Hartalika Teej 2024: भगवान शिव और मां पार्वती को चढ़ाएं बांस के टोकरे में रखकर ये चीजें, मिलेगा आशीर्वाद

अपने पूजा घर में एक शानदार पुष्प मंडप फुलेरा के साथ हरतालिका तीज मनाएं, जिसमें फुलेरा के रूप में काश के सफेद रूईदार फूल और त्यूडी के लाल फूल शामिल हो

By Pratishtha Pawar | August 30, 2024 4:43 PM

Hartalika Teej 2024: हरतालिका तीज हिंदू महिलाओं के लिए सबसे शुभ त्योहारों में से एक है, जिसे विशेष रूप से उत्तर- मध्य भारत में बहुत भक्ति और उत्साह के साथ मनाया जाता है. यह त्यौहार देवी पार्वती और भगवान शिव को समर्पित है, जो विवाह के शाश्वत बंधन का प्रतीक है.

इस दिन, विवाहित महिलाएं व्रत रखती हैं और अपने पति की भलाई और लंबी उम्र के लिए दिव्य युगल देवी पार्वती और भगवान शिव की पूजा करती हैं. हरतालिका तीज के दौरान एक अनूठी परंपरा है “बास की टोकरी” (बास की टोकरी) को विभिन्न फूलों जिसे फूलेरा(phulera) भी कहां जाता है, से भरकर चढ़ाना, जिनमें से प्रत्येक का अपना विशेष महत्व होता है. माना जाता है कि यह चढ़ावा देवी को प्रसन्न करता है इस टोकरी में वे में प्रसाद फल-फूल चढ़ाती है.

हरतालिका तीज पर ‘फुलेरा’ और ‘बांस के टोकरे’ का है विशेष महत्व

Hartalika teej 2024: भगवान शिव और मां पार्वती को चढ़ाएं बांस के टोकरे में रखकर ये चीजें, मिलेगा आशीर्वाद 5

हरतालिका तीज पर ‘फूलेरा'(phulera) की परंपरा का विशेष महत्व है, जो प्रकृति की प्रचुरता और देवी पार्वती के प्रति समर्पण का प्रतीक है. बारिश के समय में फूलों का मिलना थोड़ा मुश्किल होता है. जब मां पार्वती भगवान शिव की उपासना कर रही थी तब उन्होंने वन में मिलने वाले फूलों से फूलेरा बनाकर शिव जी को अर्पित किया था.

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Kaash ke phool

 ‘फूलेरा'(phulera) फूलों का गुच्छा है जिसे महिलाओं द्वारा बास की टोकरी में विभिन्न प्राकृतिक जंगली फूलों और पत्तियों को एकत्र करके और तैयार करके बनाया जाता है जैसे की त्यूडी (गुलाब बाल्सम) और काश के फूल. फुलेरा बनाने की प्रक्रिया को एक पवित्र कार्य माना जाता है, जिसमें गेंदा, कमल और गुलाब जैसे विशिष्ट फूलों का चयन शामिल होता है, जिनके बारे में माना जाता है कि वे देवी को प्रसन्न करते हैं.

Tyudi ke phool

फिर पूजा के दौरान देवी पार्वती की मूर्ति या छवि के सामने फुलेरा रखा जाता है, इसके साथ ही कई स्थानों में पर इसका सुंदर मंढप भी बनाया जाता है, जो महिलाओं की अपने पति की भलाई और वैवाहिक आनंद के लिए भक्ति और प्रार्थना को दर्शाता है. यह परंपरा हिंदू अनुष्ठानों में प्रकृति के महत्व पर प्रकाश डालती है, साथ ही इन प्रसादों की तैयारी में लगाए गए समर्पण और प्रयास को भी दर्शाती है, जो उपासकों और ईश्वर के बीच गहरे आध्यात्मिक संबंध को दर्शाती है.

बास की टोकरी में चढ़ाए जाने वाले विभिन्न प्रकार के फूल:

1. कमल पवित्रता और दिव्य सुंदरता का प्रतीक है. माना जाता है कि इस फूल को चढ़ाने से देवी से सकारात्मक ऊर्जा और आशीर्वाद मिलता है.

2. गेंदा- अपने चमकीले रंगों के लिए जाना जाने वाला गेंदा फूल खुशी, समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक है.  बास की टोकरी में इन्हें अवश्य रखना चाहिए.

3. चमेली- चमेली के फूल प्रेम और सुंदरता से जुड़े हैं. चमेली चढ़ाने से विवाहित जोड़ों के बीच प्रेम का बंधन मजबूत होता है.

4. गुलाब: गुलाब, खासकर लाल वाले, गहरे प्रेम और भक्ति का प्रतीक हैं. बास की टोकरी में गुलाब शामिल करना देवी के प्रति सच्ची भक्ति की अभिव्यक्ति माना जाता है.

5. तुलसी: तुलसी के पत्ते हिंदू धर्म में पवित्र हैं और अक्सर पवित्रता और आध्यात्मिक भक्ति के प्रतीक के रूप में बास की टोकरी में शामिल किए जाते हैं.

हरतालिका तीज के दौरान इन खूबसूरत फूलों से भरी बास की टोकरी चढ़ाने की परंपरा केवल एक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि देवी पार्वती के प्रति गहरी आस्था और श्रद्धा व्यक्त करने का एक तरीका है. प्रत्येक फूल का एक अनूठा महत्व होता है, जो त्यौहार की आध्यात्मिक समृद्धि को बढ़ाता है.  

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