अगर आप भी रख रहीं हैं जितिया व्रत, तो इन बातों का जरूर रखें ध्यान
अगर आप जितिया व्रत रखने जा रहे हैं या परिवार की कोई महिला यह व्रत रख रही है तो अपना और उनकी सेहत का ख्याल रखें. अगर व्रत करने वाले व्यक्ति को स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां हो सकती हैं तो व्रत करने से बचें क्योंकि यह व्रत निर्जला रखा जाता है और अगले दिन पारण किया जाता है.
अगर आप जितिया व्रत रखने जा रहे हैं या परिवार की कोई महिला यह व्रत रख रही है तो अपना और उनकी सेहत का ख्याल रखें. अगर व्रत करने वाले व्यक्ति को स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां हो सकती हैं तो व्रत करने से बचें क्योंकि यह व्रत निर्जला रखा जाता है और अगले दिन पारण किया जाता है. इस साल यह व्रत 7 अक्तूबर 2023 को शुरू होगा और 08 अक्टूबर तक चलेगा.
इन्हें नहीं रखना चाहिए व्रत
जिन लोगों को स्वास्थ्य संबंधी परेशानी हो उन्हें यह व्रत नहीं करना चाहिए, लेकिन अगर आप व्रत रखना चाहते हैं तो आपको डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए. व्रत रखने वाली महिलाओं को व्रत से एक दिन पहले तामसिक भोजन का त्याग कर देना चाहिए. इसलिए लहसुन, प्याज और मांसाहारी भोजन पहले ही त्याग दें.
शरीर को ठंडा रखें
जितिया व्रत के दौरान अपने शरीर को ठंडा रखने की कोशिश करें. ध्यान रखें कि अगर शरीर में पानी की कमी होगी तो आपको डिहाइड्रेशन की समस्या हो सकती है. विचार यह है कि त्योहार को उचित रीति-रिवाजों के साथ मनाया जाए, इसलिए ध्यान में रखने योग्य कुछ बातें यहां दी गई हैं-
सात्विक भोजन करें
जीवित्पुत्रिका व्रत से एक दिन पहले सात्विक भोजन करना चाहिए. लहसुन, प्याज आदि तामसिक भोजन का सेवन न करें.
पानी नहीं पीना चाहिए
जीवित्पुत्रिका व्रत में पानी नहीं पीना चाहिए. व्रत से एक दिन पहले भोजन कर लें. क्योंकि व्रत के दिन किसी भी प्रकार का भोजन और पानी वर्जित होता है. व्रत के अगले दिन सुबह पूजा करने के बाद ही पारण कर सकते हैं.
जीवित्पुत्रिका व्रत कथा जरूर सुनें
पूजा के समय जीवित्पुत्रिका व्रत कथा या जीमूतवाहन की कथा अवश्य सुननी चाहिए. कुश से बनी गंधर्व राजकुमार जीमूतवाहन की मूर्ति का प्रयोग करना चाहिए.
कैसे करते हैं जितिया व्रत
स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें. इसके बाद भगवान जीमूतवाहन की पूजा करें. इसके लिए कुशा से बनी जीमूतवाहन की प्रतिमा को धूप-दीप, चावल, पुष्प आदि अर्पित करें. इस व्रत में मिट्टी और गाय के गोबर से चील व सियारिन की मूर्ति बनाई जाती है. इनके माथे पर लाल सिंदूर का टीका लगाया जाता है. पूजा समाप्त होने के बाद जीवित्पुत्रिका व्रत की कथा सुनी जाती है. पारण के बाद यथाशक्ति दान और दक्षिणा दें.
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