Hindi Diwas 2021 Wishes, Quotes, Images, Slogan: साल 1949 में 14 सितंबर को भारत की संविधान सभा ने हिंदी को नवगठित राष्ट्र की आधिकारिक भाषा के रूप में अपनाया था. साथ ही, 14 सितंबर को बेहर राजेंद्र सिम्हा (Beohar Rajendra Simha) की जयंती भी है. साल 1949 में उनके 50वें जन्मदिन पर भारत सरकार ने अंग्रेजी के बाद देवनागरी लिपि में लिखी गई हिंदी को आधिकारिक भाषा के रूप में अपनाया. इसके बाद साल 1953 में पहली बार हिंदी दिवस मनाया गया था.
इंग्लिश, स्पैनिश और मंदारिन के बाद दुनिया में चौथी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा हिंदी है. यही नहीं, कई अंग्रेजी शब्दों की उत्पत्ति भी हिंदी के शब्दों से ही हुई है. ऐसे में हिंदी दिवस सभी भारतीयों के लिए महत्वपूर्ण दिनों में से एक है. इस दिन को मनाने के लिए देश भर में कई सांस्कृतिक और साहित्यिक कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं. आज के दिन स्कूल, कॉलेजों और ऑफिसों में हिंदी भाषा के महत्व को बताया जाता है. कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं.
साथ ही, इस दिन राजभाषा कीर्ति पुरस्कार और राजभाषा गौरव पुरस्कार मंत्रालयों, सार्वजनिक उपक्रमों, राष्ट्रीयकृत बैंकों और नागरिकों को उनके योगदान और हिंदी के प्रचार के लिए दिये जाते हैं. यह दिन हिंदी भाषा के महत्व के जश्न के रूप में मनाया जाता है और देश में भाषा के बारे में अधिक जागरूकता फैलाता है. इस मौके पर आप भी अपने दोस्तों और प्रियजनों को तरह-तरह के मैसेज, कोट्स और शायरी भेजकर इस दिन की शुभकामनाएं दे सकते हैं.
हर कण में है हिन्दी बसी
मेरी मां की इसमें बोली बसी
मेरा मान है हिन्दी
मेरी शान है हिन्दी…
हिन्दी और हिन्दुस्तान हमारा है और हम इसकी शान हैं
दिल हमारा एक हैं और एक हमारी जान हैं
हिन्दी दिवस की शुभकामनाएं
हिन्दुस्तान की है शान हिंदी,
हर हिन्दुस्तानी की है पहचान हिंदी,
एकता की अनुपम परम्परा है हिंदी,
हर दिल का अरमान है हिंदी।
हैप्पी हिंदी दिवस
हम सब का अभिमान हैं हिन्दी
भारत देश की शान हैं हिन्दी
हिन्दी दिवस की शुभकामनाएं
बिछड़ जाएंगे अपने हमसे,
अगर अंग्रेजी टिक जाएगी
मिट जाएगा वजूद हमारा,
अगर हिंदी मिट जाएगी
हिंदी केंद्र सरकार की दो आधिकारिक भाषाओं में से एक है. दूसरी अंग्रेजी है. हिंदी भारत गणराज्य की 22 अनुसूचित भाषाओं में से एक है. कहा जाता है कि बोहर राजेंद्र सिंह के प्रयासों से हजारी प्रसाद द्विवेदी, काका कालेलकर, मैथिली शरण गुप्त और सेठ गोविंद दास के साथ हिंदी को दो आधिकारिक भाषाओं में से एक के रूप में मान्यता मिली थी. वास्तव में यह बोहर राजेंद्र सिम्हा के 50वें जन्मदिन पर हुआ था, जिन्होंने भारत के संविधान की मूल अंतिम पांडुलिपि का चित्रण किया था.