Health Tips: सेहत के लिए दुश्मन हैं मैदा से बनी चीजें, होते हैं ये 5 नुकसान!

Health Tips: मैदे से बनी चीजें हमें बेहद स्वादिष्ट लगती है, लेकिन इससे होने वाली नुकसान के बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं. आइए इस लेख के माध्यम से जानते हैं मैदा हमारे सेहत के लिए कितना नुकसानदायक है.

By Bimla Kumari | June 2, 2024 4:43 PM
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Health Tips: मैदा को अंग्रेजी में रिफाइंड फ्लोर कहते हैं। यह भारतीय खाने का एक प्रमुख हिस्सा है. इसका इस्तेमाल कई तरह के बेकरी प्रोडक्ट, स्नैक्स और मिठाइयों में किया जाता है. हालांकि, मैदा का अधिक सेवन सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है. भारत के मशहूर न्यूट्रिशन ने बताया कि हमें समोसे, नमकीन और पूरी जैसी रिफाइंड आटे से बनी चीजें क्यों नहीं खानी चाहिए.

रिफाइंड आटा खाने के 5 नुकसान

पाचन पर असर

रिफाइंड आटे का सेवन हमारे पाचन तंत्र के लिए नुकसानदायक हो सकता है. इसे बहुत बारीक पीसा जाता है, जिसकी वजह से इसमें फाइबर की कमी होती है. इसकी वजह से कब्ज और पेट की अन्य समस्याएं हो सकती हैं. रिफाइंड आटा खाने से पाचन तंत्र धीमा हो जाता है और अपच, गैस और पेट फूलने जैसी समस्याएं हो सकती हैं.

मोटापा


मैदा एक हाई-कैलोरी डाइट है, साथ ही इसे खाने से आपको जल्दी भूख भी लगती है. यह खाने की आदत को बढ़ावा देता है, जिससे कैलोरी की मात्रा अधिक हो जाती है और वजन बढ़ता है. ब्रेड, बिस्किट और केक जैसे रिफाइंड आटे के उत्पादों में भी अधिक चीनी और वसा होती है, जो मोटापे का एक प्रमुख कारण है.

रक्त शर्करा के स्तर पर प्रभाव


रिफाइंड आटे में उच्च ग्लाइसेमिक इंडेक्स होता है, जो रक्त शर्करा के स्तर को तेजी से बढ़ा सकता है. यह मधुमेह रोगियों के लिए विशेष रूप से हानिकारक है. रिफाइंड आटा खाने से इंसुलिन प्रतिरोध बढ़ सकता है, जिससे टाइप 2 मधुमेह का खतरा बढ़ जाता है.

पोषक तत्वों की कमी


रिफाइंड आटे में मौजूद अधिकांश पोषक तत्व इसे तैयार करने के दौरान नष्ट हो जाते हैं. इसमें विटामिन, खनिज और फाइबर बहुत कम होते हैं. इसके बजाय, यह केवल कैलोरी प्रदान करता है, जिससे शरीर में आवश्यक पोषक तत्वों की कमी हो सकती है. इसके लगातार सेवन से कुपोषण हो सकता है, जिससे थकान, कमजोरी और रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी आ सकती है.

हृदय रोग का खतरा


रिफाइंड आटे से बने उत्पादों में उच्च मात्रा में ट्रांस फैट और संतृप्त वसा होती है, जो हृदय के लिए हानिकारक हो सकती है. यह कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ा सकता है और धमनियों में प्लाक जमा होने के जोखिम को बढ़ा सकता है, जिससे दिल का दौरा और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है.

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