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Himachal Pradesh के किसानों को दिखाई चंदन की खेती की राह, लहलहा रहे पांच लाख से अधिक पौधे

जोगिंद्रनगर आयुष विभाग में आए भूपराम ने बताया कि 2006 में आध्यात्मिक दृष्टि से चंदन के महत्व बारे उन्होने कार्य शुरू किया. चंदन की खेती की संभावनाओं के लिए प्रयास किए जिसमें वह सफलता हुए.

जोगिंद्रनगर (मंडी) : कोई धुनी हो तो मंजिल पा ही लेता है. जिले के चुराग करसोग निवासी 50 वर्षीय किसान भूपराम शर्मा इसका उदाहरण हैं. वह चंदन की खेती के प्रेरणास्रोत माने जाते हैं. हिमाचल की जलवायु में भी चंदन की खेती हो सकती है, यह जानकर उन्होंने 12 साल पहले प्रयास किया. आज हाल यह है कि उनकी कोशिशों से तैयार चंदन के करीब पांच लाख पौधे विभिन्न जगहों पर लहलहा रहे हैं. राष्ट्रीय औषध पादप बोर्ड, आयुष मंत्रालय भारत सरकार ने भी उनकी सराहना की है. अच्छी आमदनी होने के कारण बहुत से किसान इसे अपनाने लगे हैं.

जोगिंद्रनगर आयुष विभाग में आए भूपराम ने बताया कि 2006 में आध्यात्मिक दृष्टि से चंदन के महत्व बारे उन्होने कार्य शुरू किया. चंदन की खेती की संभावनाओं के लिए प्रयास किए जिसमें वह सफलता हुए. उन्होंने बताया कि बर्फरहित क्षेत्र में चंदन के पौधे को उगाया जा सकता है. चंदन की खेती से प्रदेश के किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत हो सकती है. वह अपनी नर्सरी से किसानों को चंदन का एक वर्ष का पौधा 40 और दो वर्ष का पौधा 200 रुपये में दे रहे हैं.

पहला प्रयास विफल, आज तैयार कर रहे 70 हजार पौधे

भूप सिंह ने 2008 में देहरादून, 2009 में चेन्नई व केरल का दौरा कर चंदन की खेती बारे जानकारी हासिल की. बाद में भारतीय वुड साइंस शोध संस्थान बेंगलुरु से भी प्रशिक्षण प्राप्त किया. उन्होंने बताया कि 2008 में देहरादून से चंदन के बीज लाकर उन्हें उगाने का प्रयास किया था लेकिन सफल नहीं हुए. फिर देश के विभिन्न स्थानों पर जाकर तकनीकी अध्ययन किया. 2014 को तत्तापानी में चंदन की नर्सरी तैयार करने में उन्हें सफलता मिली. इस नर्सरी से प्रति वर्ष लगभग 60 हजार चंदन के पौधे तैयार कर किसानों में बांट रहे हैं. कोलर नाहन में भी वह प्रति वर्ष 8-9 हजार चंदन के पौधे तैयार कर रहे हैं.

अनुदान वाले पौधे में शामिल कराने का प्रयासः डॉ. अरुण

राष्ट्रीय औषध पादप बोर्ड आयुष मंत्रालय भारत सरकार के क्षेत्रीय निदेशक जोगिंद्रनगर डॉ. अरुण चंदन ने भूप राम शर्मा को हिमाचल का चंदन पुरुष बताते हुए कहा कि इनके प्रयासों से आज प्रदेश में बड़े पैमाने पर चंदन की खेती हो रही है. अब तक पांच लाख से अधिक पौधे तैयार हो चुके हैं. इसकी खेती को बढ़ावा देने के लिए चंदन को 75 प्रतिशत अनुदान वाले पौधे में शामिल कराने का प्रयास किया जाएगा ताकि किसानों को इसका लाभ मिल सके.

सफलता दर कम लेकिन कमाई है भरपूर

भूपराम शर्मा ने बताया है कि रोपण के बाद चंदन के पौधे की सफलता दर लगभग 10 प्रतिशत तक रहती है. वह किसानों को तीन वर्ष तक के पौधे उपलब्ध कराते हैं. उनके अनुसार चंदन का पांच वर्ष एक पौधा लगभग 5 से 20 हजार, 12 वर्ष का होने पर 20 से 50 हजार रुपये तक की आमदनी देता है. इसे काटने पर 50 हजार से एक लाख रुपये तक मिल सकते हैं.

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