पक्षियों की दुनिया भी विविधताओं से भरी और रंग-बिरंगी है. तुमने कई तरह की पक्षियों को देखा होगा, जो अलग-अलग आकार, आकृति और रंग-रूप के होते हैं. इनके आकार की तरह इनके पैरों और पंजों में काफी अंतर होता है. पक्षियों के पंजों (क्लॉज) और उंगलियों की तरह काम करने वाले टैलन्स से तुम इन्हें आसानी से पहचान सकते हो. पक्षी वैज्ञानिकों ने तो पंजों व टैलन्स की आकृति के आधार पर भी इन्हें अलग-अलग श्रेणी में रखा है. इनके बारे में तुम भी जानो.
पक्षियों के पंजे उन्हें न केवल चलने में मदद करते हैं, बल्कि हम मनुष्यों के हाथों की तरह अपने काम करने में उपयोगी भी साबित होते हैं. अपने पंजों की मदद से पक्षियां अपना शिकार पकड़ने, खाना ढूंढ़ने, पेड़ पर चढ़ने, इधर-उधर फुदकने, अपनी रक्षा करने जैसे कई महत्वपूर्ण काम करते हैं.
इस श्रेणी के पक्षियों के पंजों में तीन टैलन्स सामने और एक पीछे की तरफ होता है. ये टैलन्स काफी लचीले होते हैं. जब इस श्रेणी के पक्षी पेड़ की शाखाओं पर बैठते हैं, तो टैलन्स शाखाओं को चारों ओर से मजबूती से पकड़ लेते हैं. वे घंटों बिना हिले-डुले बैठे रहते हैं और गिरते भी नहीं. सबसे बड़ी बात यह है कि ये पक्षी रात भर पेड़ की टहनी पकड़ कर सो भी सकते हैं. कौआ, गौरैया, कबूतर, तोता, मैना, रॉबिन जैसे पक्षी इसी श्रेणी में आते हैं.
तुम्हें मालूम होगा कि पानी में तैरने वाले पक्षियों के पंजे झिल्लीदार होते हैं. इनके टैलन्स पतली झिल्लीदार त्वचा से जुड़े होते हैं. ये झिल्लीदार पंजे पैडल की तरह पानी को पीछे धकेलने, आगे बढ़ने और तैरने में पक्षियों की मदद करते हैं. इन झिल्लीदार पंजों की मदद से ये घंटों तैर सकते हैं. यही नहीं इनके ये पंजे समुद्र या नदी तट की गीली व मुलायम रेत या मिट्टी पर चलते हुए अंदर नहीं धंसने देते. बत्तख, सीगुल, राजहंस, पेलिकन जैसे पक्षी झिल्लीदार पैर वाले पक्षी हैं.
इस श्रेणी में मुर्गा, तीतर, बटेर, मोर जैसी पक्षियां आती हैं. इनके पंजे कील की तरह मजबूत और सख्त होते हैं. पंजे में तीन लंबे टैलन्स आगे की तरफ और एक छोटा टैलन पीछे की तरफ होता है, जिनमें बहुत नुकीले और काफी मजबूत नाखून होते हैं. इन मजबूत पंजों की मदद से ये पक्षी मिट्टी तक खोद डालते हैं और कीट-पतंगे, अनाज और बीज ढूंढ़ कर खाते हैं.
इन पक्षियों के पंजों के आगे के दो टैलन्स ऊपर की तरफ और पीछे के दो टैलन्स नीचे की ओर झुके होते हैं. इनकी मदद से ये पक्षी पेड़ की छाल को कसकर पकड़ सकते हैं और पेड़ पर आसानी से चढ़-उतर सकते हैं. कठफोड़वा, तोता जैसे पक्षी इसी श्रेणी में आते हैं.
इस श्रेणी के पक्षियों के पंजे बहुत मजबूत, नीचे से सपाट और केवल तीन टैलन्स होते हैं. नाखून बहुत नुकीले और मजबूत होते हैं. अपने भारी-भरकम शरीर के कारण ये पक्षी उड़ तो नहीं पाते, लेकिन अपने समतल मजबूत पंजों से भागते बहुत तेज हैं. यहां तक कि वे इनसे अपने दुश्मन को दुलत्ती मार कर अपना बचाव भी कर लेते हैं. एमू, शुतुरमुर्ग, केसोवेरी जैसे विशालकाय पक्षी इसी श्रेणी में आते हैं.
क्रेन, सारस, बगुला जैसे जलीय पक्षियों की सिर्फ टांगे ही नहीं, पंजे और टैलन्स भी काफी लंबे होते हैं. इनकी मदद से वे न केवल नदी या तालाब के किनारे नरम सतह पर आसानी से चलते हैं, बल्कि उथले तथा गहरे पानी में जाकर मछलियों का शिकार भी करते हैं.
चील, गिद्ध और उल्लू जैसे शिकारी पक्षियों के पंजे बड़े और घुमावदार होते हैं. इनके टैलन्स बहुत नुकीले और मजबूत होते हैं. अपने बड़े-बड़े पंजों की मदद से ये पक्षी अपने शिकार पर हमला करते हैं, चाहे वे जमीन पर हो या समुद्र या नदी में. चूहे, मेढक, मछली जैसे छोटे शिकार को तो ये पक्षी अपने मजबूत घुमावदार पंजे की मदद से आसानी से पकड़ लेते हैं और अपने साथ उड़ा ले जाते हैं.