गर्भावस्था में बीपी का बढ़ना चिंता का विषय हो सकता है. आम जीवन में हाई बीपी एक गंभीर बीमारी मानी जाती है. यह स्थिति गर्भवती महिलाओं के लिए खतरनाक हो सकती है और इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. अगर आपको पहले से ही हाई बीपी (हाइपरटेंशन) की समस्या है, तो गर्भावस्था में इसका इलाज कराना बहुत जरूरी हो जाता है.
विशेषज्ञ कहते हैं कि गर्भावस्था के दौरान बीपी का बढ़ना प्री-एक्लेम्पशिया कहलाता है. प्री-एक्लेम्पशिया एक गंभीर स्थिति है जो केवल प्रेगनेंट महिलाओं में होती है.
वैज्ञानिकों के शोधों के अनुसार हाई बीपी से समय से पहले मृत्यु हो सकती है, क्योंकि इसका स्तर बढ़ने से दिल का दौरा, किडनी फेल और लकवा (paralysis) और भी कई तरह की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है.
प्रेगनेंसी के दौरान अगर किसी महिला को हाई ब्लड प्रेशर (बीपी) की समस्या हो तो इसके कई कारण हो सकते हैं. जैसे
पहले से प्री-एक्लेम्प्सिया का अनुभव
परिवार में किसी को प्री-एक्लेम्प्सिया होना
पहले से किसी स्वास्थ्य समस्या जैसे कि किडनी की
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बीमारी, मधुमेह या हाई ब्लड प्रेशर की समस्या
उम्र 35 साल से अधिक होना
वजन सामान्य से अधिक
गर्भ में जुड़वां या अधिक बच्चों का होना
धूम्रपान और नशीले पदार्थों का सेवन
पहली बार प्रेग्नेंट होना
IVF या विट्रो निषेचन की तकनीक से गर्भधारण
कई और अलग-अलग कारण भी हो सकते हैं और यह बीपी को बढ़ा सकते हैं, जो प्रेग्नेंसी के दौरान मां और बच्चे के स्वास्थ्य के लिए खतरा बन सकते हैं.
स्वास्थ्य की सुरक्षा
हाई बीपी से मां और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है. इससे समय से पहले प्रसव, प्लेसेंटा (अमाशय) की समस्या और भ्रूण की विकास में रुकावट जैसी समस्याएं हो सकती हैं.
नियमित जांच
नियमित रूप से बीपी की जांच करवाना जरूरी है ताकि समय पर स्थिति का पता चल सके और उचित उपचार मिल सके.
स्वस्थ जीवनशैली
गर्भवती महिलाओं को स्वस्थ आहार, नियमित व्यायाम और पर्याप्त आराम पर ध्यान देना चाहिए. यह हाई बीपी को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है.
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