानवता को बहुत महत्व दिया है.उन्होंने कहा है कि, “प्रत्येक शिशु यह संदेश लेकर आता है कि ईश्वर अभी मनुष्यों से निराश नहीं हुआ है.”
रवीन्द्रनाथ टैगोर
रवीन्द्रनाथ टैगोर ने मेहनत करने वाले लोगों को सबसे सक्षम बताया है.उन्होंने कहा है कि, “केवल खड़े होकर और समुद्र को निहारने से आप समुद्र को पार नहीं कर सकते.”
रवीन्द्रनाथ टैगोर
“बच्चे को अपनी शिक्षा तक सीमित न रखें, क्योंकि वह किसी अन्य समय में पैदा हुआ था.”
रवीन्द्रनाथ टैगोर
“बादल मेरे जीवन में तैरते हुए आते हैं, अब बारिश या तूफान लाने के लिए नहीं बल्कि मेरे सूर्यास्त आकाश में रंग जोड़ने के लिए.”
रवीन्द्रनाथ टैगोर
“सब कुछ हमारे पास आता है जो हमारा है अगर हम इसे प्राप्त करने की क्षमता पैदा करते हैं.”
रवीन्द्रनाथ टैगोर
“अगर मैं इसे एक दरवाजे से नहीं बना सकता, तो मैं दूसरे दरवाजे से जाऊंगा- या मैं एक दरवाजा बना दूंगा.वर्तमान कितना भी काला क्यों न हो, कुछ बहुत अच्छा आएगा.”
रवीन्द्रनाथ टैगोर
“मैंने स्वप्न देखा कि जीवन आनंद है. मैं जागा और पाया कि जीवन सेवा है. मैंने सेवा की और पाया कि सेवा में ही आनंद है.”
रवीन्द्रनाथ टैगोर
“चंद्रमा अपना प्रकाश संपूर्ण आकाश में फैलाता है परंतु अपना कलंक अपने ही पास रखता है”
रवीन्द्रनाथ टैगोर
“हम महानता के सबसे करीब तब आते हैं जब हम विनम्रता में महान होते हैं”
रवीन्द्रनाथ टैगोर