Happy Valentine’s Day 2023, Jharkhand Immortal love stories: वैलेंटाइन डे 14 फरवरी को मनाया जाता है. यह वेलेंटाइन वीक का अंतिम दिन होता है. जो प्रेमी जोड़ों के लिए सबसे खास होता है. प्रेमी जोड़ों के लिए इस सबसे अहम दिन पर जानें झारखंड की कुछ अमर प्रेम कहानियों के बारे में जो यहां कि फिजाओं में सदियों से गूंज रहीं हैं. इन्हें लोग आज भी नहीं भूले. ये कहानियां झारखंड के नेतरहाट के मैगनोलिया प्वाइंट से लेकर दशम फॉल और डालटनगंज के कोयल और कारो और पंचघाघ से जुड़ी है. यहां पढ़ें.
बात बहुत पहले की है जब नेतरहाट के एक चरवाहे को अंग्रेज अधिकारी की बेटी मैगनोलिया से प्यार हाे गया था. चरवाहा शाम को नेतरहाट के सनसेट प्वाइंट पर अपने मवेशियों को चराने पहुंचता था. वहां वह बांसुरी बजाता था. एक बार गांव में छुट्टी बिताने अंग्रेज पदाधिकारी अपने परिवार के साथ पहुंचा. उसकी बेटी चरवाहे की बांसुरी सुन उसकी दीवानी हो गयी. रोज की मुलाकात प्यार में बदल गया. इसकी भनक मैगनोलिया के पिता को लग गयी. गुस्साये अंग्रेज ने चरवाहे की हत्या करवा दी. यह सुन मैगनोलिया ने भी सनसेट प्वाइंट से अपने घोड़े के साथ छलांग लगा दी. मैगनोलिया प्वाइंट उनके प्रेम का गवाह है.
तमाड़ के बागुरा पीड़ी गांव का छैला संदू और पाक सकम गांव में रहनेवाली बिंदी की प्रेम कहानी अदभूत है. छैला सिंदू को प्रेमिका से मिलने जाने के लिए दशम फॉल पार करना पड़ता था. वह रोज हाथ में बांसुरी, गले में मांदर और कंधे पर मुर्गा लेकर प्रेमिका से मिलने जाता था. दशम को वहां लटकती लताओं के सहारे पार करता था. गांव के लोगों को जब इसका पता चला, तो दोनों को जुदा करने की योजना बनायी गयी. ग्रामीणों ने उस लता को आधा काट दिया जिसके सहारे छैला दशम फॉल पार करता था. जैसे ही छैला फॉल पार करने लगा, लता टूट गयी और वह फॉल में समा गया.
पंचघाघ जलप्रपात से जुड़ी प्रेम कहानी कौतूहल का विषय है. लोगों का मानना है कि पंचघाघ जलप्रपात से बहनेवाली पांच धाराएं पांच बहनों के अंतिम निश्चय का प्रतीक है. यह निश्चय साथ जीवन जीने का नहीं, बल्कि एक साथ जान देने का है. माना जाता है कि खूंटी गांव में पांच बहनें रहती थीं, जिन्हें एक ही पुरुष से प्रेम हो गया था. सगी बहनों को जब उनके साथ हो रहे विश्वासघात का पता चला, तब तक देर हो चुकी थी. असफल प्रेम के कारण पांचों बहनों ने नदी में कूद कर अपनी जान दे दी. माना जाता है कि इसके बाद से ही जलप्रपात की धारा पांच हिस्सों में बंट गयी. और आज भी ये अलग-अलग हैं.
डालटेनगंज और आस-पास के इलाकों में कोयल और कारो की प्रेम कहानी आज भी सुनी और सुनायी जाती है. कोयल उस समय के मुंडा राजा की बेटी थी. उस समय नाग सांप को लेकर लोग काफी भयभीत रहते थे. कोयल अक्सर पिता से छुप कर नाग की तलाश में जंगल में जाती थी. एक दिन उसे जंगल में नागों के देवता कारो मिलते हैं. दोनों में प्रेम हो जाता है. अक्सर दोनों मिलने लगते हैं. मुंडा राजा को जब इसका पता चला, तो उन्होंने कोयल को जंगल से दूर कर दिया. बाद में ईश्वरीय शक्ति से कोयल नदी में बदल जाती है और यह प्रेम कहानी अमर हो जाती है.
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गोड्डा जिले के सुंदरपहाड़ी प्रखंड का गांव कल्हाझोर वीर बैजल सोरेन के कारण जाना जाता है. बैजल बाबा सुंदरपहाड़ी में मवेशी चराते हुए बांसुरी बजाते थे. एक बार साहूकार ने गांव के मवेशियों को बंधक बना लिया. बैजल सोरेन ने साहूकार का सिर काट कर पहाड़ पर टांग दिया. अंग्रेजों ने बैजल को गिरफ्तार कर फांसी की सजा सुनायी. फांसी से पहले उसने बांसुरी बजा कर सुनायी, जिसे सुन समय का पता नहीं चला और फांसी का निर्धारित समय बीत गया. बांसुरी सुन अंग्रेज अफसर की बेटी को उससे प्रेम हो गया. बाद में वह बैजल को अपने साथ इंग्लैंड ले गयी.