अगर देखने हों बाघ तो आइये उत्तराखंड का जिम कार्बेट, सबसे उम्दा है यह अभयारण्य

बाघ अगर देखने हों, तो उत्तराखंड का जिम कार्बेट और उत्तर प्रदेश का अमानगढ़ सबसे उम्दा अभयारण्य हैं. दिल्ली से जिम कार्बेट जाने का सबसे सुगम रास्ता है गजरौला, मुरादाबाद, ठाकुरद्वारा, काशीपुर और राम नगर होकर.

By Prabhat Khabar News Desk | March 19, 2023 2:21 PM
an image

शंभूनाथ शुक्ल, वरिष्ठ पत्रकार

पूरब के आसमान में लाली छायी थी और दूसरी तरफ के आसमान में होली के बाद के कृष्ण पक्ष की पंचमी का चंद्रमा अपनी आभा बिखेर कर ढलता जा रहा था. हम सब चुपचाप दम साधे खुली जिप्सी में बैठे थे. जंगल के पशु, पक्षी व कीट के बोलने की आवाज थी, बाकी सब सन्नाटा. करीब 30 मिनट गुजर गये, झाड़ी में से एक खरगोश तक न निकला, तो हमारी जिप्सी के ड्राइवर रामू काका ने कहा, लगता है कि टाइगर किसी और रास्ते से निकल गया. तब हम चले. रामू काका ने सांभर की कॉल से अंदाजा लगाया था कि शेर पास के वाटरहोल से पानी पीकर निकला है. यह जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क का बाघ अभयारण्य था. यहीं पर झिरना रेंज और उत्तर प्रदेश के अमानगढ टाइगर रिज़र्व की सीमा मिलती थी.

करीब 200 मीटर तक दोनों के बीच एक कंटीली बाड़ थी, जिसमें रात को सोलर पावर का करंट दौड़ाया जाता था. लेकिन यह बाड़ सिर्फ मनुष्यों के लिए है, जानवर कोई सीमा नहीं मानते. हम इस स्थान से गुजर कर 100 मीटर पहुंचे होंगे कि अचानक बाईं तरफ की झाड़ से एक बाघिन निकली और पीछे दो शावक. ड्राइवर ने तत्काल गाड़ी रोक दी और इशारे से चुप रहने को कहा. धीरे-धीरे बाघिन दूर होती गयी और सड़क पार कर दूसरी तरफ की झाड़ियों में कूद गयी.

बाघ अगर देखने हों, तो उत्तराखंड का जिम कार्बेट और उत्तर प्रदेश का अमानगढ़ सबसे उम्दा अभयारण्य हैं. दिल्ली से जिम कार्बेट जाने का सबसे सुगम रास्ता है गजरौला, मुरादाबाद, ठाकुरद्वारा, काशीपुर और राम नगर होकर. मुरादाबाद से ठाकुरद्वारा के बीच सड़क बहुत खराब है, इसलिए लौटने में हमने रूट रामनगर से कालाढूंगी, बाजपुर, रुद्रपर से रामपुर का बनाया. वहाँ से दिल्ली के लिए एनएच-24 (इसे अब एनएच-9 कहते हैं) पर चढ़े. रामनगर में रात बिताकर सुबह आप जिम कार्बेट में प्रवेश ले सकते हैं.

जिम कार्बेट के अंदर वन विभाग के रेस्ट हाउसेज हैं, पर उनमें बुकिंग पहले से करानी पड़ती है. इनमें से कुछ ऑनलाइन बुक होते हैं, लेकिन कोर एरिया वाले ऑफलाइन. सभी प्राइवेट होटल या रिजॉर्ट इन रेंज के बाहर हैं. ये महंगे भी हैं और वहां से जंगल सफारी का आनंद लेने के लिए आपको रेंज के अंदर जाना पड़ेगा. इसलिए रेंज के भीतर रुकना बेहतर रहता है. जिम कॉर्बेट के किसी भी रेंज में जाने के लिए आपको अपनी गाड़ी रामनगर में छोड़नी पड़ेगी और सफारी वालों की जिप्सी ले कर ही आप अंदर रेस्ट हाउस तक जा सकते हैं. यह जिप्सी 3500 रुपये प्रतिदिन की दर से मिलती है और अंदर जाने का परमिट रामनगर के परमिट ऑफिस से मिलता है. इसके तहत प्रति व्यक्ति फीस 250 रुपये, ड्राइवर की परमिट फीस भी लगती है. जिप्सी की एंट्री का 1000 रुपये अलग से देना होता है. अंदर के रेस्ट हाउस 1250 से 2500 रुपये प्रति कमरे की दर से मिलते हैं. चूंकि बहुत सीमित रेस्ट हाउस हैं, इसलिए कम से कम दो माह पहले बुकिंग कराना चाहिए.

मैने झिरना रेंज के ओल्ड रेस्ट हाउस में तीन दिन और दो रात के लिए बुक कराया था. चूंकि यह 1908 का बना हुआ है और आज भी उसकी वैसी ही शक्ल है, इसलिए यह रेस्ट हाउस 5000 रुपये प्रति दिन की दर से था. अलबत्ता सीनियर सिटिजन होने के कारण हमें दोनों कमरे आधी दर पर मिले थे. मेरे साथ पत्नी के अलावा बेटी, दामाद और नाती-नातिन थे. दिल्ली से जिम कार्बेट की दूरी 245 किलोमीटर है, तो लखनऊ से 450 किलोमीटर. दोनों राजधानियों से रेल सेवा भी है और बस सेवा भी. निजी गाड़ियों से भी पहुंचा जा सकता है.

जिम कार्बेट के अंदर ढिकाला के अलावा सुल्तान, ब्रजरानी और मनाली सर्वोत्तम गेस्ट हाउस हैं. इसमें से सिर्फ ढिकाला और ब्रजरानी ही पर्यटकों के लिए उपलब्ध हैं. मनाली में आमजन के प्रवेश की मनाही है. वहां जाने के लिए आपको वन विभाग से विशेष अनुमति लेनी होगी और आपको बताना होगा कि आप मात्र घुमक्कड़ी का शौक नहीं रखते, बल्कि आपको वन्य जीवन में रुचि है. सुल्तान में तेंदुए बहुतायत में हैं और अक्सर वे यहां के वन रेस्ट हाउस तक चले आते हैं तथा बालकनी में आराम फरमाते इन्हें देखा जा सकता है. मनाली रेंज सबसे दुर्गम है और यहां भालू, हाथी तथा बाघ घूमा करते हैं. इसीलिए यहां टूरिस्ट सफारी पर रोक है. हमने तो मनाली में कई बार पैंथर, टाइगर और भालू तो देखे ही हैं, अजगर भी. यहां का रेस्ट हाउस 1929 का बना हुआ है और यहां बिजली नहीं है. रात को जब आप अपने कमरे से बाहर आएं, तो देखें कि रेस्ट हाउस की कटीली बाड़ के दूसरी तरफ असंख्य लाल चमकती हुई आंखें आपको घूर रही होती हैं. ये दरअसल वे हिंस्र जानवर हैं, जिन्हें बाड़ पर दौड़ता सोलर पावर का करंट भीतर आने से रोके रखता है.

Exit mobile version