Health Care: प्रेग्नेंसी एक ऐसा वक्त है जिस दौरान एक महिला को उस सुख का अहसास होता है जो और कोई दौलत नहीं दे सकती. यह वक्त होता है गर्भ में पल रहे बच्चे की पूरी केयर के साथ – साथ खुद अपनी भी केयर करने का. गर्भावस्था पूरी होते ही माता-पिता बनने का सुख प्राप्त होता है. लेकिन इस दौरान गर्भवती महिला को कई दिक्कत ना हो इसका ख्याल रखना बहुत जरूरी है. यह समय जितना सुखद होता है उतना ही स्वास्थ्य की नई नई परेशानियों से भी भरा होता है. इसलिए इस दौरान सही भोजन और केयर बहुत जरूरी होती है. गर्भवती महिला के खुश रहने से उसके पेट में पल रहा बच्चा भी सेहतमंद होता है. क्योंकि आपका टेंशन में रहना बच्चे में कई तरह की प्रॉब्लम्स खड़ी कर सकता है . इसलिए जरूरी है कि आप खुद को टेंशन से मुक्त रखें. वरना अगर आप हमेशा तनाव में रहेंगी तो बच्चे पर इसका गलत असर पड़ेगा.
प्रेग्नेंसी पर टेंशन का असर
किसी भी महिला को गर्भावस्था के दौरान अपने खान- पान पर खास ध्यान देना चाहिए. इससे भी जरूरी है खुद को तनाव से दूर रखना. हेल्थ एक्सपर्ट के अनुसार प्रेग्नेंट महिला को अधिक तनाव लेना उच्च रक्त चाप और ह्रदय रोगों की वजह बन सकता है. ऐसी स्थिति से बचने के लिए जरूरी है समस्याओं से घबराए नहीं और आप हमेशा हर कंडीशन में पॉजिटिव सोच रखें.
कई बार डिलीवरी डेट जो डॉक्टर के द्वारा बताई जाती है उससे पहले ही डिलीवरी कराने की नौबत आ जाती है. इस कारण होने वाला तनाव कई परेशानी को खड़ा कर देता है. ऐसे समय को नॉर्मल बनाने का प्रयास करना चाहिए. इस दौरान आप अपना बेहतर ख्याल रखें, क्योंकि जब आप सेहतमंद होंगी तभी आपका बच्चा भी सेहतमंद होगा.
गर्भ में पल रहे बच्चे का सही से विकास हो रहा है या नहीं ? अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट से पता चल जाता है. कई बार बच्चे का वजन उस अनुपात में नहीं होता जितना सामान्यतः होना चाहिए. ऐसे में सामान्य से कम वजन मां के तनाव को बढ़ा देता है. गर्भ में पल रहे बच्चे का डेवलपमेंट मां के आहार पर निर्भर होता है. गर्भवती महिलाओं की आदतों का भी सीधा असर बच्चे के विकास पर पड़ता है. कई महिलाएं प्रेग्नेंसी के दौरान अधिक तनाव ले लेती हैं, जिसके चलते गर्भ में पल रहे बच्चे का वजन भी सामान्य से कम हो सकता है. इसलिए जरूरी है कि बच्चे के कम वजन की चिंता को छोड़कर सबसे पहले खुद का ख्याल रखें, ताकि बच्चे का स्वास्थ ठीक रखा जा सके.
गर्भवती महिला के अधिक तनाव लेने से पेट में उसका होने वाला बच्चा एडीएचडी जैसी समस्याओं से पीड़ित हो सकता है. इसलिए बेहतर है कि घर के किसी भी माहौल को तनाव का हिस्सा ना बनने दें. दरअसल एडीएचडी एक मेंटल विकार है. इसको अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिस्ऑर्डर के नाम से भी जाना जाता है. इससे ग्रसित लोगों को एक कार्य पर ध्यान केंद्रित करना या लंबे समय तक एक जगह बैठने की समस्या होती है. गर्भवती महिलाओं के अधिक तनाव से बच्चा इस बीमारी से प्रभावित हो सकता है.
तनाव को हटाने के कुछ खास टिप्स
गर्भावस्था में खान- पान का खास ख्याल रखना चाहिए. जैसा भोजन आप खाएंगे आपका शरीर वैसा ही बनता है. इसलिए हमें इस मंत्र को याद रखना चाहिए कि सही डाइट ही स्वस्थ जीवनशैली का आधार है. जच्चा और बच्चा दोनों स्वस्थ रहें इसके लिए गर्भावस्था के दौरान खानपान का खास ख्याल रखना चाहिए.
गर्भावस्था के दौरान हो सके तो कम कैफीन का सेवन करें.
अधिक वजन बढ़ने से गर्भ में पल रहे बच्चे पर भी असर पड़ सकता है वेट बढ़ने से कई परेशानियां भी सामने आती है जिससे तनाव होता है इसलिए वजन पर भी नजर रखनी चाहिए.
कमरे में अकेले रहने की जगह घर के सदस्यों के साथ समय व्यतीत करें . उनसे हंसी मजाक या संवाद से आप अपने मन की बात की अभिव्यक्ति कर सकते हैं. जिससे आपको तनाव फील नहीं होगा. गर्भावस्था का समय हंसते खेलते आनंद में गुजर जाएगा
गर्भवती महिला के तनावमुक्त रहने के लिए अच्छी नींद बहुत जरूरी है.
अपनी लाइफस्टाइल में तनाव मुक्त व्यवहार और क्रियाकलापों को शामिल करें जिससे आपको मानसिक शांति मिल सके. इस अवस्था में कई बार आपके मूड में बदलाव आता रहता है. जिससे तनाव होता है इसलिए आपको जो पसंद है जैसे गीत- संगीत सुनना, खाने की कोई नई डिश बनाना जैसे काम कर सकते हैं. एक स्वस्थ मां ही स्वस्थ बच्चे को जन्म देती है. बच्चा सुरक्षित रहे इसलिए आपका भी सुरक्षित रहना जरूरी है.
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